करनाल में 31 अगस्त को मनाया जाएगा विमुक्ति दिवस!

करनाल के मंगल सेन सभागार में अखिल भारतीय विमुक्त घुमंतू जनजाति वैलफेयर संघ, हरियाणा द्वारा एक प्रेसवार्ता आयोजित की गई. प्रेसवार्ता में संघ की ओर से 31 अगस्त को विमुक्ति दिवस मनाये जाने सम्बंधी जानकारी दी गई. संघ के अध्यक्ष मास्टर जिले सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम हमारे लिए एक त्योहार की तरह है और इस बार समस्त विमुक्त घुमंतू समाज की ओर से 71वां विमुक्ति दिवस 31 अगस्त को करनाल के मंगल सेन सभागार में धूमधाम से मनाया जाएगा.
अध्यक्ष ने बताया 31 अगस्त को विमुक्ति दिवस के मौके पर मुख्य अथिति के तौर पर करनाल से सांसद संजय भाटिया और अति वशिष्ट अतिथि के तौर पर कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सैनी और राज्यसभा सांसद कृष्ण पंवार शिरकत करेंगे. वहीं साथ ही शाहबाद से विधायक रामकरण, घरौंडा से विधायक हरविंद्र सिंह कल्याण, विधायक लक्षमण नापा, रतिया, इंद्री से विधायक रामकुमार कश्यप, नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर, करनाल से मेयर रेणु बाला गुप्ता और डीएनटी बॉर्ड के चैयरमेन डॉ बलवान सिंह वशिष्ट अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में शामिल होंगे.
वहीं अखिल भारतीय विमुक्त घुमंतू जनजाति वैलफेयर संघ के राष्ट्रीय महासचिव बालक राम ने इन विमुक्त घुमंतू जनजातियों का इतिहास बताते हुए कहा, गोरिल्ला युद्ध में निपुणता के चलते अंग्रेजों के खिलाफ अभियान छेड़ने वाली इन जनजातियों पर दबिश डालने के लिए 1871 में अंग्रेजी हुकूमत ने जैराइम पेशा काला कानून (क्रीमिनल ट्राइब एक्ट) लगा दिया. इन जनजातियों पर काला कानून लगाकर, समाज में इनके प्रति नफरत फैलाने के मकसद से अंग्रेजों ने इनकों जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया. कानून के तहत इन लोगों को गाँव व शहर से बाहर जाने के लिए स्थानीय मजिस्ट्रेट के यहां अपना नाम दर्ज करवाना अनिवार्य कर दिया गया था ताकि पता रहे कि ये लोग कहां, क्यों और कितने दिनों के लिए जा रहे हैं. सबसे पहले इस कानून को उत्तर भारत में लागू किया गया.
उसके बाद 1876 में क्रीमिनल ट्राइब एक्ट को बंगाल प्रांत पर भी लागू किया गया और 1924 तक आते-आते इस कानून को पूरे भारत में रहने वाली सभी करीबन 193 जनजातियों पर थोप दिया गया. 15 अगस्त 1947 को देश तो आजाद हो गया लेकिन ये लोग आजादी के पांच साल बाद तक भी गुलामी का दंश झेलते रहे और गांव के नंबरदार और पुलिस थाने में हाजिरी लगाने के लिए मजबूर रहे. आखिरकार 1948 में बैठाई गई क्रीमिनल ट्राइब एक्ट इन्क्वारी कमेटी ने 1949-50 में सरकार को रिपोर्ट सौंपी जिसमें देश की ऐसी 193 जातियों को है 31 अगस्त सन 1952 को संसद में बिल पास होने के बाद इस दंश से मुक्त किया गया. उस दिन से इन जनजातियों को विमुक्त जाति अर्थात डिनोटिफाइड ट्राइब्स के नाम से जाना जाता है. 1871 में क्रिमिनल ट्राइब एक्ट लगने से लेकर 31 अगस्त 1952 तक यानी करीबन 82 साल तक आजाद भारत में भी ये लोग गुलामी का दंश झेलते रहे. पूरे देश में विमुक्त घुमंतू जनजाति की आबादी करीबन 20 से 25 करोड़ है इनमें से अधिकतर लोग आज भी खुले आसमान, पुलों के नीचे, सीवरेज के पाइपों, तिरपालों में अपना जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं.
विमुक्त एवं घूमन्तु कर्मचारी वैलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रोशन लाल माहला ने विमुक्त घुमंतू जनजाति के लोगों से विनम्र अपील की है कि अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए 31 अगस्त को अधिक से अधिक संख्यां में मुक्ति दिवस के महोत्सव में शामिल होकर अपने अधिकारों की लड़ाई में हिस्सा लें.
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