हरियाणा में गहराता बिजली संकट, सरकार कर रही 24 घंटे बिजली सप्लाई का दावा, लग रहे 6-6 घंटे के लंबे कट
हरियाणा सरकार के पास लगभग 15 दिन का ही कोयला स्टॉक ही बचा हुआ है. अगर आने वाले कुछ समय में कोयले की आपूर्ति नहीं बढ़ती है, तो बिजली संकट और गहरा सकता है. अभी तक बिजली की कमी का असर केवल घरेलू उपभोक्ताओं पर ही था, लेकिन अब उद्योगाें के लिए भी कट तय कर दिए हैं. अभी के लिए डेढ़ घंटे का कट तय किया गया है. अगर जल्द ही आपूर्ति में सुधार नहीं होता है, तो उद्योगों में उत्पादन प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ेगा.
आम तौर पर शहरों में 24 घंटे बिजली सप्लाई होती है, और गांवों में मौसम के हिसाब से आपूर्ति की जाती है. जो गांव “जगमग योजना” से जुड़े हैं, उनमें तो विभाग की ओर से काेई कट तय नहीं किया जाता, लेकिन जो गांव इस योजना से नहीं जुड़े हैं, उनमें गर्मियों में 16 घंटे सप्लाई का शेड्यूल होता है. दिक्कत यह है कि गांवों में इस दौरान रात के समय भी ज्यादा कट लग रहे हैं, उसी से ज्यादा परेशानी हो रही है. शहरी क्षेत्र भी बिजली संकट की चपेट में है, लेकिन अब उद्योगाें के लिए भी समस्या होने लगी है.
इस समय प्रदेश में रोजाना लगभग 8 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत है, जिसे पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार पानीपत की तीनों इकाई, यमुनानगर की दोनों और खेदड़ की एक यूनिट को चालू कर लिया गया है.
इन प्लांटों को सुचारू रूप से चलाने के लिए रोजाना 15 रैक कोयले की जरूरत है. लेकिन हरियाणा को 10 रैक ही मिल रहा है. ऐसे में पहले स्टॉक कोयले का इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो प्रदेश में मात्र 15 दिन का स्टॉक ही बचा है. स्थिति को देखते हुए हरियाणा सरकार ने केंद्रीय बिजली मंत्री को कोयला आपूर्ति बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है. हालांकि हम अपनी जरूरत का 75 फीसदी कोयला खुद ही निकालते हैं, भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयले का भंडार है. और कोल इंडिया सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है.
अडानी की कंपनी गुजरात की ही तरह हरियाणा से भी नई बिजली दरें चाह रही है. कंपनी ने सरकार को 3.40 रुपये की बजाए 6.25 रुपये प्रति यूनिट की नई दरों का प्रस्ताव दिया है. हालांकि, पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत यह संभव नहीं है. कंपनी का कहना है कि विदेशी कोयला महंगा होने के चलते उनको हजारों करोड़ का घाटा हो चुका है, इसलिए वह अब प्लांट चलाने की हालत में नहीं है.
कंपनी विदेशी कोयले की बढ़ी दरों के हिसाब से सरकार से मूल्य चाह रही है. अडानी ग्रुप पिछले साल अगस्त 2021 से ही बिजली सप्लाई की आपूर्ति नहीं कर रहा है. अगर सरकार अडानी की शर्तें मानती है तो यह दर बढ़ने की वजह से बिजली और भी महंगी हो जाएगी. फिलहाल हरियाणा सरकार कंपनी के साथ कम से कम रेट के लिए मोल भाव कर रही है. अडानी से 1424 मेगावाट और टाटा की कंपनी से 500 मेगावाट बिजली का समझौता सरकार ने कर रखा है.
विदेशी कोयला खरीदने की तैयारी में सरकार
कोयले की कमी को लेकर हरियाणा सरकार इस बार कुल खपत का 10 प्रतिशत तक विदेशी कोयला खरीदने की तैयारी में है. पहले विदेशी कोयले की खरीद सिर्फ चार प्रतिशत थी, केंद्रीय मंत्रालय के निर्देशों के बाद इसे अधिक किया गया है. यह घरेलू कोयले से महंगा होता है, लेकिन बताया जा रहा है कि इसकी गुणवत्ता अच्छी होती है. इसके लिए प्रदेश सरकार टेंडर निकालने जा रही है ताकि गर्मी के पीक सीजन में प्रदेश को कोयले की कमी का सामना न करना पड़े.
इस समय ये चल रहीं यूनिटों से बिजली उत्पादन
पानीपत थर्मल प्लांट
यूनिट 6 -210 मेगावाट
यूनिट 7- 250
यूनिट 8 -250
दीनबंधु छोटूराम यमुनानगर प्लांट
यूनिट 1-300
यूनिट 2- 300
राजीव गांधी थर्मल प्लांट खेदड़ हिसार
यूनिट 1- 600
डब्ल्यूवाईसी हाईडल 62.4 मेगावाट
सोलर पावर प्लांट पानीपत : 10 मेगावाट
शेष बिजली केंद्रीय पुल से 12 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदी जा रही है.
बिजली मंत्री रणजीत चौटाला का कहना है कि इस समय प्रदेश में करीब 6000 मेगावाट बिजली उपलब्ध है. जिससे प्रदेश की बिजली की जरूरत सही तरीके से पूरी हो रही है. प्रदेश में कोयले की कमी पर उनका कहना है कि प्रदेश में कोयले की कोई कमी नहीं है और अगले 1 महीने के लिए प्रदेश में पर्याप्त कोयला है. अडानी से विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि अडानी कंपनी द्वारा हरियाणा को 1400 मेगावाट बिजली दी जानी थी, लेकिन बिजली के रेट को लेकर कुछ विवाद जारी है जिसे जल्द ही सुलझा लिया जाएगा और अडानी की ओर से भी बिजली की सप्लाई जल्द शुरू हो जाएगी.
कांग्रेस नेत्री कुमारी शैलजा का कहना है कि सरकार द्वारा बिजली उत्पादन के प्रति ध्यान न देने के परिणामस्वरुप आज प्रदेश में बिजली संकट लगातार गहराता जा रहा है. प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है, जिसका खमियाज़ा प्रदेश की जनता को लगातार भुगतना पड़ रहा है.
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपने एक ब्यान में कहा है, “भाजपा सरकार की नीति और नीयत के अभाव में प्रदेश की जनता बिजली संकट से त्रस्त है. मित्र अपने हित साधने में लगे हैं. गुजरात की तर्ज़ पर हरियाणा में भी नई दरें चाह रही है मित्रों की कंपनी. विपक्ष ने इसे आपदा में अवसर बताया है.”
बिजली फ्लक्चुएशन से घरेलू उपकरण भी खराब हो रहे हैं. नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर फरीदाबाद की सोसायटियों में स्थिति ज्य़ादा खराब है. यहां दिन में 50 से ज्यादा कट लग रहे हैं. कटौती की वजह से लोगों के फ्रिज, एसी, वॉशिग मशीन खराब हो रहे हैं. एनआईटी, ग्रेटर फरीदाबाद, ओल्ड फरीदाबाद डिविजन में आने वाले एनआईटी नंबर-3, शिवदुर्गा बिहार, सराय ख्वाजा, संतोष नगर, जवाहर कॉलोनी, सारन चौक, एयरफोर्स रोड, आईपी-एक्सटेंशन-2, आईपी कॉलोनी, तिलपत, नंगला एन्क्लेव, सेक्टर-29, जादूनाथ एन्क्लेव, एसजीएम नगर, डबुआ कॉलोनी, सैनिक कॉलोनी, भारत कॉलोनी, इंद्रा कॉम्प्लेक्स, हनुमान नगर, सेक्टर-21 डी, फ्रेंड्स कॉलोनी, संत नगर, सेक्टर-21 ए, बी, सी, डी, सेक्टर-46 व संजय कॉलोनी इलाकों के लोग भी परेशान हैं.
बिजली की अनियमित आपूर्ति के कारण लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि रात को पानी के लिए मोटर चलाते हैं तो बिजली चली जाती है. बार-बार कटौती होने से मोटर भी खराब हो जाती है. बच्चे परीक्षा की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं. गुरुवार को पानी व बिजली की किल्लत को लेकर सेक्टर-3, संजय कॉलोनी, जवाहर कॉलोनी, बड़खल एक्सटेंशन के लोगों ने हंगामा किया था. पिछले माह सेक्टर-86 की एडोर हैप्पी होम्स सोसायटी के लोगों ने भी बिजली कटौती के विरोध में हंगामा किया था.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक शेड्यूल के अनुसार बिजली नहीं मिलने के विरोध में ग्रामीणों ने रामराय में जींद-हांसी मार्ग पर जाम लगा दिया. वहीं शनिवार रात को कंडेला और शाहपुर गांव में जींद-चंडीगढ़ मार्ग को ग्रामीणों ने जाम कर दिया. बीबीपुर गांव में भी लोगों ने जींद-भिवानी मार्ग पर रात को जाम लगाया. कंडेला गांव में शाम को ग्रामीणों ने जाम लगाया था और सुबह प्रशासन ने खुलवाया. शाहपुर व बीबीपुर में रात को ही जाम खुल गया. वहीं रामराय में रविवार सुबह जाम लगाया गया. ग्रामीणों का कहना है कि दिनभर तो फसली सीजन के कारण निगम ने गांवों में बिजली सप्लाई बंद की हुई है.
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