खरीफ सीजन 2023: राजस्थान ने लगाया दो गुणा अधिक बाजरा, देश में धान का रकबा 26 प्रतिशत घटा!

 

मॉनसून के असमान वितरण और बिपरजॉय चक्रवात ने खरीफ की फसलों पर खासा असर डाला है. एक ओर जहां खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान के रकबे में 26 फीसदी कमी आई है, वहीं राजस्थान में बाजरे के रकबे में लगभग दोगुणा बढ़ोतरी हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में जून महीने में हुई 188 फीसदी अधिक बारिश ने किसानों को काफी फायदा पहुंचाया है.

हालात यह हैं कि अगर राजस्थान में बंपर बुआई न होती तो देश में खरीफ की बुआई का कुल आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले काफी कम रह सकता था. हालांकि पिछले साल भी जून में खरीफ की बुआई की स्थिति खराब ही थी.

केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 30 जून 2023 को समाप्त माह के चौथे सप्ताह तक देश में 203.19 लाख हेक्टेयर में खरीफ सीजन की फसलों की बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले 85 हजार हेक्टेयर अधिक है. हालांकि 2021 के मुकाबले 91.20 लाख हेक्टेयर कम है. यहां यह उल्लेखनीय है कि पिछले साल 2022 में भी मॉनसून में देरी की वजह से खरीफ सीजन में बुआई काफी कम हुई थी.

पहले बिपरजॉय चक्रवात और फिर मॉनसून की वजह से हुई भारी बारिश के कारण राजस्थान को सबसे अधिक फायदा हुआ है. राजस्थान में पिछले साल जून के अंतिम सप्ताह तक 27.42 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हुई थी, लेकिन इस साल अब तक 53.69 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है. इसमें सबसे अधिक बाजरे की हिस्सेदारी है. पिछले साल जून के अंतिम सप्ताह तक 13.53 लाख हेक्टेयर में बाजरा लगाया गया था, जो इस साल 29.22 लाख हेक्टेयर हो चुका है. राज्य सरकार ने 44 लाख हेक्टेयर में बाजरे की बुआई का लक्ष्य रखा है.

राजस्थान में बाजरे के अलावा तिलहन की फसल का रकबा भी काफी बढ़ा है. पिछले साल जून के अंतिम सप्ताह तक 5.96 लाख हेक्टेयर तिलहन की बुआई हो चुकी थी, लेकिन इस साल अब तक 8.84 लाख हेक्टेयर में तिलहन की बुआई हो चुकी है. तिलहन में सबसे अधिक रकबा मूंगफली का बढ़ा है, जबकि सूरजमुखी और सोयाबीन का रकबा घटा है.

स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर के कृषि विस्तार निदेशक सुभाष चंद्रा कहते हैं कि राजस्थान का ज्यादातर इलाका वर्षा सिंचित है और इस बार की बारिश ने किसानों के वारे न्यारे कर दिए हैं. बाजरे के लिए यह बारिश काफी फायदेमंद है, इसलिए किसानों ने इसका भरपूर फायदा उठाया है। इसके अलावा कुछ इलाकों में कपास की खेती होती है, वहां भी इस बारिश से फायदा ही होगा.

धान का रकबा घटा

इस साल जून के अंतिम सप्ताह तक धान का रकबा 26.56 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल 2022 में 36.04 लाख हेक्टेयर था और 2021 में तो जून के अंतिम सप्ताह तक 59.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की बुआई हो चुकी थी. पंजाब में धान का रकबा काफी कम हुआ है. इस साल जून में 9.06 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई है, जो पिछले साल के मुकाबले 5.9 लाख हेक्टेयर और 2021 के मुकाबले 14.71 लाख हेक्टेयर कम है. उत्तर प्रदेश में भी अब तक 4.25 लाख हेक्टेयर धान की बुआई हुई है, जो पिछले साल के मुकाबले 1.21 लाख हेक्टेयर और 2021 के मुकाबले 56 हजार हेक्टेयर कम है.

मक्के के रकबे में भी कमी आई

देश में मक्के का भी रकबा घटने की खबर है. कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि देश में 30 जून 2023 तक 8.10 लाख हेक्टेयर में ही मक्के की बुआई हो पाई है, जो पिछले साल से 2.60 लाख हेक्टेयर और 2021 के मुकाबले 13.99 लाख हेक्टेयर कम है. कर्नाटक में मक्के की बुआई सबसे कम हुई है. यहां अब तक 1.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही मक्के की बुआई हो पाई है, जो पिछले साल के मुकाबले 2.76 लाख हेक्टेयर और 2021 के मुकाबले 6.26 लाख हेक्टेयर कम है.

सबसे अधिक प्रभावित राज्य

जून माह में बारिश की कमी का सामना महाराष्ट्र को भी करना पड़ा. 1 से 29 जून 2023 के बीच महाराष्ट्र में सामान्य से 50 फीसदी कम बारिश हुई. इसके चलते महाराष्ट्र में खरीफ की बुआई पर काफी बुरा असर पड़ा है। इस साल जून में महाराष्ट्र में कुल 14.08 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई है, जो 2022 के मुकाबले 10.07 लाख हेक्टेयर और 2021 के मुकाबले 53.28 लाख हेक्टेयर कम है. यानी कि 2021 के मुकाबले इस साल महाराष्ट्र में अब तक लगभग चार गुणा कम रकबा ही कवर हो पाया है.

दूसरा प्रभावित राज्य कर्नाटक है. यहां अब तक 11.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुआई हुई है, जो 2022 के मुकाबले 12.64 लाख हेक्टेयर और 2021 के मुकाबले 17 लाख हेक्टेयर कम है.

छत्तीसगढ़ में भी इस साल खरीफ की बुआई काफी कम हुई है. जून में अब तक केवल 87 हजार हेक्टेयर में बुआई है, जबकि पिछले साल 2.33 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी. जो इस अब 1.46 लाख हेक्टेयर थी और बात 2021 की करें तो जून 2021 के अंतिम सप्ताह तक छत्तीसगढ़ चालू वर्ष के मुकाबले 6.11 लाख हेक्टेयर बुआई अधिक हो चुकी थी.

जून माह में बारिश में लगभग 69 प्रतिशत की कमी की वजह से बिहार में भी खरीफ की बुआई प्रभावित हुई है. जून माह में यहां 3.42 लाख हेक्टेयर में कुल बुआई हुई है, जो पिछले साल से 70 हजार हेक्टेयर कम है, लेकिन 2021 से तुलना करें तो इस साल बिहार में 2.51 लाख हेक्टेयर खेती कम हुई है.

पिछले साल सूखे से जूझने वाले झारखंड में यह साल और ज्यादा खराब साबित हो रहा है. इस साल अब तक केवल 13.2 हजार हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई है, जबकि पिछले साल 44.3 हजार हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी और जून 2021 में एक लाख से अधिक हेक्टेयर में बुआई हुई थी.

साभार- डाउन-टू-अर्थ