हरियाणा: CAG ने उजागर किया 183 करोड़ का घोटाला!

 

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने हरियाणा के फरीदाबाद में एक बड़े जमीन घोटाले का खुलासा किया है. सीएजी के अनुसार करीबन 183 करोड़ रूपये की कीमत वाली संरक्षित और अधिसूचित फॉरेस्ट लैंड पर बहु-मंजिला इमारत के अवैध निर्माण की अनुमति दी गई थी. हरियाणा विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि फरीदाबाद नगर निगम ने पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (पीएलपीए), 1900 के तहत संरक्षित और अधिसूचित जमीन को एक निजी रियल एस्टेट कंपनी गोदावरी शिल्पकला प्राइवेट लिमिटेड को दे दी. रियल एस्टेट कंपनी को यह जमीन दो बार में दी गई है, पहली बार 5.5 एकड़ और दूसरी बार 3.93 एकड़ यानि कुल 9.43 एकड़ जमीन प्राइवेट रियल एस्टेट कंपनी को दी गई. फरीदाबाद नगर निगम की मिलीभगत के साथ इस 9.43 एकड़ संरक्षित फॉरेस्ट लैंड पर “पिनेकल बिजनेस टॉवर” खड़ा किया गया.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि फरीदाबाद नगर निगम के अधिकारियों ने वन संरक्षित क्षेत्र में प्राइवेट डेवलपर को अवैध तरीके से जमीन का आवंटन किया. अधिकारियों ने सीएलयू समझौते के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जमीन के कमर्शियल यूज के लिए निर्माण संबंधी एनओसी जारी की हैं. सरकारी अधिकारियों द्वारा अधिसूचित क्षेत्र पर एनओसी जारी करवाई गई जो ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं हैं.

सीएजी ने रिपोर्ट में हरियाणा सरकार को, डवलेपर और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश के साथ डेवलपर से मुआवजे की राशि वसूल करने के भी सुझाव दिये हैं. वहीं पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने पीएलपीए में संशोधन करने के लिए हरियाणा सरकार की ओर से की गई अपील को खारिज करते हुए कहा था कि कानूनी ढांचे ने अरावली रेंज की रक्षा की है, जो दिल्ली, गुरुग्राम और आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा रही है. दरअसल हरियाणा सरकार लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट के जरिए अरावली वन क्षेत्र में वैध खनन का रास्ता निकालने की फिराक में है.

वहीं इस मामले में सबसे पहले 12 मार्च 1992 को फरीदाबाद के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के निदेशक द्वारा रियल एस्टेट डेवलपर को जमीन के कमर्शियल यूज के लिए एनओसी दी गई थी. यह एनओसी फरीदाबाद के सूरजकुंड के लक्करपुर गांव में स्थित 5.5 एकड़ यानि 44 कनाल जमीन के लिए जारी की गई थी. ‘गैर-खेती योग्य पहाड़ियों’ के रूप में वर्गीकृत जमीन पर हॉटल और अन्य मनोरंजन से जुड़े कॉमपलेक्स बनाने की अनुमति दी गई. वहीं दो साल बाद, नवंबर 1994 में गोदावरी शिल्पकला ने पार्किंग, भूनिर्माण और फाइव स्टार होटल के विस्तार के लिए पहले वाली 5.5 एकड़ जमीन के बराबर में लगती 3.93 एकड़ जमीन लेने का अनुरोध किया.

मई 1995 में, राज्य सरकार की अनुमति के बाद फरीदाबाद प्रशासन ने कैग को जानकारी दिये बिना 20 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से प्राइवेट कंपनी को 3.93 एकड़ जमीन आवंटित कर दी. हालांकि भूमि उपयोग में परिवर्तन ने स्पष्ट रूप से निर्धारित किया है कि साइट को किसी भी परिस्थिति में उप-विभाजित नहीं किया जाएगा.

3.93 एकड़ जमीन के सीएलयू के साथ निर्माण की अनुमति नहीं दी गई थी लेकिन फरीदाबाद प्रशासन ने 2007 में डेवलपर को बहु-मंजिला इमारत बनाने के लिये अवैध तरीके से अनुंमति दी गई. इसके तहत कमर्शियल दफ्तरों के लिए नौ मंजिल, हॉल के लिए तीन और जमीन के ऊपर कार पार्किंग के लिए दो मंजिल वाले 16 मंजिला टावर बनाने की सहमति दी गई थी.

दिसंबर, 2020 में शिकायत के आधार पर एक जिला नगर आयुक्त ने 25 मार्च, 2021 को डेवलपर को कारण बताओ नोटिस जारी किया. जिसका जवाब न मिलने पर आयुक्त ने भूमि के उपयोग, भूमि के उपखंड, और भवन की अवैध बिक्री और नियमों के उल्लंघन के चलते पिनेकल बिजनेस टॉवर को सील करने का आदेश दे दिया. वहीं जब कैग की ऑडिट टीम ने दिसंबर 2021 को फरीदाबाद नगर निगम के अधिकारियों के साथ साइट विजिट किया, तो उन्होंने पाया कि पिनेकल बिजनेस टॉवर को सील नहीं किया गया था.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नौ साल तक चले अवैध निर्माण के खिलाफ फरीदाबाद प्रशासन और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई. वहीं हरियाणा सरकार के शीर्ष अधिकारियों, जैसे शहरी स्थानीय निकाय विभागों के प्रमुख सचिव, वन विभाग और राजस्व विभाग के वित्तीय आयुक्त ने पिछले फैसलों का बचाव किया है.