खेतों तक पहुंचा किसान आंदोलन, किसान ने खड़ी फसल जोत डाली
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान विरोध-प्रदर्शन के नए-नए तरीके आजमा रहे हैं। बिजनौर के एक किसान ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए अपनी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाकर दिया।
बिजनौर की चांदपुर तहसील के गांव कुल्चाना निवासी किसान सोहित ने छह बीघा खेत में खड़ी गेहूं की फसल जोत दी है। उसका कहना है कि सरकार किसान की सुनने को तैयार नहीं है। फसल मिट्टी में मिलाने के बाद किसान का कहना है कि वह आंदोलन के समर्थन में दिल्ली बॉर्डर पर जाएगा।
किसान सोहित ने बताया कि उसके पास 13 बीघे गेहूं की फसल थी। जिसमें से सात बीघा छोड़कर बाकी छह बीघा गेहूं को खेत में ही जोत दिया है। भाकियू युवा के प्रदेश अध्यक्ष दिगम्बर सिंह ने बताया कि किसान भाकियू का कार्यकर्ता है। वे किसानों को आवेश में इस तरह का कोई कदम न उठाने के लिए समझा रहे हैं।
गौरतलब है कि कल भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों को एक फसल की कुर्बानी देने के लिए तैयार रहने को कहा था। इससे पहले हरियाणा के खरक पुनिया में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा था कि सरकार ऐसी गलतफहमी में न रहे कि किसान फसल काटने के लिए वापस चले जाएंगे। अगर सरकार ने दबाव बनाया तो हम अपनी फसल को आग लगा देंगे।
राकेश टिकैत ने शनिवार को फिर दोहराया कि जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं। उन्होंने कहा कि खेतों में भी काम प्रभावित ना हो, इसके लिए रणनीति तैयार कर ली है। किसान बारी-बारी से आंदोलन स्थल पर आते-जाते रहेंगे। जो किसान आंदोलन में रहेगा, गांव वाले उसके खेत और काम का पूरा ध्यान रखेंगे। टिकैत ने किसानों से कहा है कि कृषि कार्य के दबाव में आंदोलन को ठंडा न होने दें।
अभी सिर्फ तैयार रहे, फसल नष्ट न करें: राकेश टिकैत
बिजनौर में एक किसान द्वारा फसल नष्ट जाने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि ऐसा करना ठीक नहीं है। हमने अभी केवल आह्वान किया है कि किसान आंदोलन के लिए अपनी एक फसल कुर्बान करने को तैयार रहें। इसका मतलब यह नहीं है कि फसल में आग लगा दें, नहीं। आंदोलन के लिए जरूरत पड़ी तो फसल का मोह छोड़ने को तैयार रहें। हालांकि, अभी आंदोलन उस स्थिति में नहीं है। यह आह्वान बहुत विपरीत स्थिति के लिए किया गया था। उन्होंने किसानों से अपील की है कि आवेश में आकर कोई आत्मघाती कदम न उठाएं।