कर्जमाफी के बावजूद पंजाब के किसान गुस्से में क्यों हैं?

 

कभी पूरे देश में खेती-किसानी में शीर्ष पर रहे राज्य पंजाब के किसान गुस्से में हैं। वे अपने गुस्से को जाहिर करते हुए अपनी मांगों को मनवाने के लिए पिछले कुछ दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब के किसानों ने अपने विरोध प्रदर्शन के तहत रेल रोको अभियान भी चलाया। इस वजह से कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा और कई ट्रेनों का मार्ग बदलना पड़ा।
पंजाब के किसानों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान जो तस्वीरें आईं, वे हैरान और परेशान करने वाली हैं। इन तस्वीरों में ये किसान रेल की पटरियों पर लेटे हुए दिखे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ कि पंजाब का अन्नदाता आज इस तरह के विरोध-प्रदर्शन करने को मजबूर है? पंजाब के संदर्भ में यह बात और महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यहां कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्ज माफ कर दिया है। तो फिर भी पंजाब के किसान विरोध प्रदर्शन करते हुए ‘जेल भरो आंदोलन’ चलाने को क्यों मजबूर हुए।
इन सवालों के जवाब में पंजाब किसान आंदोलन में लगी मजूदर किसान संघर्ष समिति ने एक बयान जारी करके पंजाब के किसानों की मांग के बारे में बताया। पंजाब के किसानों की मांग है कि पूर्ण कर्ज माफी की जाए। दरअसल, जिस भी राज्य में कर्ज माफी हुई है, उसमें कई तरह की शर्तें विभिन्न राज्य सरकारों ने लगाई है। इससे छोटे और हाशिये के किसानों के एक बड़े वर्ग को कर्ज माफी का लाभ नहीं मिल पा रहा है। पंजाब भी इसका अपवाद नहीं है। ऐसे में पंजाब के किसान यह मांग कर रहे हैं कि सूबे में पूर्ण कर्ज माफी लागू की जाए।
पंजाब के किसानों की दूसरी मांग यह है कि स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया जाए। कई साल पहले आई इस रिपोर्ट में किसानों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए थे। पंजाब में पिछले कुछ समय में यह देखा जा रहा है कि कर्ज नहीं चुका पाने वाले कुछ किसानों की जमीन की नीलामी हो रही है और कुछ किसानों की गिरफ्तारियों की खबरें भी आ रही है। इसलिए विरोध प्रदर्शन कर रहे पंजाब के किसानों की मांग है कि जमीन की नीलामी और किसानों की गिरफ्तारी पर तत्काल रोक लगे।
इसके अलावा पंजाब के किसानों की एक मांग यह भी है कि गन्ना के बकाये का भुगतान हो। इसमें भी ये संघर्षरत किसान यह मांग कर रहे हैं कि उनके बकाया पैसे का भुगतान 15 प्रतिशत की ब्याज दर के साथ हो।
पंजाब से कई मामले ऐसे भी आ रहे हैं जहां बैंक कर्ज देने से पहले ही किसानों से ब्लैंक चेक ले रहे हैं। जब किसान समय पर कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं तो फिर इन ब्लैंक चेक में बैंक अपने हिसाब से रकम भरकर किसानों पर चेक बाउंस के मामले दर्ज करा रहे हैं। इसके बाद किसानों की गिरफ्तारी हो जा रही है। कुछ खबरों में तो यह दावा किया गया है कि पिछले कुछ महीने में पंजाब में ऐसी तकरीबन 350 गिरफ्तारियां हुई हैं।
बैंक न सिर्फ कर्ज देने से पहले ब्लैंक चेक मांग रहे हैं बल्कि जमीन भी गिरवी रखवा रहे हैं और गारंटर भी मांग रहे हैं। इन परेशानियों की वजह से किसान फिर से कर्ज लेने के लिए साहूकारों के पास जा रहे हैं। ये साहूकार और अधिक ब्याज दर पर कर्ज दे रहे हैं। किसानों के लिए यह कर्ज चुका पाना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। कुल मिलाकर देखें तो पंजाब का किसान कर्ज के एक दुष्चक्र में फंस गया है।
कभी खेती-किसानी में देश में सबसे आगे रहे पंजाब में आज किसानों की हालत अच्छी नहीं है। इस बात की पुष्टि पंजाब के तीन विश्वविद्यालयों द्वारा कराए गए एक अध्ययन से भी होती है। इसमें यह बताया गया है कि पंजाब में 2017 से अब तक कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से 900 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। वहीं 2000 से 2015 के बीच पंजाब में तकरीबन 16,000 किसानों को किसानी की समस्याओं की वजह से मौत को गले लगाने को मजबूर होना पड़ा है। इनमें से तकरीबन 9,100 किसान थे और बाकी खेतों में काम करने वाले मजदूर। इसका एक मतलब यह है कि सिर्फ पंजाब का किसान ही परेशान नहीं है बल्कि खेतों में काम करने वाले मजदूर भी काफी परेशान हैं।
इन तथ्यों से यह पता चलता है कि पंजाब में कृषि की हालत अच्छी नहीं है। हाल के दिनों में पंजाब में किसानों का यह कोई पहला प्रदर्शन नहीं है। बल्कि पिछले कुछ महीनों में ही अलग-अलग संगठनों के नेतृत्व में प्रदेश में किसानों ने कई विरोध-प्रदर्शन किए हैं। लगातार हो रहे ये विरोध-प्रदर्शन बता रहे हैं कि आधे-अधूर मन से की गई कर्जमाफी से किसानों का संकट नहीं दूर होने वाला बल्कि इसके लिए और व्यापक कमद उठाने की जरूरत है।