डीएपी खाद के लिए लाइनों में खड़े हरियाणा के किसान! वितरण के लिए सरकार पुलिस की ले रही मदद
हरियाणा में गेहूं और सरसों की बुवाई के लिए जरूरी डीएपी खाद के लिए किसानों में अनिश्चितता बनी हुई है. डीएपी खाद की कमी और कुप्रबंधन के कारण वितरण केन्द्रों पर किसानों की लम्बी-लम्बी कतारें देखने को मिल रही हैं. किसानों की शिकायतों और गुस्से के कारण जींद और भिवानी जिले में वितरण के लिए अधिकारियों को पुलिस की मदद लेनी पड़ रही है.
कृषि विभाग के अधिकारियों ने दावा किया कि कोई कमी नहीं है और पूरे राज्य में किसानों की आवश्यकता के अनुसार डीएपी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है. हालांकि अधिकारियों ने माना है कि स्थानीय प्रशासन और उर्वरक आपूर्ति करने वाली कंपनियों में तालमेल की कमी की भी खबरें हैं, जिसके कारण कुछ जिलों में कुप्रबंधन हुआ है. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर तक हरियाणा में कुल डीएपी की खपत 2,10,380 मीट्रिक टन (एमटी) थी. इस प्रकार, अधिकारियों का अनुमान है कि चालू सीजन के लिए भी इतनी ही मात्रा में डीएपी की आवश्यकता है. अक्टूबर 2023 में किसानों को 1,19,470 मीट्रिक टन डीएपी बेचा गया था. लेकिन इस साल अक्टूबर के इसी महीने (1 अक्टूबर से 2 नवंबर तक) में उन्हें 1,15,197 मीट्रिक टन डीएपी बेचा गया, जो 4,273 मीट्रिक टन कम है. अधिकारियों का कहना है कि यह एक छोटा सा नंबर है और इसे किसानों की आपूर्ति में कमी नहीं कहा जा सकता.
आंकड़ों में आगे 23,655 मीट्रिक टन डीएपी की उपलब्धता दिखाई गई है. अधिकारियों का कहना है कि यह आंकड़ा ऊपर-नीचे हो सकता है क्योंकि जिलों में बिक्री के साथ-साथ उर्वरकों की आपूर्ति भी जारी है. हालांकि किसानों ने आरोप लगाया है कि डीएपी की कालाबाजारी हो रही है क्योंकि प्राइवेट व्यापारी 500 से 600 रुपये प्रति बैग के प्रीमियम पर डीएपी बैग दे रहे हैं. द ट्रिब्यून की एक खबर के अनुसार, कीर्तन गांव के एक युवा किसान अमित कुमार ने बताया कि उन्होंने 1,900 रुपये प्रति बैग की दर से 10 बैग डीएपी खरीदे हैं उन्होंने आगे बताया, “मुझे सरसों की बुवाई के लिए डीएपी की सख्त जरूरत थी, लेकिन नहीं मिल सकी. इसलिए मैंने इसे खुले बाजार से प्रीमियम दर पर खरीदने का फैसला किया.” डीएपी की प्रति बोरी सरकारी दर 1350 रुपए तय है.
किसानों ने कुरुक्षेत्र में भाजपा सरकार पर किसान विरोधी फैसले लेने और धान की खेती करने वाले किसानों को परेशान करने का आरोप लगाते हुए धमकी दी है कि अगर सरकार पराली के नाम पर किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस नहीं लेती है और पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध नहीं कराती है तो वे राज्य में आंदोलन शुरू कर देंगे. इस संबंध में विभिन्न यूनियनों से जुड़े बड़ी संख्या में किसान कार्यकर्ताओं ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले कुरुक्षेत्र में किसान पंचायत की.
इस पंचायत में एफआईआर, रेड एंट्री और डीएपी की कमी के लिए सरकार की आलोचना की और बाद में मुख्यमंत्री के कैंप कार्यालय की ओर मार्च निकाला. हालांकि, उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए गए थे, जिनके सामने वे धरने पर बैठ गए.
किसानों की सुबह से ही दुकानों के बाहर लाइनें लगाकर खड़े होने की वीडियोज लगातार वायरल हो रही हैं. भिवानी जिले के लोहारू में भी इसको लेकर किसान सड़कों पर उतरे हैं. जींद जिले में भी किसान पिछले कुछ दिनों से उचाना और नरवाना में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. दक्षिण हरियाणा की बात करें तो गुड़गांव, फरीदाबाद और पलवल जिले के किसान सिंचाई के लिए पानी की कमी, जलभराव और डीएपी खाद की सीमित उपलब्धता जैसी समस्याओं से लगातार जूझ रहे हैं.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने भी किसानों को आश्वासन दिया है कि “राज्य में डीएपी खाद की कोई कमी नहीं है”, उन्होंने किसानों से शांत रहने का आग्रह किया क्योंकि सरकार पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. मंत्री ने डीएपी की उपलब्धता की समीक्षा की और इस बात पर जोर दिया कि मांग को पूरा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. राणा ने अधिकारियों को जमीनी स्तर पर आपूर्ति पर कड़ी नजर रखने और किसानों को समय पर डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
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