कोरोना संकट में यूरिया की किल्लत, एमपी-महाराष्ट्र में लंबी लाइनें

 

कोरोना संकट के बीच यूरिया की किल्लत ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस साल अच्छे मानसून और जल्द बुवाई की वजह से यूरिया की मांग भी जल्द बढ़ने लगी है। लेकिन जरूरत के मुताबिक आपूर्ति नहीं होने से मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में यूरिया के लिए किसानों की लंबी लाइनें लगने लगी हैं।

हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा से मिलकर राज्य के लिए यूरिया का कोटा बढ़ाने का अनुरोध किया था। लेकिन जब तक यह मांग पूरी होती, उससे पहले ही यूरिया के लिए मारामारी और कालाबाजारी की खबरें आने लगी हैं। यूरिया के लिए लंबी लाइनें लगने से महामारी का खतरा भी बढ़ रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार, मध्यप्रदेश के खड़वा, खरगोन, बुरहानपुर, देवास, हरदा, उज्जैन और बैतूल जिलों में यूरिया की काफी किल्लत है। इन जिलों से खरीफ सीजन के लिए जितने यूरिया की मांग शासन को भेजी गई थी, उसके मुकाबले काफी कम यूरिया की रैक पहुंची हैं। नतीजन, सहकारी समितियों पर यूरिया के लिए किसानों की लंबी लाइनें हैं या फिर यूरिया की कालाबाजारी हो रही है।

यूरिया की किल्लत को लेकर कांग्रेस ने भी मध्यप्रदेश सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। किसान कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही का कहना है कि शिवराज सरकार के पास यूरिया की किल्लत से निपटने का कोई प्लान ही नहीं है। भाजपा का पूरा ध्यान सरकार गिराने और बनाने पर रहा। किसानों की समस्याओं का इनके पास कोई समाधान नहीं है।

इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि जुलाई के लिए डेढ़ लाख टन और अगस्त-सितंबर के लिए 4.25 लाख टन यूरिया की अतिरिक्त आवश्यकता है। चौहान ने केंद्र सरकार से 5.75 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त यूरिया के शीघ्र आवंटन की मांग की है। इस साल अच्छी बारिश और बुवाई का क्षेत्र बढ़ने से प्रदेश में यूरिया की मांग 23 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। इस साल खरीफ सीजन के लिए केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को 11 लाख टन यूरिया देने पर सहमति जताई थी।

मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी कई जगहों से यूरिया की किल्लत और कालाबाजारी की खबरें आ रही हैं