टमाटर की महंगाई के बावजूद क्यों घाटे में रहा किसान?
टमाटर की कीमतों में आए उछाल ने देश की राजनीति को गरमा दिया। थोक मंडियों में आवक कम होने से कई शहरों में टमाटर की कीमतें 100 रुपये तक पहुंच गईंं। हालांकि, अब टमाटर की कीमतें काबू में आने लगी है। लेकिन खुदरा कीमतों में जबरदस्त उछाल के बावजूद किसानों को इसका फायदा मिल। आईये समझते हैं आखिर क्यों महंगा हुआ टमाटर-
सूखे की मार, वायरस का हमला
देश के विभिन्न राज्यों में टमाटर की पैदावार घटने से कीमतें अचानक चढ़ गईं। इस साल सूखे के कारण महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में टमाटर की काफी फसल बर्बाद हो गई। अत्यधिक गर्मी के कारण टमाटर की फसल कई तरह की बीमारियों और कीटों की चपेट में रही। उत्पादन गिरने का सीधा असर मंडियों में टमाटर की आवक पर पड़ा जिसके बाद दाम बढ़ने लगे।
प्रति एकड़ 50 हजार तक का नुकसान
इस साल देश के 13 राज्यों में पड़े भयंकर सूखे की मार टमाटर की फसल पर भी पड़ी है। टमाटर उत्पादक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और केरल में इस साल उत्पादन कम है। दरअसल, अप्रैल से ही भीषण गर्मी और गर्म हवाओं के चलते टमाटर में फूल ही नहीं आए। टमाटर उत्पादक राज्यों में सिंचाई की कमी के चलते भी इस साल उत्पादन पर असर पड़ा। एक एकड़ में टमाटर की फसल पर करीब 70 हजार रुपए का खर्च आता है। जबकि लागत निकालने के बाद किसान के हाथ में 30 से 40 हजार रुपए ही आ रहे हैं।
टस्पा वायरस का प्रकोप
देश के प्रमुख टमाटर उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में तकरीबन सवा लाख हेक्टेअर क्षेत्र में टमाटर की खेती होती है। इसमें से करीब 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिजेंटा कंपनी का बीज टीओ-1057 को लगाया गया था। मिली जानकारी के अनुसार, सिजेंटा के बीजों पर टस्पा वायरस का प्रकोप काफी रहा। इस वायरस से टमाटर तीन रंग लाल, पीला और हरा पड़कर खराब हो जाता है। इसके अलावा बाकी किस्म के टमाटर में भी किसी में टस्पा और किसी में पत्तियां सिकुड़ने का रोग लगा। नतीजा यह हुआ कि प्रति हेक्टेअर टमाटर का उत्पादन 60-70 टन से घटकर 10-20 टन पर आ गया।
महाराष्ट्र सरकार ने बीज पर लगाया प्रतिबंध
सिजेंटा कंपनी ने फसल खराब होने की दशा में किसानों को इसकी क्षतिपूर्ति दिए जाने का वादा किया था। लेकिन कंपनी अपने वादे से मुकर गई। किसानों की शिकायत पर राज्य सरकार ने सिजेंटा की टीओ-1857 प्रजाति के बीज पर प्रतिबंध लगा दिया है।