चार साल से जेल में बंद छात्र नेता उमर खालिद की रिहाई की मांग,सौ से ज्यादा शिक्षाविदों और कलाकारों ने लिखा पत्र!
CAA के खिलाफ प्रदर्शन करने और दिल्ली दंगों के आरोप के चलते पिछले चार साल से जेल में बंद छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता उमर खालिद की रिहाई के लिए 30 जनवरी को सौ से ज्यादा शिक्षाविदों, कलाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद समेत अन्य की रिहाई की मांग की.
हस्ताक्षरकर्ताओं में लेखक अमिताव घोष, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री जयति घोष, सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और राजनीतिक वैज्ञानिक क्रिस्टोफ जाफरलॉट शामिल रहे.
हस्ताक्षरकर्ताओं ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत खालिद की लंबे समय तक कैद की आलोचना करते हुए कहा, “हम यह देखकर बहुत परेशान हैं कि कैसे उमर जैसे प्रतिभाशाली युवा को बार-बार सत्तावादी शासन द्वारा निशाना बनाया गया, बदनाम किया गया”
उमर खालिद को 13 सितंबर, 2020 को फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें 53 लोग मारे गए थे. बयान में आरोप लगाया गया कि हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने के बजाय, सरकार ने कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाया.
उन्होंने कहा कि “बार-बार जमानत से इनकार करना और बिना मुकदमे के लंबे समय तक कैद में रखना उनके मामले का सबसे दुखद पहलू है.” बयान में गुलफिशा फातिमा, शरजील इमाम, खालिद सैफी, मीरान हैदर, अतहर खान और शिफा उर रहमान जैसे अन्य लोगों के नाम भी शामिल हैं, जो इसी तरह के आरोपों में जेल में बंद हैं.
दिल्ली पुलिस का दावा है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी और इसकी योजना उन लोगों ने बनाई थी, जिन्होंने संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए थे, जिसमें खालिद भी शामिल थे.
हस्ताक्षरकर्ताओं ने 2021 के दिल्ली हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था. “राज्य के दिमाग में, विरोध करने के संवैधानिक अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा कुछ धुंधली होती जा रही है.”
हस्ताक्षरकर्ताओं ने आतंकवाद विरोधी कानूनों के इस्तेमाल की निंदा करते हुए कहा कि “ऐसे कानूनों और अत्यधिक न्यायिक देरी ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जहां व्यक्तियों को बिना किसी मुकदमे के, बिना दोषी साबित हुए, लंबे समय तक हिरासत में रखकर प्रभावी ढंग से दंडित किया जाता है.”
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