हरियाणा: ककराणा में मंदिर प्रवेश को लेकर दलित नौजवान किए गिरफ्तार, गांव पुलिस छावनी में तब्दील
आज़ादी के 75 साल बाद भी हरियाणा के रोहतक जिले का गांव ककराना छुआछूत और अस्पर्शता का दंश झेल रहा है. गांव में दलितों के मन्दिर प्रवेश और सार्वजनिक नल से पानी भरने पर सवर्ण समाज के लोगों ने प्रतिबंध लगाया हुआ है. इस गांव में दलित आबादी ना तो शादी की घुड़चरी निकाल सकती है, न ही सार्वजनिक तालाब की जमीन पर सर्वजातीय श्रमदान से निर्मित शिव मंदिर में जा सकती है. इस प्रतिबंध के खिलाफ लंबे समय से गांव के कुछ नौजवान कानूनी तौर पर संघर्ष कर रहे हैं.
इस सिलसिले में गांव की दलित आबादी ने पुलिस प्रशासन को भी अवगत करवाया गया लेकिन कोई बात नहीं बनी. गांव के दलित नौजवानों ने फैसला किया था कि वह 2 नवम्बर को मन्दिर में प्रवेश करेंगे और सामाजिक प्रतिबंधो को तोड़ेंगे. लेकिन इस गांव के दलित नौजवान राहुल अक्खड़ और उसके एक साथी सुमित कुमार को पुलिस ने बीती रात को गिरफ्तार कर लिया.
राहुल की बहन प्रिया ने हमें बताया, “पुलिस ने पूरा गांव सील कर दिया है. हमें तो अभी तक यह भी नहीं पता कि राहुल को किस थाने के अंदर रखा गया है. आज गांव के ब्राह्मण समाज के लोग लाठी, फरसे आदि हथियार लेकर मन्दिर के आगे खड़े हैं. पुलिस मीडिया को फोटो तक नहीं खींचने दे रही है. गांव में बाहरी लोगों पर पुलिस ने प्रतिबंध लगा दिया है. मंजीत मोखरा को रोहतक पुलिस ने नजरबंद कर लिया है. गांव की दलित आबादी भी डर के कारण घरों में कैद है. हालात गंभीर बने हुए हैं, लेकिन पुलिस पीड़ित पक्ष के साथ खड़े होने की बजाय जातिवादी ताकतवर के पक्ष में खड़ी है.”
इस मामले में सक्रिय मंजीत मोखरा को नजरबंद किए जाने से पहले उन्होंने मीडिया को बताया, “कल कलानौर के थाने में ककराना गाँव के सवर्ण समुदाय और बहुजन समाज के साथियों को भी बुलाया गया था. हमने गाँव में हो रहे इस सामाजिक प्रतिबंध पर एसएचओ साहब के सामने अपना पक्ष रखा और गाँव के तथाकथित सवर्ण समुदाय के लोगों को आपसी भाईचारे से मंदिर में प्रवेश करवाने की अपील की, परन्तु उन्हीं व्यक्तियों द्वारा यह कह के पल्ला झाड़ लिया गया कि यह हमारी पूर्वजों की परम्परा है और वे किसी भी तरह से दलित आबादी के लोगों को मंदिर मे प्रवेश व अन्य मुद्दों पर सहमत नहीं हैं. हमने तुरंत प्रभाव से बहुजन परिवारों की प्रशासन द्वारा सुरक्षा की मांग की. फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण है. गाँव मे SDM साहब को ड्यूटी मैजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया है. अगर परिवारों के साथ कोई अनहोनी होती है, तो सरकार व प्रशासन पूर्ण रूप से जिम्मेवार होगा. अगर भाईचारे से बात नहीं सुलझती तो गाँव के बहुजन परिवार भी बौद्ध धर्म अपनाने को तैयार हैं.”
गांव के ही नागरिक मोनू शर्मा ने हमें बताया, “हमारे गांव में दो मंदिर हैं. एक 80 साल पुराना और एक 40 साल पुराना. जो 40 साल पुराना मंदिर है वो दलितों के लिए ही बनाया हुआ है. किसी दलित को भक्ति करनी है तो उसमें जाकर करे. 80 साल पुराना मंदिर सिर्फ ब्राहमणों के लिए है. यह हमारी पूर्वजों की परम्परा है और इस परंपरा को नहीं टूटने देंगे.”
इस मामले को लेकर हमने पुलिस अधिकारी देवेन्द्र से बात करनी चाही तो उन्होंने यह कहकर फोन काट दिया कि इस मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं है.