किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरने वाला बजट: किसान संगठन
लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने मुख्य रूप से लागत पर 50% रिटर्न सुनिश्चित करने के साथ फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानूनी अधिकार की मांग को लेकर कहा कि केंद्रीय बजट कृषि क्षेत्र की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है. किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से किसानों की आय दोगुनी करने और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की सी2+50% की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी को कानूनी गारंटी प्रदान करने के अपने वादे को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया.
किसान नेताओं ने कहा कि पिछले कई बजटों की तरह, इस बजट ने भी उनकी उम्मीदों पर पानी फेरने का काम कर किया उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए शासन के पिछले 11 साल में कर्ज माफी न किए जाने की भी आलोचना की.
पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि उन्हें पहले उम्मीद थी कि सरकार किसानों के हित में काम करेगी, लेकिन फसलों पर एमएसपी के कानूनी अधिकार की मांग को लागू न करके यह साबित हो रहा है कि सरकार इसके उलट काम कर रही है. उन्होंने कहा, “ऐसा करके सरकार ने साबित कर दिया है कि सरकार डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के निर्देशों के अनुसार काम कर रही है.”
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि सरकार के दावों और उसके कामों में बहुत अंतर है. उन्होंने कहा, “किसान एमएसपी के कानूनी अधिकार के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. हमारे नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने पिछले 68 दिनों से आमरण अनशन करके अपनी जान जोखिम में डाल दी है, लेकिन कुछ नहीं हुआ.”
किसान नेता मनजीत सिंह धनेर ने कहा कि वे सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी और सुनिश्चित खरीद के लिए कई साल से इंतजार कर रहे थे. धनेर ने कहा, “जब यूपीए सरकार 2008 में कृषि ऋण माफी लेकर आई थी, तब से किसान एक और ऋण माफी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन इस सरकार ने केवल दावे किए हैं और वास्तव में कुछ नहीं किया है.”