तीन साल में केडिया बना बिहार का पहला जैविक गांव
Shiv Kumar Singh / Greenpeace
बिहार के जमुई जिले में एक गांव है केडिया। जैसा कि देश के अधिकांश गांवों की कृषि की स्थिति है, वही स्थिति इस गांव की भी थी। यहां के किसान रसायनिक खाद का इस्तेमाल अच्छी फसल की उम्मीद में कर रहे थे। इसके बावजूद अपेक्षित उत्पादन नहीं हो रहा था। इस वजह से किसानों की आमदनी कम थी। देश के दूसरे गांवों की तरह इस गांव के किसानों का भी खेती से मन भरने लगा था और ये सारी उम्मीदें छोड़ने लगे थे।
ऐसे ही समय में बिहार के इस गांव में एक तरह की ‘कृषि क्रांति’ का सूत्रपात हुआ। गैर सरकारी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय किसानों और उनमें भी खास तौर पर महिलाओं की भागीदारी के साथ यहां की खेती को प्रकृति केंद्रीत बनाने के लिए एक जीवित माटी अभियान की शुरुआत हुई। यह तय किया गया कि खेती के लिए रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करनी है।
इसके बाद यह गांव के लोगों ने जैविक खेती की ओर रुख किया। यह काम इतना आसान नहीं था। लेकिन केडिया के किसानों ने हार नहीं मानी और लगातार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम करते रहे।
इन कोशिशों का नतीजा यह हुआ कि केडिया गांव पूरे बिहार राज्य का पहला जैविक गांव बन गया। 17 नवंबर, 2018 को केडिया को बिहार सरकार ने राज्य के पहले जैविक ग्राम के तौर पर मान्यता दे दी। आम तौर पर यह धारणा है कि जैविक खेती करने से खेती लागत बढ़ जाती है। इस गांव में उलटा हुआ। यहां काम कर रहे सामाजिक संगठनों के मानें तो इस गांव में खेती की लागत जैविक खेती की ओर बढ़ने से 60 फीसदी तक कम हो गई।
केडिया गांव की जैविक खेती की इस यात्रा में गांव में जल संरक्षण को लेकर भी जागरूकता आई। यहां के लोगों ने बारिश के पानी के संरक्षण का रास्ता निकाला। साथ ही खाना बनाने के लिए बायोगैस के इस्तेमाल करने की तरकीब भी इस गांव के लोगों ने अपनाई। जैविक खेती से पैदा होने वाले कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाला एक कोल्ड स्टोरेज बनाया गया। इससे यहां के कृषि उत्पाद लंबे समय तक खराब नहीं होते हैं और इन्हें बाजार तक पहुंचाने के लिए किसानों को पर्याप्त समय मिल जाता है। इन उपायों से इस गांव में न सिर्फ खेती प्रकृति केंद्रित हुई बल्कि स्थानीय लोगों का जीवन भी प्रकृति केंद्रित बनता गया।
केडिया गांव की इस सफलता ने न सिर्फ प्रदेश स्तर के बल्कि बाहर के शोधार्थियों को भी अपनी ओर आकर्षित किया है। लोग यहां का सफल प्रयोग देखने आ रहे हैं। बिहार सरकार के कृषि मंत्री भी इस गांव का दौरा कर चुके हैं। बिहार का कृषि मंत्रालय राज्य के दूसरे हिस्से में जैविक खेती करने वाले लोगों को केडिया गांव लाकर यहां के सफल प्रयोग को दिखाने की एक योजना चला रहा है।
अब इस गांव के लोग दूसरे गांवों के लोगों को भी अपनी सफलता की कहानियां बता रहे हैं। ये दूसरे गांवों के लोगों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इस काम के लिए केडिया गांव के लोग दूसरे गांवों के लोगों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं। जमुई से सटे जिलों के तकरीबन 500 किसानों ने केडिया गांव में आकर जैविक खेती से संबंधित प्रशिक्षण हासिल किया है।
इसका असर यह हो रहा है कि जो लोग प्रशिक्षण लेकर जा रहे हैं, वे भी अपने गांव में केडिया माॅडल को अपनाने की कोशिश करते हुए जैविक खेती की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। जमुई जिला प्रशासन ने पिछले दिनों यह निर्णय लिया है कि जिले के सभी दस प्रखंडों में कम से कम एक गांव केडिया माॅडल के आधार पर विकसित किए जाएं। सरकार के स्तर पर भी और कुछ गैर सरकारी संगठनों के स्तर पर भी यह कोशिश हो रही है कि राज्य के दूसरे जिलों में केडिया की तर्ज पर जैविक गांव विकसित किए जाएं।