मजदूर नेता शिव कुमार को पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में रखकर प्रताड़ित किया, न्यायिक जांच में हुआ खुलासा!

 

हाई कोर्ट की निगरानी में हुई जांच में हरियाणा पुलिस के अधिकरियों द्वारा मजदूर नेता शिव कुमार को अवैध रूप से पुलिस कस्टडी में रखकर प्रताड़ित करने के आरोप सही पाए गए हैं. जनवरी 2021 में पुलिस द्वारा किए गए अत्याचार में मजदूर नेता शिव कुमार की एक आंख की रोशनी चली गई थी. मेडिकल रिपोर्ट में सामने आया था कि उनके शरीर में कईं जगह फ्रैक्चर था और साथ ही उनके नाखून भी उखाड़े गए थे.

फरीदाबाद के जिला और सत्र न्यायाधीश दीपक गुप्ता द्वारा की गई जांच में पाया गया कि मजदूर अधिकार संगठन के अध्यक्ष शिव कुमार को हरियाणा पुलिस ने किसान आंदोलन के दौरान जनवरी 2021 में सोनीपत में अवैध रूप से एक सप्ताह के लिए अपनी हिरासत में रखा था. जांच में मजदूर नेता पर हुई यातना को दबाने के लिए डॉक्टरों और न्यायिक अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है. जांच रिपोर्ट के अनुसार अवैध कारावास के दौरान शिव कुमार को “पुलिस द्वारा बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया था, जिससे उनके शरीर के विभिन्न हिस्सों पर फ्रैक्चर सहित कई चोटें आई थी”

बता दें कि जबरन वसूली और हत्या के प्रयास के आरोप में शिव कुमार और उनकी साथी कार्यकर्ता नोदीप कौर पर मुकदमा चल रहा है. दोनों मजदूर नेता 2021 में अपने संगठन के बैनर तले सोनीपत के कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों की मजदूरी नहीं मिलने के चलते फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे.

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पिछले साल मजदूर नेता शिव कुमार के पिता राजबीर द्वारा दायर याचिका पर जांच के आदेश दिए थे. वहीं याचिकाकर्ता के वकील हरिंदर बैंस ने बताया कि पुलिस अत्याचार में शिव कुमार ने अपनी आंख की आधी रोशनी खो दी है. उस पर लगातार समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा था लेकिन शिव कुमार और उनका परिवार न्याय के लिए डटा रहा. वहीं वकील ने आगे कहा कि हम अगली सुनवाई में एफआईआर दर्ज करने और सीबीआई जांच कराने की मांग करेंगे.

पंचकुला जिला कोर्ट ने इस मामले पर जुलाई में अपनी जांच पूरी की थी और अगस्त में हाई कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी. जांच सामने आया कि पुलिस के अपराध को छिपाने के लिए सरकारी डॉक्टरों की मिलीभगत भी थी. हरियाणा के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र का जवाब नहीं मिला है, जिसमें जांच रिपोर्ट पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई थी. वहीं अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान किसी तरह की मिलीभगत से इनकार किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, “शिव कुमार की 24 जनवरी 2021 से 2 फरवरी 2021 के दौरान पांच बार जांच की गई, लेकिन सरकारी अस्पताल, सोनीपत के किसी भी डॉक्टर या जेल में तैनात डॉक्टर ने पुलिस अधिकारियों के साथ मिलीभगत के चलते अपनी ड्यूटी नहीं निभाई”

बता दें कि हाई कोर्ट के आदेश पर 20 फरवरी, 2021 को चंडीगढ़ में सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की मेडिकल जांच में शिव कुमार के हाथ और पैर में फ्रैक्चर और उनके पैर की अंगुली पर टूटे हुए नाखून की रिपोर्ट जारी की थी. साथ ही रिपोर्ट में शिव कुमार को मानसिक तनाव देने की बात भी सामने आई थी. रिपोर्ट में कुंडली पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर शमशेर सिंह को यातना के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार बताया गया है साथ ही उसी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर रवि कुमार और क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी सोनीपत के रविंदर को अवैध कारावास और यातना में शामिल होने के लिए नामित किया गया है.

शिव कुमार के अनुसार सोनीपत के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उन्हें देखे बिना ही अवैध कारावास के बाद उनका पुलिस रिमांड दे दिया था. शिवकुमार के वकील बैंस ने कहा, “रिपोर्ट से पता चलता है कि यहां केवल एक अधिकारी द्वारा किसी को प्रताड़ित नहीं किया गया था बल्कि एक मजिस्ट्रेट सहित पूरी व्यवस्था की मिलीभगत थी. हम माननीय उच्च न्यायालय से दोषियों को दंडित करने का एक उदाहरण स्थापित करने के लिए कहेंगे.

मजदूर नेता शिव कुमार ने बताया, “हिरासत के दौरान मेरी दाहिनी आंख में समस्या हो गई थी जिसका इलाज नहीं किया गया था और अब मुझे दाहिनी आंख से दिखाई नहीं देता है. उन्होंने कहा, ‘प्रशासन पर मामले को निपटाने का काफी दबाव है. लेकिन मैं चाहता हूं कि न्याय हो और दोषियों को सजा मिले.”