धान का क्षेत्रफल 43.83 लाख हैक्टेयर कम, केंद्रीय पूल में खाद्यान्न स्टॉक चार साल के निचले स्तर पर !

 

कई बड़े चावल उत्पादक राज्यों में चालू मानसून सीजन की कम बारिश के चलते धान का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 43.83 लाख हैक्टेयर कम चल रहा है. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ सीजन (2022-23) में 12 अगस्त,2022 तक धान का कुल क्षेत्रफल 309.79 लाख हैक्टेयर रहा है जबकि पिछले साल इसी समय तक धान का कुल क्षेत्रफल 353.62 लाख हैक्टेयर रहा था. अगर आने वाले दिनों में उत्पादन क्षेत्रफल में बढ़ोतरी नहीं होती है तो देश में 2.71 टन प्रति हैक्टेयर की चावल उत्पादकता के आधार पर चालू खरीफ सीजन में चावल का उत्पादन करीब 110 लाख टन कम रह सकता है.

वहीं केंद्रीय पूल में एक अगस्त को चावल और गेहूं का कुल स्टॉक चार साल के सबसे कम स्तर 676.33 लाख टन पर है. इसमें 266.45 लाख टन गेहूं और 409.88 लाख टन चावल शामिल है. पिछले साल 1 अगस्त, 2021 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 564.80 लाख टन और चावल का स्टॉक 444.59 लाख टन था.

इसके पहले एक अगस्त 2018 को केंद्रीय पूल में गेहूं और चावल का कुल स्टॉक 658.02 लाख टन रहा था जो चालू साल से कम था. वहीं एक अगस्तर, 2019 में केंद्रीय पूल में गेहूं और चावल का स्टॉक 764.73 लाख टन, 2020 में 864.25 लाख टन और एक अगस्त 2021 को केंद्रीय पूल में 1009.39 लाख टन चावल और गेहूं का स्टॉक था.

पिछले साल के मुकाबले जिन राज्यों में धान का क्षेत्रफल कम है उनमें झारखंड में 11.37 लाख हैक्टेयर, पश्चिम बंगाल में 11.23 लाख हैक्टेयर, उड़ीसा में 4.31 लाख हैक्टेयर, मध्य प्रदेश में 4.46 लाख हैक्टेयर, बिहार में चार लाख हैक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 3.37 लाख हैक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 1.43 लाख हैक्टेयर, तेलंगाना में 3.39 लाख हैक्टेयर, आंध्र प्रदेश में 2.85 लाख हैक्टेयर कम है. इन राज्यों के अलावा आठ अन्य राज्यों में भी धान का क्षेत्रफल पिछले साल से मामूली रूप से कम है.

धान के क्षेत्रफल में कमी की खबरों के चलते पिछले कुछ दिनों में बाजार में चावल की कीमतों में इजाफा हुआ है. वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में साठी धान की फसल को किसानों ने 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर बेचा है. जबकि आगामी खरीफ मार्केटिंग सीजन 2022-23 के लिए धान की ग्रेड ए किस्म का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2060 रुपये प्रति क्विंटल है जो कीमतों में वृद्धि का संकेत है. पिछले कुछ साल में बेहतर चावल उत्पादन के चलते भारत दुनिया में सबसे बड़े चावल निर्यातक के रूप में उभरा है और चावल के निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी तक पहुंची है. लेकिन जिस तरह से चालू खऱीफ सीजन में धान का क्षेत्रफल कम चल रहा है वह चावल की निर्यात संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है.

वहीं खरीफ की दूसरी महत्वपूर्ण फसल दालों का क्षेत्रफल पिछले साल से 5.11 लाख हैक्टेयर कम है. इसमें सबसे अधिक 5.55 लाख हैक्टेयर की गिरावट अरहर के क्षेत्रफल में आई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 12 अगस्त तक दालों का क्षेत्रफल 122.11 लाख हैक्टेयर रहा है जो पिछले साल इसी समय 127.22 लाख हैक्टेयर रहा था. महाराष्ट्र में इसमें 3.02 लाख हैक्टेयर की कमी आई है वहीं तेलंगाना 1.67 लाख हैक्टेयर, आंध्र प्रदेश में 1.24 लाख हैक्टेयर, कर्नाटक में 1.14 लाख हैक्टेयर और झारखंड में 1.12 लाख हैक्टेयर की कमी दालों के क्षेत्रफल में आई है.

महाराष्ट्र और कर्नाटक, अरहर के बड़े उत्पादक राज्य हैं. यह फसल 160 से 180 दिन की फसल होती है. सरकार ने चालू खरीफ सीजन के लिए अरहर का एमएसपी 6600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जो पिछले साल के मुकाबले 300 रुपये प्रति क्विटंल अधिक है. लेकिन नवंबर के अंत से फरवरी के बीच किसानों द्वारा बेची जाने वाली अरहर की फसल की बाजार में 15 जुलाई तक कीमत नये एमएसपी से नीचे चल रही थी.

महाराष्ट्र की अकोला मंडी में 15 जुलाई को अरहर की कीमत 6500 रुपये प्रति क्विंटल चल रही थी. वहीं कर्नाटक के बीदर में 15 जुलाई को इसकी कीमत 6700 रुपये प्रति क्विंटल थी जो नये एमएसपी से मामूली ही अधिक थी. उत्पादन क्षेत्रफल घटने की खबरों के बीच 30 जुलाई को अकोला और कर्नाटक के बीदर में अरहर की कीमत 7300 रुपये प्रति क्विटंल और 12 अगस्त को दोनों जगह कीमत 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर पहंच गई.

इसकी कीमत में वृद्धि और महंगाई को काबू में रखने के लिए परेशान केंद्र सरकार ने 12 अगस्त को ही अरहर के स्टॉकिस्टों के लिए स्टॉक घोषित करने की अनिवार्यता का आदेश जारी कर दिया. यह आदेश आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जारी किया गया है. इसके तहत स्टॉकिस्टों और ट्रेडर्स को हर सप्ताह उपभोक्ता मामले विभाग की पोर्टल पर स्टॉक डिक्लेयर करना होगा. इस तरह के कदम से किसानों को संदेश जा सकता है कि आने वाले दिनों में कीमतों में वृद्धि की स्थिति में सरकार कीमतों पर अंकुश के लिए और कदम भी उठा सकती है.

खास बात यह है कि जिन राज्यों में चावल का रकबा घटा है वहां बारिश कम हुई है और कई जगह यह सामान्य से 50 फीसदी तक कम है. वहीं दाल का क्षेत्रफल घटने वाले राज्यों में बारिश अधिक हुई है. वहां किसानों ने कपास और सोयाबीन को दाल के मुकाबले प्राथमिकता दी है क्योंकि इस साल सोयाबीन और कपास की कीमत एमएसपी से काफी अधिक रही है. कपास के मीडियम स्टेपल किस्म का एमएसपी 6080 रुपये प्रति क्विटंल है जबकि इस समय महाराष्ट्र और गुजरात में कपास की कीमत 9 हजार रुपये से 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही है.

दूसरी ओर सोयाबीन का एमएसपी 4300 रुपये प्रति क्विटंल है जबकि अकोला मंडी में इस समय सोयाबीन की कीमत 6000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक चल रही है. कपास और सोयाबीन की बेहतर कीमतों के चलते किसानों ने अरहर की जगह इन फसलों को प्राथमिकता दी है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 12 अगस्त तक मोटे अनाजों का क्षेत्रफल 166.43 लाख हैक्टेयर के साथ पिछले साल के मुकाबले 5.10 लाख हैक्टेयर अधिक है. लेकिन तिलहन क्षेत्रफल 180.43 लाख हैक्टेयर है जो पिछले के 181.83 लाख हैक्टेयर के मुकाबले 1.40 लाख हैक्टेयर कम है. वहीं कपास का क्षेत्रफल 123.09 लाख हैक्टेयर के साथ पिछले साल से 6.94 लाख हैक्टेयर अधिक है. गन्ने का क्षेत्रफल 55.20 लाख हैक्टेयर है जो पिछले साल से 0.68 लाख हैक्टेयर अधिक है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 12 अगस्त तक कुल खरीफ क्षेत्रफल 963.99 लाख हैक्टेयर रहा जो पिछले साल की इसी अवधि के 1001.61 लाख हैक्टेयर के मुकाबले 37.62 लाख हैक्टेयर कम है.

साभार- रूरल वॉइस