फतेहाबाद: खाद के लिए लाइन में लगे बुजुर्ग किसान की मौत!

 

हरियाणा के फतेहाबाद जिले के भूना में गेहूं बिजाई के लिए डीएपी खाद खरीदने आए जांडली खुर्द के किसान की हार्ट अटैक से मौत हो गई. किसान सुबह से ही अनाज मंडी स्थित पैक्स के बाहर लाइन में लगा हुआ था. खाद लेने के लिए लाइन में लगे किसानों के लिए मौके पर पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं थी. किसान बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा जिसके बाद किसान को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार सुबह आठ बजे से ही डीएपी खाद खरीदने के लिए किसानों की लाइन लग गई थी. भूना ब्लॉक के किसान बड़ी संख्या में खाद खरीदने पहुंचे थे. वहीं इस पर सोसायटी प्रबंधक संदीप दहिया ने बताया, “सोमवार को एक हजार बैग डीएपी खाद आई थी. दोपहर तीन बजे तक लाइनों में लगे हुए किसानों को बिना भेदभाव के पांच-पांच कट्टे खाद दी गई थी.

किसान लाइन में अपना नंबर आने के चक्कर में भूखे-प्यासे खड़े रहे. इसी के परिणामस्वरूप डीएपी लेने के लिए लाइन में खड़े गांव जांडली खुर्द के 72 वर्षीय किसान दलेल सिंह गर्मी में बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े. किसानों ने उन्हें उठाकर सीएचसी केंद्र में पहुंचाया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

गेहूं बिजाई के सीजन में डीएपी खाद की कमी के चलते किसान अभी से डीएपी स्टॉक कर रहे हैं. 72 वर्षीय किसान दलेल सिंह 13 एकड़ जमीन पर खेती करते थे. गेहूं बिजाई के लिए अभी से ही डीएपी खाद की खरीदारी के लिए सोमवार सुबह सात बजे ही जांडली खुर्द से भूना अनाज मंडी में पहुंच गए थे. इसी दौरान सीने में दर्द हुआ तो वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े

वहीं इस घटना पर मार्केट कमेटी के ईश्वर सिंह ढाका ने कहा, “मार्केट कमेटी ने किसानों के लिए दोनों अनाज मंडी में पानी की व्यवस्था की हुई है. किसी सोसायटी के आगे मार्केट कमेटी पानी के कैंपर कैसे रख सकती है. जिस दुकान या सोसायटी में सामान बेचा जा रहा है, वहां पर पानी की व्यवस्था भी उचित मात्रा में होनी चाहिए.” 

वहीं किसान की मौत पर कांग्रेस नेता डॉ. विनीत पुनिया ने कहा, “भाजपा-जजपा सरकार किसानों पर कहर बनकर टूट रही है. इस सरकार की नीतियों के कारण आज किसान भारी संकट के दौर से गुजर रहा है. बीते कई वर्षों से डीएपी खाद और यूरिया के लिए मारामारी है. हर साल बुआई के सीजन में डीएपी खाद और यूरिया की कमी होती है, मगर प्रदेश सरकार ने इससे कोई सबक नहीं लिया है. ऐसा लगता है कि सरकार किसानों को सोची समझी साजिश के तहत प्रताड़ित करना चाहती है. किसान भूखे- प्यासे लाइनों में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं, मगर उन्हें खाद नसीब नहीं हो पा रहा है.”