क्या विशाल जूड की रिहाई की मांग के पीछे धार्मिक और जातीय उन्माद की स्क्रिप्ट छिपी है?
विशाल जूड को सिडनी पुलिस ने 16 अप्रैल 2021 को गिरफ़्तार किया था. उस पर आरोप है कि वह हैरिस पार्क इलाक़े में सिखों पर हुए तीन अलग-अलग नस्लीय हमलों में शामिल था. पुलिस ने अपने ब्यान में कहा कि उनके पास विशाल के ख़िलाफ़ सीसीटीवी फुटेज है, जिसमें वह अपने कुछ अन्य साथियों के साथ सिडनी के हैरिस पार्क इलाके में सिखों पर हमला करते हुए देखा जा सकता है.
हैरिस पार्क में हुई जिन तीन अलग–अलग घटनाओं का ज़िक्र सिडनी पुलिस ने किया है उनमें से पहली घटना 16 सितम्बर 2020 की है, जब रात के करीब 8:30 बजे ब्रिसबेन स्ट्रीट के पास से गुजर रहे एक व्यक्ति पर पांच लोगों के समूह ने मिलकर हमला कर दिया. इस हमले में उस व्यक्ति के मुहं और सर पर गंभीर चौटें आई, जिसके चलते उसे पास के ही वेस्टमीड हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया.
दूसरी घटना 14 फ़रवरी 2021 की है, जब लगभग शाम के 6:30 बजे मैरिओन स्ट्रीट पर एक व्यक्ति की काली रेंज रोवर को जबरन रुकवाकर लाठी डंडो से ताबड़तोड़ हमला किया गया. इस हमले में कार चालक तो किसी तरह बच गया लेकिन उसकी गाड़ी को काफ़ी नुकसान हुआ.
तीसरी घटना 28 फ़रवरी 2021 की है, जब कैंडल स्ट्रीट पर लगभग दस लोगों ने मिलकर एक गाड़ी में जा रहे चार लोगों को घेरकर उनपर हमला किया. ये पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई जिसके आधार पर पुलिस ने विशाल को गिरफ़्तार किया. इस घटना में घायल एक व्यक्ति ने लोकल टीवी चैनल 7 न्यूज को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि उनको इसलिए टारगेट किया गया क्योंकि वह सिख है.
हालांकि इन मामलों में आरोपी विशाल ने स्थानीय अदालत में बेल के लिए अर्जी भी लगाई थी, जो अदालत ने खारिज़ कर दी. सिडनी पुलिस का यह भी कहना है कि विशाल का वीज़ा खत्म हो चुका था और वह ऑस्ट्रेलिया में गैर क़ानूनी रूप से रह रहा था. विशाल के फेसबुक अकाउंट को देखने पर उसके कट्टर हिंदुवादी संगठनों से जुड़े होने का पता चलता है. हालांकि अब उसका फेसबुक अकाउंट प्रतिबंधित कर दिया गया है.
टाइम्स नाऊ को दिए गए अपने ब्यान में विशाल के बड़े भाई का कहना है कि विशाल हैरिस पार्क इलाके में किसान आन्दोलन के समर्थन में निकाली जा रही रैली में पंहुचा तो उसने पाया कि वहां देश विरोधी नारे लग रहे थे और तिरंगे का अपमान किया जा रहा था. विशाल ने इसका विरोध किया जिसके चलते उसके साथ रैली में मौजूड लोगों ने मारपीट की. परिवार के मुताबिक उनके बेटे की कोई गलती नहीं है और उसे रैली में मौजूद लोगों के दबाव के कारण ही उसे गिरफ़्तार किया गया है. हालांकि जिस तरह के आरोप विशाल के भाई ने लगाए हैं, उनकी कोई अधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है.
इधर भारत में भी यह मामला तूल पकड़ रहा है. भाजपा नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक, सभी दक्षिणपंथी लोग इस मामले को लगातार धार्मिक और जातीय रंग देने की कोशिश कर रहे हैं.
इस मामले को किसान आंदोलन से भी जोड़ा जा रहा है.भारतीय किसान यूनियन (चढुनी) के करनाल जिलाध्यक्ष जगदीप सिंह ओलख ने हमें बताया, “विशाल की रिहाई हम भी चाहते है, वो हमारा ही बच्चा है. हो सकता है कि वह गलत लोगों के संपर्क में आकर भटक गया हो, लेकिन वह हमारा ही बच्चा है. भाजपा सरकार इस पूरे मामले को हिन्दू बनाम सिख बनाने में लगी है. करनाल से भाजपा सांसद संजय भाटिया का यह पूरा प्लान है और उनके कहने पर ही इस पूरे मामले को जातीय और धार्मिक रंग देने का काम किया जा रहा है.”
जगदीप ओलख ने दबे स्वर में बताया कि भाजपा सरकार को यह एहसास हो गया है कि हिसार और जींद में तो वे अपनी तिकड़मों से आन्दोलन को तोड़ नहीं पाए. अब करनाल और कुरुक्षेत्र इनका नया टारगेट है और उसी प्लान के तहत यहां इनकी पार्टी के नेता काम कर रहे हैं.
इस मामले में एक दिन पहले ही यानी 18 जून को विशाल के समाज से कुछ लोग उसकी रिहाई की मांग को लेकर भाजपा सांसद संजय भाटिया से भी मिलने गए थे, जिसके जवाब में संजय भाटिया ने हर संभव मदद का भरोसा दिया था.
जब हमने इस मामले को लेकर भाजपा सांसद संजय भाटिया से बात करनी चाही तो उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया, जैसे ही उन से बात होगी हम स्टोरी अपडेट करेंगे.
इस मामले को लेकर करनाल और आसपास के इलाकों में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है, एक समुदाय विशेष के लोग लगातार दूसरे समुदाय के धार्मिक स्थलों को टारगेट करके उनके सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और यात्राएं निकली जा रही हैं. ऐसा ही एक मामला करनाल के निस्सिंग इलाके से सामने आया है, जहाँ रोहरी साहिब गुरूद्वारा को निशाना बनाते हुए उसके सामने से विशाल जूड के समर्थन में यात्रा निकाली गई और वहां रूक कर नारेबाज़ी की गई.
इस घटना के जवाब में सिख समुदाय ने भाजपा नेता संजय भाटिया द्वारा मामले को धार्मिक रंग देने का आरोप लगाया. भाजपा नेताओं के खिलाफ सिख समुदाय ने एक रोष मार्च निकालकर अपना विरोध भी दर्ज करवाया है. करनाल के एक गुरुद्वारा प्रमुख कंवरजीत सिंह ने हमें बताया, “स्थानीय भाजपा नेता इस घटना के जरिए समाज का आपसी भाईचारा बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं और साथ ही किसान आन्दोलन को भी टारगेट कर रहे हैं. हमें विशाल की रिहाई से कोई दिक्कत नहीं है मगर इस पूरे मामले की आड़ लेकर सिख समुदाय और उनके गुरुद्वारों को टारगेट न किया जाए. हमने आज प्रशासन को ज्ञापन देकर इस मामले में सभी से शांति बनाए रखने की अपील की है.”
इसके उलट दक्षिणपंथी संगठन इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं. इसी कड़ी में आज एक और यात्रा ‘राजपूत यूथ ब्रिगेड’ के बैनर तले पंचकुला से शुरू होकर अम्बाला, कुरुक्षेत्र होते हुए करनाल पहुंची. इस यात्रा में कट्टर धार्मिक नारे लगाते हुए युवाओं की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
किसान यूनियन के नेता जगदीप ओलख का मानना है कि सत्ताधारी पार्टी इस मामले की आड़ में करनाल और आसपास के इलाकों में धार्मिक और जातीय ध्रुवीकरण की राजनीति को हवा दे रही है, जिसका मुख्य उद्येश्य इस इलाक़े में मजबूत हो रहे किसान आन्दोलन को कमज़ोर करना है.