दूध के दाम बढ़ने से कंपनियों को मुनाफा,किसानों के हाथ लगी निराशा!
विटा, मदर डायरी समेत लगभग सभी दूध की कंपनियों ने पिछले हफ्ते ही दूध के मूल्य में दो रुपये की बढ़ोतरी की है. दूध की बढ़ी हुई कीमतों का सीधा असर जनता की जेब पर पड़ रहा है. लेकिन इस बीच दूध उत्पादन करने वाले किसानों को कोई लाभ नहीं पहुंच रहा है. 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी में से किसानों के दाम में एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं हुई है. यह जनता की जेब से जाकर सीधा दूध कंपनियों की तिजोरी में जा रहा है.
हिंदी अखबार दैनिक ट्रिब्यून में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अम्बाला डिस्ट्रिकट कॉर्पोरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर (विटा) ने दूध के रिटेल प्राइस पर प्रति लिटर 2 रूपए की वृद्धि की है. दूध की वृद्धि का मुनाफा किसानों और रिटेल डीलरों को न मिलकर सीधा मालिक को मिल रहा है.
दूध का रेट बढ़ने के बाद भी दूध उत्पादन करने वाले किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है. इससे पहले भी जुलाई में विटा ने अपने अन्य उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी की थी और अब दूध पर भी 2 रूपये प्रति लिटर का इजाफा कर दिया है. दूध के बढ़े हुए दाम के साथ 500 मिलीलीटर डबल टोंड दूध का रेट 22 रुपये से 23 रुपये, स्टैंडर्ड मिल्क 27 रुपये से 28 रुपये, गोल्ड मिल्क का रेट 30 रुपये से 31 रुपये कर दिया है.
इसके अलावा गाय के दूध के रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. यह रेट 28 रुपये 500 मिलीलीटर ही रखा गया है. इन पर रिटेलर को सवा दो रुपये प्रति लीटर कमीशन भी दी जाती है. रिपोर्ट के अनुसार अम्बाला शहर का आकड़ा देखे तो अम्बाला मिल्क पॉइंट के पास रोजना करीब एक लाख लीटर की मांग है, यानी कंपनी को रोजाना 2 लाख और माह में 60 लाख का मुनाफा अकेले अम्बाला मिल्क पॉइंट से होता है.
जिले में 725 सोसायटी से दूध इकट्ठा किया जाता है, लेकिन इन समितियों से जुड़े किसानों को रिटेल दामों में की गयी वृद्धि से कोई मुनाफा नहीं दिया जाता है. साथ ही रिटेलरों के कमिशन में भी पिछले कई सालों से कोई इजाफा नहीं किया गया है. वहीं इस पर अम्बला विटा प्लांट के सीईओ, सर्वजीत सिंह ने अखबार को बताया कि, “अभी तक नुकसान उठाकर हमने आम लोगों को कम दाम में दूध बेचा है, लेकिन अब सबके दाम बढ़े हैं तो हमने केवल 2 रूपए प्रति लीटर का इजफा किया है. यह दर पूरे प्रदेश में लागू होती है, अभी खरीद के दाम व कमीशन के दाम नहीं बढ़ाए गये हैं.”
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