अब तक का सबसे बड़ा बैंक घोटाला आया सामने, 34 हज़ार करोड़ से भी ज़्यादा का हुआ है फ्रॉड
देश में अग्निपथ स्कीम का विरोध, महाराष्ट्र में सियासी उठापटक और असम में बाढ़ की खबर के बीच देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला सामने आया है. बताया जा रहा है कि यह घोटाला 34 हजार करोड़ रुपए से अधिक का है.
सीबीआई ने इस मामले में दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड जिसे डीएचएफएल के नाम से जाना जाता है, में उसके सहयोगियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है. साथ ही देश भर में कई जगहों पर छापेमारी भी की है.
सीबीआई ने छापेमारी के दौरान कई अहम दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए हैं. इससे पहले सबसे बड़े घोटाले के तौर पर एबीजी शिपयार्ड का 22 हजार करोड़ का बैंक घोटाला सामने आया था.
एक साल पहले भी डीएचएफएल का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद से गरीबों को घर देने के नाम पर सब्सिडी हड़पने का मामला सामने आया था. डीएचएफएल जो कि एक प्राइवेट फाइनेंस कंपनी है, ने इसके लिए 80 हज़ार फर्जी अकाउंट खोले, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के फर्जी लोगों को खड़ा किया, उन्हें लोन दिया और सरकार से मिली रियायत को हड़प गए.
प्रधानमंत्री आवास योजना में इस हेराफेरी को करीब 14 हजार करोड़ रुपये का घोटाला बताया गया. यस बैंक के साथ मिलकर भी डीएचएफएल ने अंदरखाने भारी उलटफेर किया.
कैसे हुआ घोटाला?
डीएचएफएल द्वारा किया गया यह घोटाला साल 2010 से जारी है. आरोप है कि डीएचएफएल समय समय पर बैंकों से क्रेडिट सुविधाएं लेती रही है. यह कंपनी कई क्षेत्रों में काम करती है.
इस कंपनी ने 17 बैंकों के समूह से जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, आईडीबीआई, यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंकों से दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता और कोचीन आदि जगहों पर क्रेडिट सुविधा ली.
आरोप है कि इस कंपनी ने बैंकों से कुल 42 हजार करोड़ से ज्यादा का लोन लिया, लेकिन उसमें से 34,615 हजार करोड़ रुपए का लोन वापस नहीं किया. साथ ही उनका एक खाता 31 जुलाई, 2020 को एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्तियां) हो गया.
इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड, उसके निदेशक कपिल वधावन, धीरज वधावन एक अन्य व्यक्ति सुधाकर शेट्टी अन्य कंपनियों गुलमर्ग रिलेटेर्स, स्काईलार्क बिल्डकॉन दर्शन डेवलपर्स, टाउनशिप डेवलपर्स समेत कुल 13 लोगों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
जांच एजेंसी ने पाया है कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन, तत्कालीन चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कपिल वधावन, निदेशक धीरज वधावन और रियल्टी क्षेत्र की छह कंपनियां यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह के साथ की गई धोखाधड़ी की साजिश में शामिल थीं. सुधाकर शेट्टी की रिएल्टर कंपनी समेत 6 रिएल्टर कंपनियां एजेंसी के रडार पर हैं.
सीबीआई ने बैंक से 11 फरवरी, 2022 को मिली शिकायत के आधार पर यह कार्रवाई की है. इससे पहले 2021 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सीबीआई को डीएचएफएल के प्रमोटर्स और तत्कालीन प्रबंधन की जांच करने के लिए लिखा था.
इसे सीबीआई की ओर से की जा रही अब तक की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी की जांच का मामला बताया जा रहा है. कंपनी के प्रमोटर रहे कपिल और धीरज वधावन के खिलाफ बैंक फ्रॉड का केस दर्ज हो गया है.
सीबीआई के 50 से ज्यादा अधिकारियों की टीम ने 23 जून को पहले आरोपियों के मुबंई स्थित 12 ठिकानों की तलाशी ली. वधावन बंधु यस बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी राणा कपूर के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी हैं.
धीरज वधावन को 26 अप्रैल 2020 को यस बैंक मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया था. ये केस यस बैंक के सीईओ राणा कपूर के साथ मिलकर कथित 3700 करोड़ रुपये की हेरा-फेरी से जुड़ा है. अपनी गिरफ्तारी के बाद वधावन ने जेल से ज्यादा समय अस्पताल में रहकर बिताया. रिपोर्ट के मुताबिक वधावन की जमानत कई बार खारिज की गई, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सिर्फ 9 महीने ही जेल में बिताए. बाकी उनका करीब 15 महीने का वक्त अस्पताल में रह कर निकाला.
साल 2020 में अपनी गिरफ्तारी से पहले भी वधावन बंधुओं और उनके परिवार ने सुर्खियां बटोरी थीं. तब कोविड चरम पर था और महाराष्ट्र में लॉकडाउन था. इसके बावजूद वधावन परिवार एक सीनियर आईपीएस ऑफिसर की मदद से खंडाला से निकलकर अपने महाबलेश्वर के फार्म हाउस पहुंच गए थे.
इस मामले को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि डीएचएफएल के खातों की जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई थी. मार्च 2021 में प्रधानमंत्री आवास योजना मामले में सीबीआई ने डीएचएफएल को आरोपी बनाया, लेकिन ये घोटाला पीएम आवास योजना के ऑडिट में नहीं, यस बैंक मामले की जांच में सामने आया.
उन्होंने कहा कि बीजेपी लगातार डीएचएफएल से चंदा ले रही थी. बीजेपी ने डीएचएफएल और इसके प्रमोटरों से जुड़ी कंपनियों से 28 करोड़ रुपये का चंदा लिया. क्या ये एक हाथ से ले दूसरे हाथ से दे का मामला है? बीजेपी ने 28 करोड़ रुपये का चंदा क्यों लिया? क्या यह रिश्वत थी?