हिमाचल के सेब किसानों ने किया शिमला का घेराव
संयुक्त किसान मंच के तहत पूरे हिमाचल प्रदेश से बड़ी संख्या में सेब उत्पादकों ने आज बढ़ती लागत और पिछले कुछ वर्षों में सेब की खेती में आ रही अनेकों समस्याओं को लेकर शिमला में एक विरोध मार्च निकाला. किसानों का यह मार्च संजौली से शुरू हुआ और सचिवालय के घेराव तक गया. इस दौरान कई घंटे जाम लगा रहा.
अभी भी प्रदर्शनकारी संजौली-शिमला मार्ग पर सचिवालय के पास रैली में डटे हुए हैं. प्रदर्शनकारी बेरिकेड्स पर चढ़ गए और उनकी पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी हुई. इस प्रदर्शन में किसानों बागवानों के अलावा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वामपंथी संगठनों के लोगों ने भाग लिया.
संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि उन्हें सरकार की सेब विरोधी नीतियों के कारण आंदोलन शुरू करने के लिए मजबूर किया गया है. आंदोलन गैर राजनीतिक संगठनों के बैनर तले किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जानबूझकर शिमला में मौजूद नहीं रहे क्योंकि अफसरशाही नहीं चाहती है कि बागवानों के मुद्दे पर बातचीत की जाए।
सेब उत्पादकों का बीते 30 सालों में यह पहला बड़ा सरकार विरोधी आंदोलन है. सेब उत्पादकों ने पिछली बार 1990 में शांता कुमार के नेतृत्व वाली तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू किया था.
सेब उत्पादकों की मांग
फलों, फूलों और सब्जियों के लिए उपयोग की जाने वाली पैकेजिंग सामग्री पर जीएसटी को हटाना और ट्रे की कीमतों में भारी वृद्धि को वापस लेना
ग्रेड ए, बी और सी सेब खरीदने के लिए कश्मीर जैसी एमआईएस योजना का क्रियान्वयन
सेब पर आयात शुल्क मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना
राज्य में एपीएमसी अधिनियम और उसके प्रावधानों का सख्ती से क्रियान्वयन
बैरियर पर उत्पादकों से कोई शुल्क नहीं और शोगी बैरियर को बंद किया जाए
वजन के हिसाब से सेब खरीदना, कार्टन के हिसाब से नहीं
उपकरण सहित कीटनाशकों और अन्य कृषि आदानों पर दी जाने वाली सब्सिडी को फिर से शुरू करना
एंटी-हेल नेट और कृषि उपकरण जैसे टिलर, स्प्रेयर आदि पर लंबित सब्सिडी का तत्काल भुगतान और एमआईएस भुगतान
बागवानी बोर्ड की स्थापना
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