किसानों का तीन दिवसीय ‘रेल रोको’ आंदोलन समाप्त, मांगें न मानने पर दी बड़े आंदोलन की चेतावनी
किसानों ने शनिवार शाम को अपना तीन दिवसीय ‘रेल रोको’ आंदोलन समाप्त कर दिया है, जिससे बड़े स्तर पर हरियाणा और पंजाब में ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित रही.
प्रदर्शनकारी किसान हाल ही में आई बाढ़ से खराब हुई फसलों और घरेलू नुकसान की एवज में मुआवजे, एमएसपी पर कानूनी गारंटी और पूर्ण कर्ज माफी सहित विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ अपना आंदोलन चला रहे थे. किसानों ने गुरुवार 28 सितंबर से फरीदकोट, समराला, मोगा, होशियारपुर, गुरदासपुर, जालंधर, तरनतारन, संगरूर, पटियाला, फिरोजपुर, बठिंडा और अमृतसर में कई स्थानों पर रेलवे ट्रैकों को घेर लिया और अपना मोर्चा लगाकर बैठ गए.
शनिवार को पंजाब के आंदोलित किसानों को हरियाणा के किसानों का भी समर्थन मिला और हरियाणा के किसानों ने अम्बाला के पास रेलवे ट्रैक को जाम रखा. रेलवे अधिकारियों ने पत्रकारों को बताया कि किसानों के आंदोलन का सीधा असर अंबाला और फिरोजपुर रेलवे डिवीजनों पर पड़ा है.
शनिवार शाम को अपना आंदोलन खत्म करते हुए आजाद किसान कमेटी दोआबा के प्रदेश अध्यक्ष हरपाल सिंह संघा ने चेतावनी दी है कि अगर दशहरे तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो किसान केंद्र सरकार और कॉरपोरेट घरानों के पुतले जलाएंगे.
इस साल जुलाई महीने में हरियाणा और पंजाब में हुई अत्यधिक बारिश और हिमालय से इन मैदानी इलाकों में आने वाली नदियों में आई बाढ़ के कारण पंजाब और हरियाणा के बहुतेरे इलाके प्रभावित रहे. इन इलाकों में कितने ही किसानों की फसल इस बाढ़ के कारण खराब हो गई और किसानों पर पहले से ही काफी बढ़े आर्थिक दबाव को और बढ़ा दिया.
आंदोलन कर रहे किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार उत्तर भारत के इन किसानों के लिए 50,000 करोड़ के एक राहत पैकेज की घोषणा करे. इसके साथ ही किसानों के कर्जे को माफ किया जाए और स्वामीनाथन कमीशन रिपोर्ट पर आधारित एमएसपी गारंटी कानून को भी लागू करे. इसके अलावा किसानों की मांग है कि मनरेगा के अंदर मजदूरों को 200 दिन का रोजगार दिया जाए और पिछले साल हुए किसान आंदोलन के वक्त जिन किसानों पर केस किए गए थे, उन्हें भी वापस लिया जाए और इस दौरान जिन किसानों ने अपनी जान गवाई, उनके घर वालों को 10 लाख रुपए मुआवजा भी दिया जाए.
बीकेयू (शहीद भगतसिंह) के किसान नेता तेजबीर सिंह ने हमें बताया, “2021 में हुए लखीमपुर खेरी केस, जिसमें 4 किसानों की जान गई थी, उसके मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा जो केन्द्रीय गृहराज्यमंत्री अजय मिश्र के बेटे हैं उन पर भी कोई न कोई एक्शन लिया जाए.”
किसानों के तीन दिवसीय रेल रोको से उत्तर रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ है. इसके फिरोजपुर डिवीजन को 10 मालगाड़ियों के न चलने से लगभग 5 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है. रेलगाड़ियां रद्द होने के बाद लगभग 10,788 यात्रियों को 52.36 लाख रुपये भी लौटाए गए. मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक शुभम कुमार ने बताया कि ऑनलाइन कैंसिलेशन से संबंधित आंकड़े पांच दिन बाद पता चल सकेंगे. उन्होंने कहा कि ट्रेन रद्द होने का असर देश के सभी 16 जोनों पर पड़ा और नुकसान बहुत बड़ा होगा, जबकि ट्रेन परिचालन सामान्य होने में कुछ समय लगेगा.
किसान नेता सुरेश कोथ का कहना था कि, “हमारी माँग है कि आप जल्दी ही किसानों को बुला कर उनकी बात सुनिए, वरना आने वाले समय में बहुत सख़्त फ़ैसले लिए जा सकते हैं.”
आंदोलन की समाप्ति करते हुए पंजाब के किसान मज़दूरों ने कटोरे तोड़कर सरकार और कॉर्पोरेट घरानों का विरोध भी किया और कहा कि सरकार और कॉरपोरेट घराने किसान मज़दूरों को भिखारी बनाना चाहते हैं, लेकिन वे ऐसा हरगिज़ नहीं होने देंगे.
इस आंदोलन में महिलाओं की भी बड़े स्तर पर भागीदारी रही. आंदोलन को किसान मजदूर संघर्ष कमेटी, भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी); भारतीय किसान यूनियन (एकता आज़ाद); आज़ाद किसान समिति, दोआबा; भारतीय किसान यूनियन (बेहरामके); भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगतसिंह) और भारतीय किसान यूनियन (छोट्टूराम) जैसे करीब 17 किसान संगठनों ने अगुवाई दी.
इस बीच, रेलवे का नुकसान सरकारी और निजी ट्रांसपोर्टरों द्वारा चलाई जा रही एयरलाइंस और बसों के लिए मुनाफा कमाने के अवसर में तब्दील हो गया. पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी अधिकारियों ने कहा कि पिछले तीन दिनों के दौरान बसों में यात्रियों की संख्या लगभग दोगुनी रही.