ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 111वें स्थान पर, पाक-बांग्लादेश और नेपाल भी आगे,सरकार ने रिपोर्ट नकारी!
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 125 में 111वां स्थान मिला है. भारत का नंबर पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से भी पीछे है. भारत को हंगर इंडेक्स में 28.7 स्कोर दिया गया है. रैंकिंग आने के बाद केंद्र सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इसे सिरे से खारिज करते हुए ग्लोबल हंगर इंडेक्स की आलोचना की है. वहीं सरकार ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट पर कहा कि एनजीओ ने हंगर इंडेक्स के लिए गलत तरीके से मैपिंग की है. बता दें कि पिछले साल भारत 121 देशों में 29.1 के स्कोर के साथ 107वें स्थान पर था. आयरलैंड की कंसर्न वर्ल्ड वाइड और जर्मनी की वेल्थहंगरलाइफ एनजीओ ने मिलकर इस बार भी रैंकिंग जारी की है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में कुपोषण, बाल स्टंटिंग, चाइल्ड वेस्टिंग और बाल मृत्यु जैसी कारकों को ध्यान में रखा जाता है. यह बात इस अध्ययन से जुड़े दो गैर-सरकारी संगठनों, कंसर्न वर्ल्ड वाइड और वेल्थहंगरलाइफ ने कही है. एनजीओ ने कहा कि भारत के नवीनतम स्कोर में पिछले साल से सुधार हुआ है और यह 2008 तक की चिंताजनक श्रेणी से बाहर निकल गया है, लेकिन यह अभी भी एक गंभीर मामला है. जीएचआई के पीछे के लोग, जिन्हें पिछले दौर में भारत को दी गई रैंकिंग के लिए सरकार और विशेषज्ञों दोनों से आलोचना का सामना करना पड़ा था, ने यह भी कहा कि भारत ने 2011 के बाद उपभोग सर्वेक्षण नहीं किया है, जिससे उन्हें 3,000 लोगों के गैलप पोल पर निर्भर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.
मंत्रालय ने हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट बनाने वालों पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुफ्त अनाज की आपूर्ति, मिड डे मील योजनाओं और मिशन पोषण की अनदेखी की गई है, जो विशेष रूप से कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए तैयार की गई हैं. मिशन पोषण और ‘पोषण ट्रैकर’ का हवाला देते हुए सरकार ने कहा कि ऐप पर करीब 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्र पंजीकृत हैं, जिनसे गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, 6 साल से कम उम्र के बच्चों और किशोर लड़कियों सहित 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को लाभ होता है.