सोमवार से आढ़तियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल, किसानों की चिंता बढ़ी!
प्रदेशभर के आढ़तियों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया है. इससे पहले प्रदेशभर के आढ़तियों ने 18 सितंबर तक अपनी मांगों पर विचार करने की चेतावनी दी थी लेकिन सरकार की ओर से आढ़तियों की मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया है. इसी के चलते अब प्रदेशभर के आढ़तियों ने 19 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. आढ़ती 19 सितंबर को मंडी स्तर पर और 20 सितंबर को विधायकों के आवास पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. वहीं 21 सितंबर को करनाल में राज्य स्तरीय विरोध मार्च निकाला जाएगा, जिसमें आढ़ती मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव करेंगे.
आढ़तियों के हड़ताल पर जाने के फैसले ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. मंडियों में धान की फसल की आवक शुरू हो चुकी है. आने वाले एक हफ्ते के भीतर धान की आवक और बढ़ जाएगी. ऐसे में मंडियों में आढ़तियों की हड़ताल जारी रही तो किसान अपनी फसल को कैसे बेचेगा.
आढ़तियों की मुख्य मांगें
फसलों की खरीद व भुगतान पर पूरी आढ़त मिलनी चाहिए. आढ़त 2.5% होनी चाहिए जबकि सरकार इसे कम कर रही है. भुगतान सीधा खाते में नहीं होना चाहिए. सीमांत किसानों की फसलें पोर्टल पर रजिस्टर्ड होने के बाद भी सरकार उन्हें खरीद नहीं रही है. मार्किट फीस व एचआरडीएफ फीस को घटाया जाए. सरकार की ओर से मंडियों में ऑनलाइन प्रणाली तीन साल पहले ही शुरू कर दी गई है. इसके तहत गेट पास कटने के बाद ही किसान की फसल को मंडी में बेचा जा सकता है. इस प्रक्रिया में फसल खरीदने वाले आढ़ती व बेचने वाले किसान का नाम सरकारी खरीद के पोर्टल पर दर्ज होता है, लेकिन अब ई-नेम प्रणाली में फसल की ढेरी की फोटो ऑनलाइन डालने से देश का कोई भी व्यापारी किसान की फसल को खरीद सकेगा. आढ़ती इसी बात का विरोध कर रहे हैं. आढ़ती एसोसेएशन का कहना है कि ऐसे में स्थानीय स्तर पर आढ़ती को नुकसान होगा. दूसरा ऑनलाइन खरीद के तहत उठान व भुगतान में भी समस्या आएगी.
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