बिन ब्रेक खाद्य महंगाई बेकाबू, दिसंबर में मुद्रास्फीति का लगा टॉप गियर
खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण खुदरा महंगाई पिछले चार महीनों में सबसे ज़्यादा दिसंबर के महीने में 5.69 पर पहुँच गई है. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) जिसको हम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक भी कहते हैं, पिछले चार महीनों में उच्च स्तर पर है. अगर हम नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक देखें तो 5.55 फीसद था, जोकि दिसंबर की तुलना में 0.14 फीसद कम था.
खुदरा मंहगाई बढ़ने का कारण यह रहा कि दिसंबर में सब्जी, तेल, मसाले, फल इत्यादि के दाम सबसे ज़्यादा बढ़े हैं. नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस के आकड़ों को देखें तो दिसंबर में खाद्य महंगाई दर 9.53 प्रतिशत रही है, जोकि नवंबर के महीने में 8.7 प्रतिशत थी. बल्कि नवंबर 2022 में खाद्य महंगाई दर 4.9 प्रतिशत थी. 2022 के मुकाबले खाद्य महंगाई दर दिसंबर 2023 में 4.63 ज्यादा है, जोकि दोगुने से भी ज्यादा है. यही कारण है कि महंगाई पिछले चार महीनों में सबसे ज्यादा है. आम आदमी अपनी रोजमर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने के लिए बहुत ज्यादा कीमतें चुका रहा है. गरीब आदमी की खाने की थाली में पोषण में कमी आई है.
अगर हम पिछले दो महीनों के महंगाई दर का आंकलन करें तो पता चलेगा कि सब्जी,फल,दाल, चीनी , बेवरेजेज आदि के दामों में भारी उछाल आया है. सब्जियों की बात करें तो नवंबर के महीने में मंहगाई दर 17.70 प्रतिशत थी, जो दिसंबर में बढ़कर 27.64 प्रतिशत हो गई. नवंबर से दिसंबर में सब्जियों की मंहगाई दर 9.94 प्रतिशत बढ़ गई. जब हमने लोगों से इस बारे में बातचीत कि तो उन्होंने भी माना कि सब्जियों के दाम दिसंबर में ज्यादा थे. इसी तरह से अगर हम फलों की महंगाई दर की बात करें तो नवंबर में यह 10.95 प्रतिशत थी, जो दिसंबर में बढ़कर 11.14 प्रतिशत हो गई. दालों के दाम देखें तो नवंबर में जहाँ महंगाई दर 20.23 प्रतिशत थी, वहीं दिसंबर में 20.27 प्रतिशत हो गई. इसी तरह चीनी और बाकी खाने-पीने की वस्तुओं के दाम भी बढ़े हैं, जिससे खुदरा मंहगाई पिछले चार महीनों में सबसे ज़्यादा है.
अगर हम गांव और शहर के आधार पर महंगाई की तुलना करें तो गाँवों में मुद्रास्फीति दिसंबर के महीने में 5.93 प्रतिशत रही जबकि शहरों में 5.46 प्रतिशत रही. नवंबर के महीने में मुद्रास्फीति गाँवों में 5.85 प्रतिशत थी और शहरों में 5.26 प्रतिशत थी. हम देख सकते हैं कि शहरों के मुकाबले गाँवों में मंहगाई दर ज्यादा रही है. लेकिन हम जानते हैं कि गाँवों में रहने वाले लोगों की आय शहरों में रहने वाले लोगों की तुलना में कम होती है, तो हम कह सकते हैं कि देहातियों पर मंहगाई ने दोहरी मार मारी है.
अगर हम राज्यों के हिसाब से महंगाई दर को देखें तो सबसे ज्यादा मंहगाई दर 8.73 प्रतिशत ओडिशा में रही. दूसरे स्थान पर गुजरात में 7.07 प्रतिशत रही. तीसरे स्थान पर राजस्थान में मंहगाई दर 6.95 प्रतिशत रही और चौथे स्थान पर हरियाणा की मंहगाई दर 6.72 प्रतिशत रही.
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