रजिस्ट्री घोटाले के भ्रष्ट अफसरों के सामने झुकी हरियाणा सरकार, मामला रफा-दफा करने पर विचार!
हरियाणा में कोरोना काल में हुए रजिस्ट्री घोटाले के आरोपी 800 से अधिक अफसरों और कर्मचारियों को सरकार माफ करने की तैयारी में है. सरकार एक साथ इतने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रही है. ऐसे में अब इन अधिकारियों को बीच का रास्ता निकालकर चेतावनी देकर छोड़ने पर विचार चल रहा है. वहीं दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला में छपी रिपोर्ट के अनुसार जिन अधिकारियों के कारण सरकार को वित्तीय घाटा हुआ है केवल उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
बता दें कि लॉकडाउन के समय हरियाणा में रजिस्ट्रियों में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आई थीं. इसके बाद हरियाणा सरकार ने 3 अप्रैल 2017 से लेकर 13 अगस्त 2021 तक रजिस्टर्ड दस्तावेजों की जांच कराई थी, जिसमें 64577 रजिस्ट्रियों में नियम 7-ए का उल्लंघन पाया गया था. नियमों के तहत इन रजिस्ट्रियों के लिए एनओसी लेनी जरूरी थी, लेकिन अधिकारियों ने बिना एनओसी के ही ये रजिस्ट्रियां कर दी. इन गड़बड़ियों को लेकर राजस्व विभाग की ओर से फरवरी में 800 अधिकारियों और कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इनमें 133 सब-रजिस्ट्रार, 97 संयुक्त सब-रजिस्ट्रार, 156 क्लर्क और 400 से अधिक पटवारी शामिल थे.
छह महीने बीत जाने के बाद भी आधे से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों ने नोटिस के जवाब नहीं दिए हैं. इसी बीच पटवारी एवं कानूनगो एसोसिएशन ने 17 और 18 फरवरी को इसके खिलाफ प्रदेशभर में हड़ताल भी की थी वहीं इसके बाद द रेवेन्यू आफिसर एसोसिएशन ने मांगों को लेकर 16 व 17 मई को हड़ताल की चेतावनी दी थी. बार-बार नोटिस दिए जाने के बाद भी जवाब नहीं मिलने पर सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है. सरकार का तर्क है कि एक विभाग के इतने अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करना संभव नहीं है, अगर ऐसा हुआ तो विभाग में काम कैसे चलेगा. पिछले महीने हुए विधानसभा के मानसून सत्र में भी सरकार यह साफ कर चुकी है कि प्रदेश में कोई रजिस्ट्री घोटाला नहीं हुआ है.
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने विधानसभा में रजिस्ट्री घोटाले को क्लीनचिट देते हुए कहा था कि सरकार की जांच में कोई अधिकारी और कर्मचारी दोषी नहीं पाया गया है वहीं रजिस्ट्री घोटाले पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिहं हुड्डा ने सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि सरकार जांच के लिए केवल एसआईटी का गठन करती है जांच रिपोर्ट पेश नहीं करती है.
समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार राजस्व विभाग के विशेषज्ञ ने बताया कि अब सरकार के पास इन अधिकारियों को माफ करने के लिए दो रास्ते हैं. एक तो सरकार जारी किए गए नोटिस को वापस ले और दूसरा सभी से जवाब ले.जवाब में अधिकारी लिखेंगे कि उन्होंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया और न ही इससे सरकार को कोई वित्तीय घाटा हुआ है और इसके बाद मामले को बंद कर दिया जाएगा.