2024 लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर के किसान संगठन और कर्मचारी यूनियन एक मंच पर!

 

2024 लोकसभा चुनावको लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक संयुक्त मंच आकर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है. या सम्मेलन गुरुवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा.सम्मेलन में देश भर के करीबन 500 किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होगें. सम्मेलन में 2024 के आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए संयुक्त कार्यक्रमों और अभियानों की रूपरेखा तैयार की जायेगी.

अग्रेजी अखबार द हिंदू में छपी रिपोर्ट के अनुसार सीटीयू और एसकेएम के नेताओं ने बताया कि यह सम्मेलन विभिन्न राज्यों और केंद्र में भाजपा सरकारों के खिलाफ अभियान को मजबूत करेगा. सम्मेलन में मजदूरों और किसानों की वर्तमान स्थिति और उनकी मांगों के सामान्य चार्टर की एक संयुक्त घोषणा तथा केंद्र और भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों के खिलाफ एक साझा कार्रवाई कार्यक्रम तैयार की जायेगी.

वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस और वामपंथी दलों ने सम्मेलन को समर्थन देने का वादा किया है. आयोजकों ने कहा कि यह बैठक केंद्र द्वारा उनके अधिकारों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ मजदूरों और किसानों के संयुक्त संघर्ष की योजना बनाने के लिए एक कदम है. सम्मेलन में देश भर से मजदूर, किसान और खेतिहर मजदूरों का प्रतिनिधित्व करने वाले सैकड़ों प्रतिनिधी हिस्सा लेंगे.

एसकेएम नेता और अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले ने कहा कि सम्मेलन “ऐतिहासिक” होगा. डॉ. धवले ने कहा, “स्वतंत्र भारत के 76 वर्षों के इतिहास में पहली बार, एसकेएम और सीटीयू के मंच के तहत किसानों और श्रमिकों का बड़ा वर्ग सम्मेलन के लिए एक साथ आ रहा है” इससे पहले सीटीयू ने 30 जनवरी को एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया था. एसकेएम ने देश के विभिन्न हिस्सों में भी बैठक की थी. लेकिन संयुक्त सम्मेलन पहली बार आयोजित किया गया है. किसानों की ओर से मुख्य मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक कानून, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पूर्ण कर्ज़ माफी, पेंशन और एक संशोधित फसल बीमा योजना शामिल है.

डॉ. धवले ने कहा कि केंद्र ने निर्यात और आयात नीतियों में गड़बड़ी की है और परिणामस्वरूप, प्याज किसान परेशान हैं. कॉरपोरेट कंपनियां और बिचौलिये पैसा कमाते हैं. इस सीजन की शुरुआत में प्याज 400 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा था. यदि उस समय केंद्र उचित मूल्य पर खरीद करता तो यह समस्या नहीं होती. अब, केंद्र का कहना है कि वह ₹2,410 की दर पर दो लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदेगा, जबकि किसानों के पास अतिरिक्त प्याज लगभग 40 लाख मीट्रिक टन है. यह पूरा खेल दिखावा है”

वहीं ट्रेड यूनियनों की ओर से, मुख्य मांगों में कम से कम ₹26,000 प्रति माह का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण को रोकना और बिजली अधिनियम संशोधन को रद्द करना शामिल है. मजदूर संगठन के उपाध्यक्ष आर.चंद्रशेखरन ने कहा,“इस सरकार ने अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है. वे सार्वजनिक उपक्रमों को कॉर्पोरेट घरानों को बेच रहे हैं. पीएसयू का निर्माण जनता के पैसे से किया गया. दूरसंचार और विमानन जैसे क्षेत्रों में, जहां निजीकरण बड़े पैमाने पर था, कई कंपनियां भारी मुनाफा कमाने और जनता को लूटने के बाद गायब हो गईं”