सिरसा: चिट्टे की वजह से 15 दिन में 7 मौत, पीड़ित अनेक कहानी एक
हरियाणा के सिरसा जिले में लगातार नशे की वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. 25 मई को कीर्तिनगर निवासी 28 वर्षीय नौजवान अजय सिंह की इलाज के दौरान मौत हो गई. अजय लंबे समय से नशे का सेवन कर रहा था. वह दो बहनों का अकेला भाई था. उसके पिता 15 साल पहले गुजर चुके थे और एक साल पहले मां की भी मौत हो गई थी.
अजय की मौत नशे से होने वाली पहली मौत नहीं हैं. पिछले 15 दिन में अकेले सिरसा जिले में नशे की वजह से 7 मौतें हो चुकी हैं. नशे की वजह से मौतों का यह सिलसिला 6 मई को शुरू हुआ था.
6 मई को गांव घुकांवाली निवासी 25 वर्षीय राजेश कुमार की नशे की ओवेरडोज की वजह से मौत हो गई थी. राजेश के परिजनों के अनुसार वह नशे का आदी था, जिसके कारण उसको उसकी बहन के पास भेज दिया था. लेकिन जब वह वहाँ पर पहुंचा तो उसकी हार्ट अटैक से मौत हो गई. बाद में पता चला कि ऐसा लंबे समय से नशे के सेवन की वजह से हुआ है.
7 मई को सिरसा के कल्याण नगर के रहने वाले 21 वर्षीय शुभम का शव नागरिक अस्पताल के बाहर ग्रीन बेल्ट में पड़ा मिला. शुभम के हाथ में नशे का इंजेक्शन लगा हुआ था. शहर के नागरिक हस्पताल में शुभम का इलाज चल रहा था. वह दवाई लेने के लिए हस्पताल में जा रहा था, लेकिन रास्ते में उसके दोस्त मिल गए. ग्रीन बेल्ट में बैठकर उसने अपने दोस्तों के साथ नशा किया और वहीं पर शुभम की मौत हो गई.
8 मई को रानियां के वार्ड नंबर आठ निवासी 23 वर्षीय नौजवान सोनू का शव रानियां सुलतानपुरिया रोड के साथ खाली पड़े खेत में मिला. उस नौजवान के हाथ में भी इंजेक्शन लगा मिला और पास में ही नशे की गोलियां भी मिली थी.
10 दिन बाद 18 मई को डबवाली के गांव सकताखेड़ा के 32 वर्षीय शादीशुदा नौजवान गुरप्रीत का शव पुराने पंचायत घर में मिला. नशे की ओवरडोज के कारण युवक की मौत हो गई थी और उसके हाथ में नशे का इंजेक्शन लगा हुआ था.
21 मई को 22 वर्षीय रानियां के वार्ड नंबर सात के रहने वाले वीर की भी नशे की ओवरडोज की वजह से मौत हो गई. मृतक के पिता ने नशा सप्लाई करने वाले 13 लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला भी दर्ज करवाया है.
अगले ही दिन 22 मई को डबवाली के गांव लोहगढ़ की नहर के पास एक नौजवान का शव बाइक पर पड़ा हुआ मिला. इस नौजवान की पहचान राजस्थान के गांव ढाबा के रहने वाले 20 वर्षीय अभय के रूप में हुई. युवक के भाई सुनील के बयान पर पुलिस ने छह लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करवाया है.
गुरप्रीत के पिता मक्खन सिंह उर्फ माखा ने दैनिक जागरण को बताया कि वर्ष 2019 में उनका बेटा मेडिकल नशा करता था. इस वजह से उनकी पत्नी दो बेटों, विवेक तथा अंश को छोड़कर चली गई थी. वर्ष 2020 में वह चिट्टे का नशा करने लगा था. वे उसका नशा छुड़वाना चाहते थे. बहुत बार मिन्नतें की लेकिन वह नहीं माना. गोरी(गुरप्रीत) तीन क्लास पढ़ा हुआ था. दिहाड़ी मजदूरी करता था और जो कमाता, उसे नशे में उड़ा देता था. वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटा था.
बाकी नौजवानों के परिवारों की हालत भी गुरप्रीत जैसी ही है.
सिरसा से भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल ने इस मामले में मीडिया को बताया, “जिले में बढ़ रहे नशे के नेटवर्क को रोकने के लिए पुलिस की ओर से लगातार अभियान चलाया जा रहा है. नशे के सप्लायरों की धर-पकड़ करने में सिरसा पुलिस प्रदेश में पहले स्थान पर है. नशे के सप्लायरों के लिए सख्त कानून बनाने को लेकर मुद्दा मानसून सत्र में उठाया जाएगा. कानून बनने के बाद नशे की सप्लाई करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी. कई राज्यों में नशे की सप्लाई करने वाले अपराधियों को मृत्यु दंड देने का भी प्रस्ताव पास किया गया है. हरियाणा मुख्यमंत्री को भी प्रस्ताव भेजा जाएगा.”
हरियाणा सरकार ने नशे को रोकने के लिए जून 2020 में हरियाणा नरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का गठन किया. एडीजीपी श्रीकांत जाधव ने 3 जुलाई, 2020 को ब्यूरो का कार्यभार संभाला. सरकार ने ब्यूरो को अलग से 380 पुलिस कर्मचारियों का स्टाफ भी दिया हुआ है. प्रदेश में ब्यूरो की 8 यूनिट सक्रिय हैं जिनमें से एक यूनिट सिरसा में भी है.
गृह मंत्रालय द्वारा संसद में दिए गए एक जवाब के अनुसार हरियाणा में 28.3 किलो ड्रग्स और 59,960 नशे की गोलियां साल 2020 में और 25.91 किलो ड्रग्स साल 2021 में नरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने जब्त किया था.
पूरे देश में नशे से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में बहुत ज्यादा नशा करने की वजह से 745 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 2018 में 875 और 2019 में नशे की वजह से 704 लोगों की मौत हुई.
सिरसा की नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में कार्यरत सब इंस्पेक्टर राकेश कुमार ने हमें बताया कि ज्यादातर नौजवान राजस्थान में संगरिया बार्डर के आस पास के गांवों में जाकर नशा करते हैं और वापस आ जाते हैं. ऐसा करने की वजह से किसी के पास से बरामदगी भी नहीं हो पाती है. नशे को रोकने के लिए विभाग की तरफ से उठाए गए कदमों के बारे में पूछने पर राकेश कुमार ने बताया कि विभाग पिछले डेढ़ साल से लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है.
एक और पुलिस अधिकारी ने बताया कि पहले डोडा पोश्त ही ज्यादा चलता था जिस से मौत का खतरा नहीं होता था. लेकिन पिछले चार पांच साल में चिट्टे का चलन बढ़ गया है जिसके कारण नशे से होने वाली मौत भी ज्यादा होने लगी हैं. चिट्टे का बड़ा हिस्सा दिल्ली से सप्लाई होता है और उसके बाद पंजाब से. चिट्टे की तस्करी को रोकने में पुलिस की नकामयाबी के बारे में पूछने पर अधिकारी ने बताया कि जब भी किसी तस्कर को पकड़ते हैं तो उसके पास मुश्किल से 1 या 2 ग्राम चिट्टा पकड़ा जाता है और 5 ग्राम या उससे कम की रिकवरी पर कोर्ट से आसानी से जमानत मिल जाती है. नशे की तस्करी में पकड़े जाने वाले अधिकतर गरीब या निम्न मध्यम परिवारों से संबंध रखने वाले होते हैं.
पुलिस का कहना है कि दिल्ली में नाइजीरियन केमिकल्स से चिट्टा बनाते हैं. जिसके बाद दिल्ली से देश के बाकी हिस्सों में सप्लाई किया जाता है. इनके नेटवर्क को पुलिस अभी तक नहीं तोड़ पाई है. सिरसा पुलिस ने पिछले डेढ़ साल में 1000 तस्कर पकड़े हैं. जिनमें 70 महिलाएं हैं. पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि दिल्ली में 500 से 1000 रुपए प्रतिग्राम चिट्टा मिलता है, जिसे यहां डबल रेट में बेचा जाता है.