मणिपुर हिंसा से राज्य में किसानों को 226 करोड़ रुपये से ज्यादा के नुकसान का अनुमान: रिपोर्ट
पांच महीने तक चली हिंसा के कारण मणिपुर के अधिकतर किसान अपनी खेती बाड़ी से दूर रहे, इस बीच राज्य की खेती को भारी नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है. राज्य में किसानों के संगठन लूमी शिनमी अपुनबा लूप (LOUSAL) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि हिंसा के चलते किसानों को करीबन 266 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अकेले इंफाल घाटी में लगभग 9,719 हेक्टेयर धान के खेतों में फसल बर्बाद हो सकती है क्योंकि हिंसा और गोलीबारी के कारण किसान खेतों में जाने से बच रहे हैं. अनुमान है कि इस साल कृषि क्षेत्र में राज्य को कुल आय का नुकसान लगभग 226.50 करोड़ रुपये हो सकता है. इसमें से सबसे अधिक नुकसान चावल उत्पादन में 211.41 करोड़ रुपये का होगा, जो 93.36 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में कम बारिश और पांच महीने तक चले संघर्ष के कारण फसल खराब होने, खाद्य असुरक्षा और राज्य के लोगों की आजीविका के लिए खतरे की ओर इशारा करता है”
रिपोर्ट में कहा गया है कि बिष्णुपुर, जो कुकी-बहुल चुराचांदपुर के साथ सीमा साझा करता है, सबसे कमजोर जिलों में से एक रहा है. इसमें कहा गया है कि फुबाला, सुनुसिपाई, नारानसेना, खोइरेंटक, कुंबी, सागांग, तोरबुंग, वांगू और खोइजुमन खुनौ के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं और उनमें से कुछ को गोली भी लगी है. सर्वेक्षण टीम में शामिल लूसल के अध्यक्ष मुतुम चूरामनी ने कहा, “वर्तमान स्थिति ऐसी है कि कुछ सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद, हमारे किसान धान के पौधों की देखभाल के लिए खेतों में जाने से डर रहे हैं.” जुलाई में किसानों और अन्य नागरिक समाज संगठनों के अनुरोधों का जवाब देते हुए, मणिपुर सरकार ने किसानों को धान की खेती फिर से शुरू करने की अनुमति देने के लिए खेतों में लगभग 2,000 सुरक्षा बलों को तैनात किया. लेकिन कई लोग अपनी जान को ख़तरे के डर से दूर रहे क्योंकि घाटी और पहाड़ियों को अलग करने वाले “बफ़र ज़ोन” में गोलीबारी जारी थी.
बिष्णुपुर के नारानसैना के किसान ओइनम ब्रजलाला ने कहा कि तलहटी में तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें ऊंची नहर के ऊपर स्थित धान के खेतों तक पहुंचने से रोक दिया है. “उन्होंने क्षेत्र को रेड जोन घोषित कर दिया है. हमें नहीं पता हमने जो थोड़ा सा धान बोया है, हम उसकी कटाई कर पाएंगे या नहीं. सिंचाई के लिए पानी को शरारती तत्वों ने छीन लिया है. पानी के बिना, धान की खेती कैसे संभव है? उन्होंने कहा, ”हमें नहीं पता कि गोलीबारी कब रुकेगी.”