कृषि से जुड़े 3 फैसले, जिन्हें ऐतिहासिक बता रही है सरकार
पीआईबी
पहला फैसला: स्टॉक लिमिट खत्म
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी गई है। इससे दलहन, तिलहन, अनाज, आलू और प्याज आवश्यक वस्तु की सूची से बाहर हो जाएंगे। अब इन पर आपात स्थिति में ही स्टॉक लिमिट लगेगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि इस फैसले से किसानों को लाभ पहुंचेगा और कृषि क्षेत्र का कायाकल्प हो जाएगा। सरकार का मानना है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम की वजह से कृषि को नुकसान पहुंचा है।
Landmark decisions to benefit #farmers and transform the agriculture sector taken in #Cabinet today; approves historic amendment to the Essential Commodities Act: @PrakashJavdekar #CabinetDecisions pic.twitter.com/nShPLiHHA7
— PIB India (@PIB_India) June 3, 2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव क्यों?
अनाज, दाल, तिलहन, आलू और प्याज जैसी वस्तुएं आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आती हैं, इसलिए इन पर स्टॉक लिमिट लगती है और तय सीमा से ज्यादा भंडारण या ट्रांसपोर्टेशन नहीं हो सकता है। सरकार की सोच है कि स्टॉक लिमिट की पाबंदी के चलते इन वस्तुओं के कारोबार में निजी निवेश नहीं आ पाया। न ही इनका स्टोरेज और एक्सपोर्ट बढ़ पाया है।
सरकार का मानना है कि कृषि उपज के भंडारण, परिवहन, वितरण और आपूर्ति की पाबंदियां हटने से निजी और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इससे कोल्ड स्टोरेज और सप्लाई चेन में निवेश आएगा। इस सब का फायदा किसानों को मिलेगा। इसलिए अब सिर्फ युद्ध या अकाल जैसी आपात स्थिति में ही कृषि उपज पर स्टॉक लिमिट जैसी पाबंदियां लगाई जाएंंगी।
दूसरा फैसला: मंडी में बिक्री की बाध्यता खत्म
मंत्रिमंडल ने कृषि व्यापार की बाधाएं दूर करने के लिए एक अध्यादेश लाने का निर्णय लिया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि ‘एक राष्ट्र, एक कृषि बाजार’ बनाने के लिए कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (प्रोत्साहन व सुविधा) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी गई है। इससे किसानों और व्यापारियों को देेेश में कहीं भी उपज खरीदने-बेचने की छूट मिलेगी।
#Cabinet approved 'The Farming Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Ordinance, 2020'. The Ordinance will create an ecosystem where the farmers and traders will enjoy freedom of choice of sale and purchase of agri-produce: @nstomar pic.twitter.com/bCfU0KI0lU
— PIB India (@PIB_India) June 3, 2020
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, कृषि उपज की बिक्री में किसानों को कई बाधाएं आती हैं। उन्हें मंडी में ही पंजीकृत विक्रेताओं को ही उपज बेचनी पड़ती है। इसके अलावा एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच व्यापार में भी कई रुकावटें हैं। सरकार इन बाधाओं को दूर करने जा रही है।
मंडी के बाहर भी उपज बेचने की छूट मिलने से किसानों के पास ज्यादा विकल्प होंगे और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिससे किसानों को बेहतर दाम मिल सकेगा। इस अध्यादेश के जरिए ई-ट्रेडिंग को बढ़ावा देने की बात भी कही गई है।
इस सबसे किसान का भला होगा या ट्रेडर्स या बड़े रिटेलर का यह देखने वाली बात है।
तीसरा फैसला: कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का रास्ता
किसानों और प्रोसेसर, एग्रीगेटर, होलसेलर, रिटेलर और एक्सपोर्टर के बीच कारोबार को आसान बनाने के लिए भी केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आ रही है।
माना जा रहा है कि यह अध्यादेश कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग का रास्ता साफ कर सकता है। वैसे, कहा ये जा रहा है कि इससे किसानों को नई तकनीक का लाभ मिलेगा और जोखिम घटने के साथ-साथ मार्केटिंग का खर्च भी घटेगा। किसान बिचौलियों को हटाकर अपने माल की डायरेक्ट मार्केटिंग कर सकेंगे।
फिलहाल ये सब दावे हैं। असल में क्या होगा, वो देखने वाली बात है। वैसे किसानों से पहले उद्योग जगत ने सरकार के इन फैसलों का स्वागत किया है।
Welcoming the Cabinet's decision, Mr Siraj Chaudhry, Co-Chair, FICCI National Agriculture Committee said that removal of barriers to supply chain and market access shall encourage investments and private sector participation.
— FICCI (@ficci_india) June 3, 2020
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन फैसलों का लाभ किसानों को मिलेगा या व्यापारियों को या फिर ऑनलाइन रिटेल की दिग्गज कंपनियों को? डर यह है कि कहीं किसानों को मंडी से मुक्त करने के नाम पर मंडियों की रही-सही व्यवस्था भी ध्वस्त न हो जाए। क्योंकि कई साल पहले बिहार ने मंडी एक्ट खत्म किया था, वहां किसानों की हालत और भी बदतर है।
सवाल यह भी है कि जो मुक्त बाजार, जो ऑनलाइन तकनीक, जो मार्केट रिफॉर्म्स अमेरिका में भी किसानों की आमदनी नहीं बढ़ा पाए, उसी रास्ते पर चलकर भारत में किसानों का कल्याण कैसे होगा?
Chief Economist of US Department of Agriculture (USDA) had acknowledged: "Real farm prices, when indexed for inflation, have fallen sharply since 1960." I wonder why didn't agri-market reforms work in America, from where we tend to borrow the ideas.
— Devinder Sharma (@Devinder_Sharma) June 3, 2020
Changes in ECA & APMC is to benefit the traders,processors & exporters.Farmer may get benefits (if any) in shortages or spill over.
Many Independent studies indicated that deregulation of Agri-trade resulted into reduced bargaining power of farmers & cartelisation of traders etc— Sudhir Panwar (@panwarsudhir1) June 3, 2020
सरकार भले ही इन कृषि सुधारों को ऐतिहासिक बता रही है, लेकिन कृषि सुधार की इन बातों में किसान को उपज का सही दाम दिलाने और सुनिश्चित आय का जिक्र तक नहीं है।