टमाटर: किसान के पास था तो सड़क पर फिका, बाजार में 100 रुपये किलो बिका

 

जिस टमाटर को महीने भर पहले सड़क पर फेंकने की नौबत आ गई थी, राजधानी दिल्ली समेत कई महानगरों में उसके दाम 80-100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं। पिछले दो-तीन दिनों में भारी बारिश के साथ ही टमाटर की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया। टमाटर की कीमतों में यह तेजी आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ रही है। यह स्थिति तब है जब देश में टमाटर का उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर ही है।

दिल्ली की आजादपुर मंडी में एक जून को टमाटर का मॉडल प्राइस 451 रुपये प्रति कुंतल था जो 24 जून को बढ़कर 3213 रुपये कुंतल हो गया। यानी, एक महीने के अंदर टमाटर के दाम करीब सात गुना बढ़ गये। टमाटर की कीमतों में इस उछाल के लिए व्यापारी भारी बारिश को वजह बता रहे हैं। दिल्ली के कई पॉश इलाकों के खुदरा बाजारों में टमाटर के रेट 100 रुपये किलो तक पहुंच गये हैं। जबकि अन्य बाजारों में औसतन 70-80 रुपये के रेट पर टमाटर बिक रहा है।  

उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 27 जून को दिल्ली में टमाटर का औसत खुदरा भाव 60 रुपये, देहरादून में 80 रुपये, जयपुर में 50 और कोलकाता में 75 रुपये प्रति किलोग्राम था। देश में टमाटर का औसत खुदरा रेट 46.1 रुपये प्रति किलोग्राम था जो एक महीना पहले 23.61 रुपये किलोग्राम से लगभग दोगुना है।  

टमाटर पर मौसम की मार

इस साल हीटवेव और मानसून में देरी के कारण टमाटर उत्पादक क्षेत्रों में सफेद मक्खी का प्रकोप रहा, जिससे उपज प्रभावित हुई। बाजार में फसल के दाम बहुत कम थे इसलिए किसानों ने कीटनाशकों पर ज्यादा खर्च नहीं किया। इससे टमाटर की क्वालिटी और उपज प्रभावित हुई। यही वजह है कि कर्नाटक के बेंगलुरु में भी टमाटर के रेट 80-100 रुपये किलो तक पहुंच गये हैं। दिल्ली में टमाटर की काफी आपूर्ति हिमाचल प्रदेश से होती है। भारी बारिश के कारण हिमाचल से सप्लाई बाधित हुई है। लेकिन सवाल है कि क्या मौसम का असर इतना बड़ा है कि दो-चार दिन में ही टमाटर के दाम दो-तीन गुना बढ़ जाएं?

मौसम के नाम पर मुनाफाखोरी!

आमतौर पर बरसात के सीजन में टमाटर व अन्य सब्जियों के दाम बढ़ते हैं। लेकिन इस साल मानसून की दस्तक के साथ ही टमाटर की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। दो-तीन दिनों के अंदर ही टमाटर के रेट 40-50 रुपये किलो से बढ़कर 80-100 रुपये किलो तक पहुंच गये। इस अप्रत्यशित वृद्धि के पीछे स्पैक्यूलेशन और मुनाफाखोरी को वजह माना जा रहा है।

किसानों की लागत भी नहीं निकली

कई शहरों में 100 रुपये किलो तक बिक रहे टमाटर में किसान की हिस्सेदारी सबसे कम है। थोक मंडियों में 50-60 रुपये बिक रहा टमाटर खुदरा बाजार में 100 रुपये किलो तक बेचा जा रहा है। जबकि किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया था। इस साल उत्पादक क्षेत्रों की मंडियों में किसानों को मात्र 500-1000 रुपये कुंतल के रेट पर टमाटर बेचना पड़ा। लेकिन जैसे ही टमाटर की उपज मंडियों में पहुंची, कीमतें 100 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं।

उत्पादन में मामूली गिरावट

इस साल देश में टमाटर के उत्पादन में मामूली गिरावट का अनुमान है। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी बागवानी फसलों के प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार, टमाटर का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 206.9 लाख टन की तुलना में 2022-23 में 206.2 लाख टन रहेगा। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो टमाटर के उत्पादन में कोई खास कमी नहीं हुई हैं। लेकिन जिस तरह टमाटर की कीमतों में अचानक वृद्धि हुई है, उससे इन अनुमानों पर भी सवाल उठ सकते हैं।

कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना

टमाटर की बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने ट्विट किया कि प्रधानमंत्री की गलत नीतियों के कारण पहले टमाटर सड़कों पर फेंका गया और अब 100 रुपये किलो बिक रहा है।

20 मई को आई थी टमाटर फेंकने की खबर

आज टमाटर ऊंची कीमतों को लेकर खबरों में है लेकिन 20 मई तक टमाटर के सड़क पर फेंकने की खबरें आ रही थीं। 20 मई को महाराष्ट्र में नासिक जिले के किसानों ने टमाटर के सही दाम ना मिल पाने से दुखी होकर अपनी उपज सड़क पर फेंक दी थी। उन्हें टमाटर की 20 किलो की क्रेट के लिए मात्र 30 रुपये मिल रहे थे। उस समय नासिक मंडी में टमाटर का औसत थोक भाव 3-4 रुपये किलो था।

(अजीत सिंह असली भारत के संपादक हैं। यह खबर पहले https://www.aslibharat.com/ पर प्रकाशित हो चुकी है.)