ग्रामीण रोजगार सृजन में आई 50 फीसदी की गिरावट!

 

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत मिलने वाले काम में भारी कमी आई है. इसकी एक वड़ी वजह कृषि और गैर-कृषि कार्यों में तेजी को भी माना जा रहा है. नरेगा में मिलने वाला काम पहले की तुलना में जुलाई में लगभग आधा हो गया है. यानी नरेगा के तहत मिलने वाले काम में 50 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. वहीं मजदूरों के गांव वापस लौटकर आने की संख्यां में भी कमी इसका एक कारण है. 

वहीं पिछले आंकड़ों को देखे तो पता चलता है कि हर साल वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत मिलने वाले काम में बढ़ोतरी दर्ज की गई है लेकिन इस वित्त वर्ष में रोजगार सृजन में गिरावट आई है.

अगस्त में आए आंकड़ों के नरेगा के तहत अप्रैल में केवल 22 करोड़ लोगों को रोजगार मिला जिससे लगभग 2 करोड़ परिवारों तक लाभ पहुंचा था वहीं मई में 43 करोड़ लोगों को रोजगार मिला था जससे करीबन 2.5 करोड़ परिवारों को लाभ पहुंचा था. इस वित्तीय वर्ष में नरेगा के तहत काम में लगातार कमी आ रही है.

पिछले महीने संख्या में गिरावट मुख्य रूप से कृषि गतिविधियों में तेजी के कारण हुई, क्योंकि खरीफ की खेती के लिए श्रम की मांग बढ़ी है. ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक कार्यों के लिए श्रमिकों की मांग में वृद्धि और अधिकांश श्रमिकों की औद्योगिक शहरों में वापसी,  महामारी के चरम के दौरान देखे गए रिवर्स माइग्रेशन के निकट अंत के कारण, कम लोगों को काम की तलाश में भी प्रेरित किया गया।

द इकॉनोमिक टाइम में छपी रिपोर्ट के अनुसार योजना श्रम विशेषज्ञ केआर श्याम सुंदर ने कहा, “ऐसा लगता है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी ने श्रम बाजार को स्थिर कर दिया है.” सुंदर ने कहा, “हालांकि, औद्योगिक उत्पादन में निरंतरता की कमी और रुपये के कमजोर होने से विनिर्माण उत्पादन प्रभावित हो सकता है जो श्रम बाजार को प्रभावित कर सकता है.”

कार्य सृजन में गिरावट योजना के तहत काम की मांग में गिरावट के अनुरूप है और ग्रामीण भारत में बेरोजगारी दर में आई गिरावट भी नये काम सृजन में कमी का एक कारण है.