8 साल में 22 करोड़ ने मांगी सरकारी नौकरी, मिली केवल 7 लाख 22 हजार को!

हर साल दो करोड़ युवाओं को नौकरी दने के वादे के साथ 2014 में केंद्र की सत्ता में आई सरकार ने बुधवार को संसद में जो आंकड़े पेश किए हैं, वे मोदी द्वारा 2014 में किए वादों की पोल खोल रहे हैं. हैरान करने वाली बात है कि सरकार इन आठ सालों में औसतन हर साल एक लाख युवाओं को भी पक्की नौकरी नहीं दे सकी है. लोकसभा में सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक मई 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता संभालने से लेकर अब तक अलग-अलग सरकारी विभागों में केवल 7 लाख 22 हजार 311 आवेदकों को सरकारी नौकरी दी गई है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सबसे कम नौकरी 2018-19 में केवल 38,100 लोगों को नौकरी मिली, जबकि उसी साल सबसे ज्यादा यानी 5,करोड़ 9 लाख 36 हजार 479 लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया था. वहीं साल 2019-20 में सबसे ज्यादा यानी 1 लाख 47 हजार 96 युवा सरकारी नौकरी पाने में कामयाब हुए. हर साल दो करोड़ नौकरी देेने का वादा करने वाली सरकार केवल एक फीसदी यानी हर साल दो लाख नौकरियां देने में भी नाकामयाब रही है.
वहीं इन पिछले आठ साल में सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने वालों की संख्या बताती है कि देश में बेरोजगारी का स्तर बहुत ज्यादा है. इस दौरान कुल 22 करोड़ 6 लाख लोगों ने आवेदन किया था. सरकार की और से यह जानकारी भी दी गई है कि हर साल कितने लोगों ने आवेदन किये हैं.
पिछले महीने ही प्रधानमंत्री दफ्तर ने अगले डेढ़ साल में 10 लाख नौकरियां देने का दावा किया है. पीएमओ इंडिया ने ट्वीट करते हुए सभी मंत्रालयों में अगले डेढ़ साल के भीतर 10 लाख लोगों की भर्ती करने के निर्देश दिए थे.
वहीं बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा
वहीं CMIE यानी सेंटर फॉर इकनॉमिक डाटा एंड एनालिसिस की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 में भारत की बेरोजगारी दर 7 फीसदी को पार कर 7.11 फीसदी हो गई थी. मुंबई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के आंकड़ों के मुताबिक तब से देश में बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत से ऊपर ही बनी हुई है. वहीं रिपोर्ट के अनुसार बेरोजदारी के मामले में पूरे देश में हरियाणा पहले स्थान पर है.
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