जलवायु परिवर्तन के कारण ‘सबसे संवेदनशील’ जिलों में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश के 28 जिले शामिल!

एक आकंलन से देश भर के कुल 310 जिलों को जलवायु परिवर्तन के कारण सामने आई चुनौतियों के प्रति ‘सबसे संवेदनशील’ रूप में पहचाना है. इनमें से 109 ‘बहुत उच्च’ श्रेणी में आते हैं जबकि 201 को ‘अत्यधिक’ संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है. वर्गीकरण को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के खिलाफ कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के उद्देश्य के तहत सावधानीपूर्वक किया गया है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि उत्तर प्रदेश सबसे अधिक 48 संवेदनशील जिलों के साथ चार्ट में शीर्ष पर है. इनमें से 22 जिले ‘बहुत अधिक’ और 26 ‘अत्यधिक’ संवेदनशील थे. यूपी के बाद राजस्थान है जहां 27 जिले हैं – 17 ‘बहुत अधिक’ और 10 ‘अत्यधिक’ संवेदनशील. इसके बाद बिहार है जहां 10 ‘बहुत अधिक’ और 13 ‘अत्यधिक’ संवेदनशील जिले हैं.
यहां तक कि पंजाब और हरियाणा जैसे पारंपरिक रूप से मजबूत खाद्यान्न उत्पादक राज्य भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं हैं. हिमाचल प्रदेश के कुल 12 जिलों में से आठ इसी श्रेणी में आते हैं. केंद्रीय मंत्री तोमर ने 2014 के बाद जलवायु-लचीली फसल किस्मों को विकसित करने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की भूमिका को रेखांकित किया. कुल 1,971 ऐसी किस्में पेश की गईं, जिनमें 429 जैविक तनाव के प्रति सहनशील थीं और 1,542 अजैविक तनावों के प्रति प्रतिरोधी थीं.
पंजाब (9 जिले)
‘बहुत अधिक’ भेद्यता: गुरदासपुर, जालंधर, मोगा, फरीदकोट, बठिंडा
‘अत्यधिक’ संवेदनशील: मुक्तसर, मनसा, संगरूर और फिरोजपुर
हरियाणा (11 जिले)
‘वैरी हाई’ वल्नेरेबिलिटी: फतेहाबाद, भिवानी एंड महेन्द्रगढ़
‘हाइली’ वल्नरेबल: कैथल, जींद, सिरसा, हिसार, रोहतक, झज्जर, रेवाड़ी & गुरुग्राम
हिमाचल (8 जिले)
‘वैरी हाई’ वल्नेरेबिलिटी: चम्बा, मंडी
‘हाइली’ वल्नरेबल: काँगड़ा, कुल्लू, हमीरपुर, बिलासपुर, शिमला एंड किन्नौर.
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