25 अगस्त को अडानी के गोदामों का घेराव करेंगे हिमाचल के सेब किसान!

हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक अपने घटते लाभ मार्जिन को लेकर राजधानी शिमला में आंदोलित हैं. सरकार द्वारा उनकी मांगों को अनसुना किए जाने के कारण, उन्होंने 25 अगस्त को अडानी के स्वामित्व वाले तीन सेब गोदामों का घेराव करने का फैसला किया है. इसके अलावा, उत्पादकों ने सरकार के खिलाफ कानूनी मोर्चा खोलने का भी फैसला किया है और संयुक्त किसान मंच ने एपीएमसी अधिनियम को लागू करने के लिए अदालत में जाने की घोषणा की है.
सेब उत्पादकों ने अपना एक संयुक्त ब्यान जारी करते हुए कहा है, “सरकार सोच रही है कि समय के साथ अपने आप विरोध कम हो जाएगा, तो वह बहुत बड़ी गलती कर रही है।. जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती तब तक धरना जारी रहेगा. अपने अगले कदम में हम 25 अगस्त को अडानी के स्वामित्व वाले सेब गोदामों पर धरना देंगे.”
अडानी के पास तीन गोदाम हैं और कुछ अन्य निजी सीए स्टोर अगस्त के मध्य से सीजन खत्म होने तक सेब खरीदते हैं. कटाई का मौसम समाप्त होने के बाद गोदाम इस सेब को बाजार में अधिक कीमत पर बेचते हैं. फिलहाल, कुल सेब कारोबार में अडानी और अन्य छोटे निजी खिलाड़ी हैं. राज्य में उत्पादित कुल 5-7 लाख मीट्रिक टन सेब में से, अडानी के तीन गोदाम लगभग 18,000-20,000 मीट्रिक टन की खरीद करते हैं, जो कुल बिक्री का लगभग दो से तीन प्रतिशत है.
सेब उत्पादकों के नेता हरीश चौहान ने बताया, “अडानी स्टोर बहुत अधिक खरीद नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनकी खरीद दरें खुले बाजार को प्रभावित करती हैं. अक्सर अडानी स्टोर्स द्वारा अपनी खरीद कीमतों की घोषणा के बाद बाजार में गिरावट आती है. अडानी के गोदाम लगभग 75-85 रुपये में जो प्रीमियम सेब खरीदते हैं, उन्हें बाद में बहुत अधिक लाभ मार्जिन पर बेचा जाता है. दूसरी ओर, उत्पादकों का लाभ तेजी से बढ़ती इनपुट लागत के कारण दिन-ब-दिन घट रहा है. इसलिए, हम सभी मांग कर रहे हैं कि ये गोदाम हमें बेहतर कीमतें दें, क्योंकि उनका खुद का लाभ मार्जिन इतना अधिक है.”
शिमला में प्रदर्शन करने आए सेब किसान अजय ठाकुर ने बताया, “अडानी ने 2020 में 88 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर सेब खरीदे थे, लेकिन 2022 में वे सिर्फ 76 रुपये प्रति किलोग्राम की पेशकश कर रहे हैं, जबकि हम उत्पादकों की इनपुट लागत बहुत ज्यादा बढ़ गई है. यह कैसे जायज है?”
विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन के अलावा, एसकेएम ने कानूनी रूप से भी सरकार को घेरने का फैसला किया है. एसकेएम के एक सदस्य दीपक सिंघा ने बताया, “हम जल्द ही एपीएमसी अधिनियम को लागू नहीं करने के लिए सरकार के खिलाफ अदालत का रुख करेंगे. सरकार को अदालत में जवाब देना होगा कि वह अधिनियम को लागू करने और उत्पादकों को अधिनियम में अनिवार्य सभी सुविधाएं प्रदान करने में अपनी रुचि क्यों नहीं दिखा रही है.”
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