हरियाणा में बुलडोजर: सरकार और गैंग में क्या फर्क है?
“सरकार और गैंग में क्या फर्क होता है” हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार सतीश त्यागी ने नूंह हिंसा के बाद यह तंजनुमा गंभीर सवाल पूछा तो लोगों ने दिलचस्प जवाब दिए
सरकार संवैधानिक गैंग होती है और गैंग केबिनेट से बचे लोगों का समूह!
गैंग अपराध करके चुपके से छुप जाती है
सरकार अपराध करके न चुप रहती है न छुपती है लेकिन पीड़ित को ही चुप होकर सब गलत को सहन करना पड़ता है।
सरकार एक रजिस्टर्ड गैंग होती है
सरकार बड़े गैंग द्वारा बनाई जाती है
जो फर्क गंगाधर और शक्तिमान में है।
गैंग की अपनी सरकार होती है और सरकार का अपना एक गैंग होता है
हरियाणा में हुई मेवात हिंसा के बाद हरियाणा सरकार की कथनी और कार्रवाई से तो यही लगता है.मेवात हिंसा के बाद नूंह जिले की कई जगहों पर मेवातियों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं और यह काम सरकार कर रही है. स्थानीय प्रशासन ने आज शनिवार को नल्हड मेडिकल कॉलेज के पास करीब 45 दुकानों को तोड़ दिया है. प्रशासन ने तावडू शहर में कल गरीबों की झुग्गी झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाकर तहस-नहस कर दिया था. नूंह जिले के नई गांव, सिंगार, बिसरू, डुडोली पिंगवा, फिरजोपुर में भी बुलडोजर चलाने की तैयारी प्रशासन कर रहा है.
नूंह के SDM अश्विनी कुमार ने घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाए जाने पर मीडियो को बताया है कि “ऐसा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निर्देश पर किया गया है. अतिक्रमण 2.5 एकड़ में फैला हुआ था. 45 पक्के निर्माण और 15 कच्चे निर्माणों को गिराया गया है. यह सब अवैध निर्माण थे. पता चला है कि इनमें से कुछ लोग दंगों से जुड़े हुए थे.
पत्रकारिता की पढ़ाई करते वक्त हमें सिखाया गया था कि जब तक अदालत दोष तय न कर दे तब तक आरोपी लिखा जाता है. लेकिन सरकार बहादुर मनोहरलाल खट्टर अदालत के फैसले का इंतजार नहीं कर सकते क्योंकि बहुसंख्यकों के बहुमत पर फूली बैठी सरकार को देश के बहुसंख्यक समाज को खुश करने के लिए अल्पसंख्यकों के मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाना बहुत आसान काम जान पड़ता है.
मेव समुदाय के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाने की मांग बिट्टू बजरंगी अपने हरेक मीडिया इंटरव्यू में उठा रहा है. ये वही बिट्टू बजरंगी है जिस पर दंगों की साजिश रचने के आरोप लग रहे हैं. लेकिन उनको कोई कुछ नहीं कहेगा. क्योंकि उनके हाथ कानून से भी लंबे हैं. यह फोटो देखिए. वह देश के गृहमंत्री अमित शाह के साथ हैं. इस फोटो में कपिल मिश्रा के साथ है. इस फोटो में आरएसएस की शाखा लगाने जा रहे हैं. और इस फोटो में वह फरीदाबाद के सासंद कृष्णपाल गुज्जर के साथ हैं. इसलिए मैंने कहा कि बिट्टू बजरंगी के हाथ कानून से लंबे हैं क्योंकि उनका सरकार में हाथ है इसलिए तो उनकी मेवों के घरों पर बुलडोजर चलाने की मांग को मनोहरलाल खट्टर पूरा कर रहे हैं.
मेवातियों के मकान तोड़े जाने पर नूंह के विधायक चौधरी आफताब अहमद ने ट्वीट कर कहा है. “नूंह में ये महज ग़रीबों के मकान ही नहीं ढहाए जा रहे बल्कि आम जन के विश्वास, भरोसे को गिराया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि आज महीने पुरानी बैक डेट में नोटिस देकर आज ही मकान दुकान गिरा दिये। सरकार प्रशासनिक विफलताओं को छुपाने के लिए गलत कारवाई कर रही है, ये दमनकारी नीति है”
नूंह में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने कुल 102 केस दर्ज किए हैं. हरियाणा पुलिस ने अब तक 202 लोगों को गिरफ्तारी की है और 78 को हिरासत में लिया है.
क्या मनोहरलाल खट्टर ऐसी ही कार्रवाई उन लोगों पर भी करेंगे जिन्होंने गुड़गांव मस्जिद में घुसकर नौजवान इमाम को मार दिया था, नूंह की घटना के गुड़गांव सोहना, पटौदी, आंवल में अल्पसंख्यकों के घरों, दुकानों और मस्जिदों पर हमलों की घटनाएं सामने आई हैं क्या यही कार्रवाई बहुसंख्यक समुदाय के लोगों पर की जाएगी. या फिर बीजेपी का बुलडोजर अल्पसंख्यक समुदाय के घर और दुकानें तोड़ने के लिए ही चलता है.
मनोहरलाल खट्टर हों या अनिल विज. दोनों सरकार की नाकामियों पर पर्दा डालने में जुटे हुए हैं.
एक नेशनल टीवी पर ऑन कैमरा खुफिया विभाग का एक इंस्पेक्टर कहता है कि इस तरह की हिंसा के इनपुट हमने पहले ही दे दिए थे. लेकिन राज्य के गृहमंत्री अनिल विज इस बात से मुकर जाते हैं. अनिल विज ने द ट्रिब्यून की रिपोर्टर गीतांजली गायत्री को बताया कि उन्हें विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की यात्रा में शामिल होने की वीडियोज से नूंह में पैदा हुए तनाव के बारे में पहले कोई सूचना नहीं दी गई थी.
अनिल विज ने अपना पल्ला झाड़ते हुए मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए. विज ने कहा कि सीआईडी ने उन्हें पिछले पांच वर्षों में किसी भी मुद्दे पर कोई जानकारी नहीं दी है, क्योंकि सीआईडी विभाग को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर संभालते हैं, कानून और व्यवस्था बनाए रखना उनका कर्तव्य है.
सीआईडी इंस्पेक्टर के वीडियो के संबंध में उन्होंने कहा है कि संबंधित वीडियो गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेज दिया गया है. “अगर उस इंस्पेक्टर (सीआईडी इंस्पेक्टर) के पास कोई जानकारी थी, तो उसने इनपुट किसको और किस स्तर पर दिया? इसकी जांच की जाएगी.”
जांच दंगाईयों की होनी चाहिए थी, लेकिन जांच उस इंस्पेक्टर के खिलाफ खोल दी है जिसने हिंसा होने के इनपुट पहले ही दे दिए थे.
बहरहाल मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी आराम से मीडिया को इंटरव्यू दे रहे हैं और मेव समुदाय के घर और दुकानें तोड़ी जा रही हैं उनकी गिरफ्तारियां हो रही हैं. और दंगे की इनपुट देने वाले इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच की जा रही है.
उत्तरप्रदेश के बरेली जिले में भी यही हुआ, जिस पुलिस अधिकारी प्रभाकर चौधरी ने दंगा होने से बचाया उसी का तबादला कर दिया गया. प्रभाकर चौधरी का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने कावंडियों को तेज आवाज में डीजे बजाकर मुस्लिम बस्तियों में जलूस ले जाने से रोक दिया था, क्योंकि वह कांवड़ियों का रूट ही नहीं था. लेकिन सजा उन्हें ही दी गई.
बहुमत के शिखर पर फूली बैठी सरकार अपने सहयोगी संगठन विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को बचाने में लगी है और गरीब मेव किसान मजदूरों, रेहड़ीलगाने वालों, और दुकानदारों पर बुलडोजर कार्रवाई कर रही है.
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