डल्लेवाल की सेहत चिंताजनक, सरकार ने किसानों को भुलभुलैया में फंसाया!

खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का रक्तचाप सोमवार रात अचानक गिर गया. स्वास्थ्य टीम ने डल्लेवाल को गर्मी देने के लिए उनके हाथ-पैर रगड़े. उस समय उनका रक्तचाप मॉनिटर पर 80/50 दिख रहा है. स्वास्थ्य टीम के सदस्य गुरसिमरन सिंह बूट्टर ने बताया कि स्टैंडबाय पर मौजूद पटियाला से स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कार्यभार संभाल लिया है. पटियाला के सिविल सर्जन डॉ. जगपालइंदर सिंह ने पुष्टि की कि उन्हें डल्लेवाल के रक्तचाप में अचानक गिरावट की सूचना मिली है. उन्होंने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है और स्वास्थ्य टीम किसान नेता की स्थिति पर नजर रख रही है.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सेवानिवृत्त जस्टिस नवाब सिंह की अगुवाई वाली उच्चस्तरीय समिति भी मुलाकात के लिए पहुंची थी. अपने अनशन के 43वें दिन डल्लेवाल ने समिति के सदस्यों से कहा था कि खेतीबाड़ी में सुधार उनकी प्राथमिकता है, जबकि उनका जीवन और स्वास्थ्य बहुत छोटी चीज है. उसके कुछ ही घंटों बाद सोमवार रात उनकी तबीयत बिगड़ गई.
जस्टिस नवाब सिंह की अगुवाई में पूर्व डीजीपी बीएस संधू, अर्थशास्त्री आरएस घुमन, कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा और पंजाब किसान आयोग के अध्यक्ष सुखपाल सिंह की कमेटी दोपहर 3.15 बजे खनौरी बॉर्डर के पास ढाबी गुजरां गांव पहुंची थी और किसान नेता से करीब 10 मिनट तक बातचीत की. खनौरी बॉर्डर पर जस्टिस नवाब सिंह ने किसानों से बातचीत की और किसानों की ट्रॉलियों का भी दौरा किया.
कमेटी के सदस्यों ने डल्लेवाल से अनशन खत्म करने का आग्रह किया. जस्टिस नवाब सिंह ने 70 वर्षीय नेता से चिकित्सा सहायता स्वीकार करने का आग्रह किया. कांच के कक्ष के अंदर डल्लेवाल ने कमेटी के सदस्यों से कहा, ‘क्या मैं एक अनुरोध करूं? 42 दिन हो गए हैं. मुझे कुछ नहीं होगा क्योंकि भगवान मेरे साथ हैं अगर सरकार हमारी मांगें पूरी कर दे तो मुझे अनशन करने की जरूरत नहीं है. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप इस मामले को सरकार के सामने उठाएं ताकि हमारी समस्याओं का समाधान हो सके.”
सोमवार को पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने 43 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का जिक्र करते हुए किसानों के मुद्दों पर विचार कर उनसे बातचीत करने का आग्रह भी किया.
इस सार मामले को लेकर खेतीबाड़ी विशेषज्ञ रमनदीप मान का कहना है, “सुप्रीम कोर्ट पूछ चुका है कि सरकार किसानों से बातचीत क्यों नहीं कर रही, सुप्रीम कोर्ट की हाईपावर कमेटी कह रही है कि वह केंद्र से बातचीत नहीं करा सकती. कृषि मंत्री कह रहे हैं कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश मानेंगे. विशेषज्ञ बता रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को कानून बनाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. पूरे तंत्र ने अलग तरह की भूल भुल्लईया बना दी है.”
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