मणिपुर मुद्दे पर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार, चर्चा के लिए बाध्य हुई सरकार!
मणिपुर की घटना को लेकर सरकार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर हैं. लोकसभा के मानसून सत्र में पहले दिन से विपक्ष की और से मणिपुर हिंसा पर सदन में प्रधानमंत्री के बयान की मांग की जा रही है. वहीं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया तो 50 विपक्षी सासंदों ने अपनी सीट पर खड़े होकर अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया. जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
सांसद गोगोई ने बुधवार सुबह 10 बजे से पहले नियमानुसार मणिपुर मुद्दे पर सरकार के खिलाफ अविश्वास का नोटिस दिया था. सुबह पहले स्थगन के बाद जब लोकसभा दोबारा शुरू हुई तो दोपहर में नोटिस लेते हुए अध्यक्ष ने गोगोई से सदन में प्रस्ताव पेश करने और इसे स्वीकार कराने के लिए सांसदों का समर्थन दिखाने को कहा. लोकसभा की प्रक्रिया के नियम 198 के तहत, स्पीकर द्वारा सदन में शक्ति प्रदर्शन के लिए रखे जाने के बाद अपनाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव को 50 सदस्यों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए. एक बार जब वह समर्थन आ जाता है तो प्रस्ताव बहस के लिए स्वीकार कर लिया जाता है.
स्पीकर ने प्रस्ताव स्वीकार करते हुए कहा कि वह इस पर सदन के नेताओं के साथ चर्चा करेंगे, इसे बहस के लिए सूचीबद्ध करेंगे और सदन को बहस का दिन और समय बताएंगे. नियम के अनुसार अध्यक्ष को प्रस्ताव स्वीकार होने के 10 दिनों के भीतर बहस और मतदान के लिए सूचीबद्ध करना होता है. प्रमुख विपक्षी दलों टीएमसी, लेफ्ट, एनसी, डीएमके, एनसीपी और जेडीयू ने प्रस्ताव का समर्थन किया.
वहीं इस पर कांग्रेस ने कहा, “केंद्र सरकार, सदन का विश्वास खो चुकी है”