पांच ट्रिलियन इकॉनमी के सपने वाले देश में एक पांच साल की मासूम बच्ची की पीने का पानी न मिलने से मौत
राजस्थान के जालोर जिले के सिरोही गाँव की अंजलि की पीने का पानी न मिलने से मौत हो गई. दादी सुखी (60) के साथ रिश्तेदार के घर जाते समय रास्ते में पानी न मिलने के कारण अंजली ने दम तोड़ दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सुखी देवी ने बताया है कि उनको लगभग 9 किमी दूर जाना था. मुख्य सड़क के रास्ते दूरी लगभग दोगुनी पड़ती है इसलिए वो पैदल ही एक छोटे और कच्चे रास्ते से जा रहे थे. सुखी देवी इस छोटे रास्ते से पहले भी आती-जाती रही हैं.
सुखी देवी और उनकी पोती अंजलि 5 जून की सुबह अपने घर से निकली थीं. पूरा दिन चलने के बाद दोनों ने एक रात रास्ते में ही पहाड़ी पर बिताई. अगली सुबह दोनों ने फिर से अपनी यात्रा शुरू की. कुछ देर चलने के बाद रोड़ा गाँव के पास पहुंचते ही चक्कर आने के बाद दोनों जमीन पर गिर पड़ीं.
रोड़ा गाँव के एक चरवाहे नागजी राम ने दोनों को जमीन पर पड़े हुए देखकर गाँव के सरपंच को सूचना दी. सरपंच और गाँव वालों की मदद से दोनों को पहले रानीवाड़ा गाँव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां डॉक्टर ने अंजलि को मृत घोषित कर दिया. उसके बाद सुखी देवी को जोधपुर मेडिकल कॉलेज ले जाया गया.
मामले को लेकर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को दिए अपने बयान में कहा, “लड़की की मौत की वजह पानी की कमी नहीं कुछ और है.”
हालांकि उनका ये दावा जालोर जिले की उपायुक्त नम्रता वृशनी के ब्यान से बिलकुल मेल नहीं खाता है. उपायुक्त ने मेडिकल रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए इस बात की पुष्टि की है कि अंजलि की मौत उसके शरीर में पानी की गंभीर कमी के कारण हुई है.
अंजलि एक खेतिहर मजदूर परिवार से आती थीं जिनकी खुद की कोई जमीन नहीं है. सुखी देवी ने बताया, “हम जब भी इस रास्ते से जाते थे तो हमेशा पानी की बोतल साथ रखते थे. इस बार पानी की बोतल साथ लेना भूल गए और रास्ते में कहीं पर भी पीने का पानी नहीं मिला.”
वहीं स्वास्थ्य विभाग के मुख्य अभियंता नीरज माथुर ने कहा, “सिरोही-जालोर क्षेत्र में पीने के पानी की कमी नहीं है. अंजली अपनी दादी के साथ जिस रास्ते से गुजर रही थी, उसके आसपास कोई इंसानी बस्ती नहीं है जहाँ से वो पानी पी सकती थीं और इस रास्ते पानी न मिलने की वजह से अंजली की मौत हुई है”
वहीँ राजस्थान के स्वास्थ्य और जल संसाधन मंत्री बी.डी काला ने अखबार को दिए अपने ब्यान में उल्टा अंजलि पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “यदि कोई जंगल के रास्ते गुजरेगा और साथ में पानी नहीं लेकर जाएगा तो इसके लिए राज्य सरकार कैसे जिम्मेदार हो सकती है.”
राजस्थान सरकार की खुद की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य के ग्रामीण इलाकों में रह रहे लगभग एक करोड़ से अधिक परिवारों को पीने के पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इसके बावजूद अभी तक केवल 20 लाख परिवारों तक ही नल का पानी पहुंचा है. पीने के पानी की कमी से मासूम बच्ची की मौत सरकार की जल नीति पर सवाल खड़े कर रही है.
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