मुआवजे के लिए बीमा कंपनी और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हुए हजारों किसान!
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत बीमा कवर होने के बावजूद, 16,900 से अधिक किसान पिछले कई महीनों से अपनी फसल के नुकसान के मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं. मुआवजे की मांग को लेकर किसान लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
सितंबर 2022 में महेंद्रगढ़ में हुई लगातार बारिश के कारण बाजरा और कपास की खरीफ फसलों को भारी नुकसान हुआ था. बारिश के कारण नारनौल, सतनाली और कनीना ब्लॉक के किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है. अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रिब्यून’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार एक किसान ने बताया, “सितंबर के आखिरी सप्ताह में बारिश के कारण मेरी खरीफ फसल को भारी नुकसान हुआ. नुकसान का आकलन करने के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा सर्वे भी किया गया, लेकिन मुआवजा नहीं दिया गया. मुआवजे से जुड़ी जानकारी लेने कृषि विभाग के चक्कर लगाने के लिए मजबूर हैं.”
एक और किसान कृष्ण ने अखबार को बताया, “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में नाम दर्ज होने के बावजूद किसानों को इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार को बीमा कंपनी पर जल्द से जल्द किसानों का मुआवजा देने का दबाव बनाना चाहिए.”
वहीं इस मुद्दे पर जिला उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने हाल ही में बीमा कंपनी और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की है. उन्होंने कंपनी को 3 जुलाई तक मुआवजा देने का निर्देश दिया, ऐसा नहीं करने पर कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने के लिए मुख्यालय को पत्र लिखने की चेतावनी दी गई है. जिला उपायुक्त ने कहा, “यह एक गंभीर मुद्दा है कि कृषि विभाग द्वारा सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी बीमा कंपनी ने किसानों के बीच फसल नुकसान का मुआवजा नहीं बांटा है. यदि कंपनी निर्धारित समय के भीतर मुआवजा देने में विफल रहती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.”
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