फिर शुरू हो सकता है किसान आंदोलन! राज्यों की राजधानियों में जुटे किसान

 

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर, आज मजदूरों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं और आम लोगों के समर्थन के साथ किसानों ने बड़े मार्च और रैलियां निकाली। अभी तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस प्रेस विज्ञप्ति के जारी होने तक, 25 राज्यों की राजधानियों, 300 से अधिक जिला मुख्यालयों और कई तहसील मुख्यालयों पर विरोध सभाएँ आयोजित की गईं।

कुल मिलाकर, यह अनुमान है कि पूरे भारत में 3000 से अधिक विरोध प्रदर्शन हुए। किसान विरोधी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने और किसानों की मांगों का ज्ञापन सौंपने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के ‘राजभवन चलो’ आह्वान में शामिल होने के लिए 5 लाख से अधिक नागरिक सड़कों पर उतरे।

राज्य के राज्यपालों के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को, केंद्र में सत्ताधारी दल की किसान विरोधी गतिविधियों में हस्तक्षेप करने और रोकने के लिए किसानों ने अपनी मांगों का ज्ञापन दिया।

चंडीगढ़, लखनऊ, पटना, कोलकाता, त्रिवेंद्रम, चेन्नई हैदराबाद, भोपाल, जयपुर और कई अन्य राज्यों की राजधानियों में लाखों लोगों का भारी जमावड़ा देखा गया। जैसे-जैसे पूरे भारत से सूचना, तस्वीरें और वीडियो आ रहे हैं, संयुक्त किसान मोर्चा का अनुमान है कि 5 लाख से अधिक किसान, एक सामूहिक शक्ति का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और किसानों की सभी मांगों के पूरा होने तक संघर्ष जारी रखने के संकल्प के साथ, आज भारत की सड़कों पर उतरे हैं।



चंडीगढ़, लखनऊ, पटना, कोलकाता, त्रिवेंद्रम, चेन्नई हैदराबाद, भोपाल, जयपुर और कई अन्य राज्यों की राजधानियों में लाखों लोगों का भारी जमावड़ा देखा गया। जैसे-जैसे पूरे भारत से सूचना, तस्वीरें और वीडियो आ रहे हैं, संयुक्त किसान मोर्चा का अनुमान है कि 5 लाख से अधिक किसान, एक सामूहिक शक्ति का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और किसानों की सभी मांगों के पूरा होने तक संघर्ष जारी रखने के संकल्प के साथ, आज भारत की सड़कों पर उतरे हैं।

इन मांगों में, संबंधित राज्यों की प्रमुख स्थानीय मांगों के साथ (1) सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत सीटू+50% न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)

(2) एक व्यापक ऋण माफी योजना के माध्यम से कर्ज मुक्ति

(3) *बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लेना

(4) लखीमपुर खीरी में किसानों व पत्रकारों के नरसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी एवं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई

(5) प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना

(6) सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को ₹ 5,000 प्रति माह की किसान पेंशन

(7) किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को वापस लेना

(8) किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान शामिल है।

गौरतलब है कि भारत में 26 नवंबर की तारीख का विशेष महत्व है। यह हमारा संविधान दिवस है, जब हमारे संविधान पर हस्ताक्षर किए गए जो बाद में देश के कानूनों की नींव बनी। 26 नवंबर 2020 को ही एसकेएम ने ऐतिहासिक “दिल्ली चलो” आंदोलन शुरू किया था, जो दुनिया का सबसे लंबा और सबसे बड़ा किसान आंदोलन बन गया, और किसानों को उनकी जमीन और आजीविका से बेदखल करने के लिए कॉर्पोरेट-राजनीतिक गठजोड़ के खिलाफ किसानों की आश्चर्यजनक जीत हुई। आज 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी “राजभवन मार्च” किसानों के विरोध के अगले चरण की शुरुआत का प्रतीक है।

एसकेएम ‘राजभवन चलो’ कार्यक्रम की शानदार सफलता के लिए सभी किसानों, खेतिहर मजदूरों, श्रमिकों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं और अन्य संबंधित नागरिकों को बधाई देता है और देश भर में सभी से अपील करता है कि, जब तक की हमारी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं, वे निरंतर और प्रतिबद्ध राष्ट्रव्यापी संघर्ष के लिए तैयार रहें और इसमें शामिल हों

*संयुक्त किसान मोर्चा*