आट्टे के दाम पर काबू पाने के लिए 30 लाख टन गेहूं बाजार में बेचने पर मजबूर हुई सरकार!

 

गेहूं के दाम में आई रिकॉर्ड तेजी के बाद केंद्र सरकार ने अपने भंडार से 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने का फैसला लिया है. केंद्र सरकार की ओर से 30 लाख टन गेहूं की बिक्री ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSL) के जरिए होगी.

सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार विशेष ओपन मार्केट सेल स्कीम योजना के तहत खरीदार की बिक्री इस मकसद से की जाएगी कि वे इसका आटा तैयार करके 29.50 पैसे प्रति किलो अधिकतम खुदरा मूल्य (एमएसपी) पर बिक्री करें. बयान में कहा गया है कि योजना के तहत फ्लोर मिलर्स, थोक खरीदारों को ई नीलामी के माध्यम से गेहूं बेचा जाएगा. एक खरीदार को एक नीलामी में एफसीआई से अधिकतम 3 हजार टन गेहूं मिलेगा. इसके अलावा राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों को बिना ई-नीलामी के गेहूं उपलब्ध करवाया जाएगा.

इसके अलावा सरकारी पीएसयू, कोऑपरेटिव, केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ आदि को भी बिना ई-नीलामी के 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं उपलब्ध करवाया जाएगा. वहीं सरकार की ओर से निजी ट्रेडर्स के लिए भी गोदाम खोलने का फैसला किया गया है.

बता दें कि बाजार में इस वक्त गेहूं की कीमत 31-32 रुपये किलो तक पहुंच गई है. बिजनैस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार ट्रेडर्स ने कहा, ‘बिक्री शुरू होते ही बाजार भाव में कम से कम 2 रुपये किलो कमी आ सकती है’ उन्होंने कहा कि ज्यादातर गेहूं पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश में पड़ा है, जहां से गेहूं फ्लोर मिलर्स और आटा बनाने वालों को बेचा जाएगा. उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह बिक्री खुलने की संभावना है.

आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी, 2023 को केंद्रीय पूल में भारत का गेहूं का अनुमानित स्टॉक करीब 171.7 लाख टन था, जो जरूरी रणनीतिक भंडार से 24.4 प्रतिशत ज्यादा है. खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने 19 जनवरी को कहा था कि गेहूं और आटे की खुदरा कीमतें बढ़ गई हैं और सरकार जल्द ही बढ़ती दरों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएगी. ओएमएसएस नीति के तहत सरकार समय-समय पर थोक उपभोक्ताओं और निजी व्यापारियों को खुले बाजार में पूर्व-निर्धारित कीमतों पर खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं और चावल बेचने के लिए सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को अनुमति देती रही है. इसका उद्देश्य जब खास अनाज का मौसम न हो, उस दौरान इसकी आपूर्ति बढ़ाना और सामान्य खुले बाजार की कीमतों पर लगाम लगाना है.