पलवल के गांव में दूषित पेयजल की वजह से हफ्ते भीतर 7 बच्चों की मौत!
हरियाणा में पलवल के चिल्ली और चिल्ला गांव में 14 दिनों के भीतर 7 मासूम बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. स्थानीय अखबरों में बच्चों की मौत की खबर छपने के बाद हरियाणा का स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद से जागा. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग और डब्ल्यूएचओ की टीम ने दोनों गांवों का दौरा किया. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बच्चों की मौत दूषित पानी की वजह से हुई है.
गांव में 9 सितंबर से बच्चों की मौत शुरू हुई थी और 14 सितंबर तक आते आते यानी महज छह दिनों में सात मासूमों की जान चली गई. मरने वाले बच्चों में दो बच्चे पांच साल से कम उम्र के और पांच बच्चे पांच साल से ज्यादा उम्र के थे. वहीं एक तीन साल की बच्ची अस्पताल में इलाजरत है.
सात बच्चों की मौत के बाद गांव में खौफ का माहौल है. गांवों का दौरा करने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बच्चों समेत सभी लोगों के सैंपल लिए हैं.
वहीं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने घटना को लेकर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “12 सितंबर को रेपिड रिस्पांस टीम ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था. जिन जगहों पर मौत की सूचना मिली थी, उन घरों का भी सर्वेक्षण किया गया.”
हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में दूषित पेयजल की समस्या को लेकर कईं रिपोर्ट्स सामने आईं है.
जनसत्ता अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार गांव के सरपंच का कहना है, “50-60 बच्चे बुखार की चपेट में आ चुके हैं. सिर्फ एक हफ्ते में 7 बच्चों की मौत हो गयी. कई बच्चों का निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि फीवर के दौरान प्लेटलेट का घटना आम बात है.”
करीब चार हजार की आबादी वाले इस गांव के लोग कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग ने समय रहते ध्यान दिया होता, तो कई बच्चों की जानें बचाई जा सकती थी. इतनी बड़ी आबादी वाले हरियाणा के इस गांव में एक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है. एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जो गांव से 30 किलोमीटर दूर है.
देश में अब तक केवल तीस फासदी लोगों के लिए पीने लायक पानी उपलब्ध है. केंद्र सरकार ने 2024 तक प्रत्येक परिवार को साफ और शुद्ध पीने का पानी मुहैया कराने का वादा किया है वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटनाएं हो रही हैं जहां एक गांव में ही हफ्ते के अंदर सात बच्चों की मौत हो जाती हैं.