आवारा पशुओं से फसलों की तबाही का सरकार को अनुमान ही नहीं

 

आवारा पशुओं और जंगली जानवरों से खेती को हो रहे नुकसान का केंद्र सरकार के पास कोई आंकड़ा ही नहीं है। यह बात लोकसभा में सवाल-जवाब के दौरान सामने आई।

बिहार के नालंदा से जदयू के सांसद कौशलेंद्र कुमार के सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि आवारा और जंगली जानवर कई राज्यों में फसलों को नुकसान पहुंचते हैं, लेकिन कृषि एवं किसान कल्याण विभाग इस नुकसान का कोई आकलन या अध्ययन नहीं कराता है। इस तरह के नुकसान का इंतजाम संबंधित राज्य सरकारें करती हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की संशोधित गाइडलाइन में राज्यों को छूट दी गई है कि वे जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान को बीमा योजना के दायरे में ला सकते हैं।

ताज्जुब की बात है कि जो सरकार खेतों में पराली जलाने के मामलों की सेटेलाइट से निगरानी कर किसानों को जेल भेज सकती है, उसके पास किसानों के नुकसान की पुख्ता जानकारी नहीं है। खेती को आवारा जानवरों से बचाने की केंद्र सरकार की कोई योजना भी नहीं है।

फसलों को तबाह करते आवारा जानवर किसानों के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहे हैं। इनसे बचने के लिए किसानों को रात भर जगाकर खेतों की रखवाली करनी पड़ती है या फिर खेत के चारों तरह कंटीले तार लगाने पड़ते हैं, जिस पर 3-5 हजार रुपये प्रति बीघा का खर्च आता है।

देश भर के किसान संगठन आवारा पशुओं के आतंक से बचाने मांग जोरशोर से उठा रहे हैं, लेकिन सरकार आंख मूंदकर बैठी है। बेपरवाही का आलम यह है कि आवारा पशुओं से फसलों को नुकसान का सरकार ने आकलन करवाना भी जरूरी नहीं समझा है। जबकि पराली की आग का खेतवार ब्यौरा जुटाकर किसानों को जेल भेज दिया जाता है। ऐसे मामलों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, जिसे लेकर किसानों में काफी नाराजगी है।