किसान आंदोलन के उलट हरियाले हरियाणा को धार्मिक कट्टरता की चासनी में डूबाने का रोडमैप!
जहाँ पूरे हरियाणा में किसान पंचायतें हो रही हैं, वहीं दक्षिण हरियाणा में हिंदू महापंचायतों का दौर चल रहा है. इन हिंदू महापंचायतों की शुरुआत मेवात ज़िले के इन्द्री गाँव से हुई थी.
बीते दिनों मेवात का आसिफ़ हत्याकांड काफ़ी चर्चा में रहा, जहाँ आसिफ़ के ही गाँव के कुछ लड़कों ने मिलकर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी थी. मामले ने तूल पकड़ा और धीरे–धीरे यह पूरा मामला हिंदू बनाम मुस्लिम बना दिया गया. हालांकि आसिफ़ के परिवार ने उस समय गाँव सवेरा से बात करते हुए कहा था कि, “ये महज़ एक जघंन्य हत्या है, इसमें धर्म का कोई रोल नहीं है. कुछ बाहरी लोग मिलकर मेवात का भाईचारा बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. हम प्रशासन से बस न्याय चाहते हैं.”
आसिफ़ हत्याकांड के लगभग सभी आरोपी गुर्जर समाज से आते हैं. जैसे ही मेवात पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई कर कुछ आरोपियों को गिरफ़्तार किया, गुर्जर समाज ने पुलिस द्वारा निर्दोष लोगों को गिरफ़्तार करने की बात कहकर सोहना में एक पंचायत की.
सोहना पंचायत मुखतः गुर्जर समाज ने आयोजित की थी और उसमें आसिफ़ के गाँव खेड़ा खलीलपुर के सरपंच ने भी हिस्सा लिया था जो कि गुर्जर समाज से ही आते हैं.
आसिफ़ के गाँव के पास ही एक गाँव पड़ता है इंद्री, सोहना की पंचायत के बाद उस गाँव में एक बड़ी पंचायत का आयोजन किया गया. इंद्री महापंचायत के आयोजन के पीछे पूरी तरह से दक्षिणपंथी संगठनों का हाथ था. इंद्री महापंचायत में भी एक धर्म विशेष को निशाना बनाते हुए लोगों ने भाषण दिए.
इंद्री में करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष व भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सूरजपाल अम्मू के द्वारा दिए गए विवादित भाषण की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुई. अम्मू ने यहाँ मुस्लिम धर्म को टारगेट करते हुए काफ़ी नफरत भरी बातें कही, साथ में मेवात पुलिस पर आरोप भी लगाए कि उन्होनें आसिफ़ हत्याकांड में कई निर्दोष लोगों को पकड़ा है.
इंद्री के बाद अगली महापंचायत गुडगाँव के पटौदी में हुई. इस महापंचायत के लिए कई दिनों से तैयारियां चल रही थी. पटौदी के अलग–अलग हिस्सों में छोटी-छोटी सभाओं के जरिए लोगों को हिंदू महापंचायत में आने के लिए प्रेरित किया जा रहा था. पंचायत को सफ़ल बनाने के लिए भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों का कैडर पूरी मेहनत कर रहा था.
विश्व हिंदू परिषद् के गुडगाँव ज़िला अध्यक्ष और सरपंच एकता मंच के प्रमुख अजीत सिंह की पटौदी हिंदू महापंचायत के आयोजन में मुख्य भूमिका रही है. इसके अलावा हिंदू धर्म रक्षा मंच के सुधीर मुदगिल, भाजपा से जुड़े हेली मंडी के नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश यादव और विभिन्न पार्षद एवं सरपंचों ने मिलकर पटौदी महापंचायत की रूपरेखा तैयार की और गाँव-गाँव जाकर लोगों को इसमें शामिल होने को कहा.
पटौदी हिंदू महापंचायत के कार्यक्रम की अध्यक्षता मास्टर ओम प्रकाश चौहान ने की थी. ओम प्रकाश चौहान आरएसएस से जुड़े हैं और भारतीय किसान संघ हरियाणा के प्रदेश प्रमुख भी हैं.
इन पंचायतों के वक्ता
पटौदी के रामलीला मैदान में आयोजित इस महापंचायत में बोलने वाले ज़्यादातर वक्ता आरएसएस, बजरंग दल, गौ रक्षा दल, हिंदू युवा वाहिनी, करणी सेना आदि दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े थे.
इसके अलावा स्थानीय लोगों में से भी कुछ पार्षदों, व्यापारियों, सरपंचो और संतों ने पंचायत को संबोधित किया.
भाजपा नेता सूरजपाल अम्मू जो कि मेवात वाली इंद्री पंचायत में भी पहुंचे थे, वो पटौदी हिंदू महापंचायत में भी शामिल हुए. यहाँ भी उन्होंने मुस्लिम धर्म के ख़िलाफ़ नफ़रत भरी बातें कही. अम्मू ने अपने भाषण में कहा कि, “ पटौदी में मुस्लिम समुदाय के लोगों को किराए पर मकान, दुकान देना बंद करने से कुछ नहीं होगा. इन हरामजादों को यहाँ से निकालकर पाकिस्तान भेजना होगा.”
गौ रक्षा दल से मोनू मानेसर ने पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि, “लव-ज़िहाद करने वाले लोगों की सूची हमें दी जाए. हम अपनी टीम के साथ मिलकर लव-ज़िहाद करने वालों को मारेंगे. हमें कुछ नहीं होगा, ऊपर हमारे बड़े भाई बैठे हैं, जो हमें बचा लेंगे.”
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहें जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों पर गोली चलाने वाला रामभक्त गोपाल भी इस पंचायत में शामिल हुआ था. उसने कई तरह के विवादित नारे लगाए और पंचायत में शामिल लोगों से कहा कि वो क्यों नहीं दूसरे धर्म की बहन-बेटियों को उठा कर लाते. उसने आगे कहा कि जब वो गोली चलाने के लिए दिल्ली जा सकता है, तो पटौदी दूर नहीं है.
हिंदू पंचायत की मीडिया जुगलबंदी
पटौदी में हुई पंचायत को लेकर भारत जागरण नाम के एक न्यूज़ चैनल ने सोशल मीडिया पर इसका प्रचार प्रसार किया. भारत जागरण को चलाने वाले पत्रकार का नाम है धीरज शर्मा खंडेवला. धीरज शर्मा ने पंचायत के आयोजकों की तरफ़ से अपने चैनल पर लोगों को पंचायत के लिए निमंत्रण देने की मुहीम चलाई. गौरतलब है कि धीरज शर्मा वैसे तो सुदर्शन न्यूज़ चैनल के लिए गुडगाँव ज़िले से जुडी खबरें देते हैं और साथ ही भारत जागरण नाम का एक लोकल चैनल भी चलाते हैं. धीरज शर्मा की सोशल मीडिया प्रोफाइल पर जाने से प्रतीत होता है कि वो पत्रकार कम, दक्षिणपंथी संगठनों के प्रवक्ता अधिक है. पटौदी की इस महापंचायत पर सुदर्शन न्यूज़ चैनल ने धीरज शर्मा के माध्यम से प्राइम टाइम शो भी किया. धीरज शर्मा की सोशल मीडिया प्रोफाइल इस बात की गवाही देती है कि पंचायत के मुख्य आयोजकों में से कई लोग सुदर्शन न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में आते जाते रहे हैं.
प्रशासन ने नहीं दी थी पंचायत की अनुमति
हरियाणा सरकार ने प्रदेश में महामारी सुरक्षा अलर्ट के तहत किसी भी खुले मैदान में केवल 50 व्यक्तियों के इकठ्ठा होने की छूट दे रखी है. इसके बावजूद पटौदी के रामलीला मैदान में सैकड़ों की तादाद में लोग पंचायत में शामिल हुए थे. इसको लेकर जब हमने पटौदी के एसडीएम से सवाल किया तो उन्होंने गाँव सवेरा को बताया, “ये लोग हमारे पास अर्जी लेकर आए थे, लेकिन हमने उसको रद्द कर दिया था. विभाग को अगर कोई इनके ख़िलाफ़ शिकायत देता है तो विभाग कार्रवाई करेगा.”
पंचायत में यह निर्णय लिए गए कि पटौदी नगरपालिका की तरफ़ से किसी भी तरह का सरकारी पैसा मस्जिद निर्माण में नहीं लगेगा. जिन हिन्दुओं ने अपने मकान और दुकान मुस्लिमों को किराए पर दे रखी हैं, उनसे आह्वान किया गया कि वो अपने मकान और दुकान इनसे खाली करवाएं. पटौदी और उसके आसपास गाँवों में युवाओं के समूह बनाए जाएंगे जो मुस्लिम समुदाय के लोगों पर नज़र रखेंगे.
मुख्य आयोजकों में से एक नरेंद्र पहाड़ी ने हमें बताया, “पटौदी में लगभग 13 हज़ार मुस्लिम बाहर से आकर बसे हैं, यहाँ के मूलनिवासी मुस्लिमों की आबादी केवल 8 हज़ार ही है. हम चाहते है कि बाहर से आकर बसे हुए मुस्लिमों को चिन्हित कर के यहाँ से निकाला जाए.”
पंचायत में यह निर्णय भी किया गया कि इस तरह की पंचायतें अब हरियाणा के हर ज़िले में होंगी. अगली पंचायत पटौदी से सटे हुए रेवाड़ी शहर में की जाएगी, हालांकि उसकी तारीख़ का ऐलान नहीं किया गया.
दक्षिणी हरियाणा में इस तरह की यह दूसरी पंचायत थी. धीरे-धीरे आरएसएस, बजरंग दल, गौ रक्षा दल जैसे संगठन इस इलाक़े में अपनी पकड़ मज़बूत कर रहे हैं. इन पंचायतों के माध्यम से इस इलाक़े में धार्मिक कट्टरता का ज़हर फैलाया जा रहा है. जहाँ कहीं भी मुस्लिम आबादी रह रही है, पहले उन्हीं जगहों पर इस तरह की पंचायतों का आयोजन किया जा रहा है. मेवात और पटौदी इसका उदहारण है.