रेत की चादर से ढकी धान की खेती, किसानों ने खोई नई फसल की उम्मीद!

 

लगातार बारिश के साथ-साथ हथिनीकुंड बैराज से लगभग 3.4 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने और दो स्थानों पर बांध टूटने के कारण यमुना के पास स्थित हजारों एकड़ खेती नष्ट हो गईं. यमुना के पास स्थित कृषि भूमि में बाढ़ का पानी घटने के साथ, किसान अब अपनी फसलों के लिए चिंतित हैं.

यमुना से सटे करनाल के गढ़पुर टापू और मूसेपुर गांव बाढ़ के पानी के साथ खेतों में आई भारी मात्रा में रेत से परेशानी में हैं. किसानों के अनुसार खनन विभाग की अनुमति के बिना वे अपने खेतों से रेत नहीं हटा सकते, अन्यथा उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.

अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून में छपी रिपोर्ट के अनुसार चौगामा गांव के किसान मंजीत चौगामा ने अपने नुकसान गिनाते हुए कहा, “यमुना के किनारे के लगभग सभी खेत, जो जलमग्न थे, रेत की मोटी चादर से ढक गए हैं. फसलें भी रेत के नीचे दब गई हैं, जिससे किसान अपनी फसलों को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं.” चगामा ने कहा, “लगभग 2 से 3 फीट रेत की परत ने मेरी जमीन को ढक दिया है, जिससे इसकी उर्वरता नष्ट हो सकती है.” उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों को रेत उठाकर अपने खेत साफ करने की अनुमति देनी चाहिए और उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.

गढ़ी बीरबल के किसान विराज की भी यही कहानी है, विराज ने गढ़पुर टापू में दस एकड़ में धान की खेती की थी. विराज ने कहा, “मेरी धान की फसल रेत से ढक गई है. जिससे वह बेकार हो गई है. मुझे दोबारा इसकी रोपाई करनी है, लेकिन इस हाल में धान की दोबारा रोपाई करना संभव नहीं है. मुझे अपने खेत साफ करने की इजाजत दी जानी चाहिए” उन्होंने आगे कहा, “मैं पहले ही प्रति एकड़ ठेके के रूप में 40,000 रुपये, रोपाई के लिए 3,500 रुपये, बीज के लिए 5,000 रुपये प्रति एकड़ खर्च कर चुका हूं, लेकिन रेत के रूप में एक नई चुनौती के अलावा कुछ नहीं मिला.”

एक अन्य किसान धर्मबीर ने फिर से धान की रोपाई करने की सारी उम्मीदें खो दी हैं किसान नेता बहादुर सिंह महला ने कहा कि सरकार को किसानों को बिना किसी कानूनी कार्रवाई के रेत हटाने की अनुमति देनी चाहिए. उन्होंने बाढ़ से किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा देने की भी मांग की. वहीं करनाल के डिप्टी कमिश्नर अनीश यादव ने कहा, यह मामला मेरे संज्ञान में आया है. लेकिन, यह एक नीतिगत मामला है, इसलिए मैं इसे संबंधित अधिकारी के संज्ञान में लाऊंगा ताकि किसानों को राहत दी जा सके.”

वहीं स्थानीय विधायक हरविंदर कल्याण ने कहा, “किसानों की जमीन से रेत हटाने का मामला खनन विभाग से जुड़ा है और उनके हित के लिए मैं इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाऊंगा ताकि किसानों को अपने खेतों से रेत निकालने की अनुमति मिल सके.”