एमडीयू ने दो से तीन गुणा फीस बढ़ाकर छात्रों पर लादा भारी भरकम फीसों का बोझ
हरियाणा के रोहतक और आसपास के जिले के छात्र-छात्राओं का उच्च शिक्षा के लिए महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय एक सपने जैसा है जो कि हरियाणा का सबसे सस्ता विश्वविद्यालय है. इस विश्वविद्यालय में इस क्षेत्र के मुख्यता मध्यम और निम्न वर्ग के युवक-युवतियां पढ़ने के लिए आते हैं. लेकिन अभी विश्वविद्यालय प्रशासन ने अलग-अलग तरह की फीसों में दो से ढाई गुना तक बढ़ोत्तरी की है, जिससे मध्यम और निम्न वर्ग से संबंधित छात्र-छात्राओं पर असर पड़ने वाला है.
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने डीएमसी, माइग्रेशन, लेट फीस समेत लगभग सभी फीस को 100% से 200% तक बढ़ा दिया है जो कि इस प्रकार हैं :-
डुप्लीकेट DMC/प्रोविजनल सर्टिफिकेट की फीस 300 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए कर दी गई है.
माइग्रेशन सर्टिफिकेट (डाक द्वारा भेजने) की फीस 500 रुपए से बढ़ाकर 1000 रुपए कर दी गई है.
माइग्रेशन सर्टिफिकेट हाथों हाथ लेने की फीस 600 रुपए से बढाकर 1200 रुपए कर दी गई है.
हाथों हाथ डुप्लीकेट माइग्रेशन लेने की फीस 1000 रुपए से बढ़ाकर 2000 रुपए कर दी गई है.
इन्टर कॉलेज माइग्रेशन करवाने की फीस 10000 रूपए से बढ़ाकर 20000 रुपए कर दी है.
स्पेशल प्रैक्टिकल एग्जाम फीस 2000 रुपए से 4000 रुपए कर दी गई है.
एग्जाम सेंटर चेंज फीस 5000 रुपए से बढ़ाकर 10000 रुपए कर दी गई है.
प्रति सैमेस्टर ट्रांसक्रिप्शन फीस 200 रुपए से 500 रुपए कर दी गई है.
कान्फिडेन्सियल रिजल्ट निकलवाने की फीस 500 रुपए से 1000 रुपए कर दी गई है.
एग्जाम फॉर्म लेट जमा करवाने की फीस 5000 रुपए से बढ़ाकर 8000 रुपए कर दी गई है. कुछ कोर्स की तो फीस ही दो से तीन हजार रुपए है और लेट फीस पांच से आठ हजार रुपए की जा रही है.
दाखिला फार्म फीस 600 रुपए से बढ़ाकर 1000 रुपए कर दी गई है.
ये सब फैसले 31/12/2021 को आयोजित एग्जिक्यूटिव काउन्सिल की कमिटी की मीटिंग में रिजोल्यूशन नम्बर-29 में पास किए गए थे. उस समय फीस नहीं दरों के हिसाब से कुछ ही दिन के लिए लागू हुई थी तभी इसके खिलाफ छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने अन्य छात्र संगठनों को साथ लेकर प्रदर्शन किया था और यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को ज्ञापन भी सौंपा था, जिसके दबाव में कुछ समय के लिए इस फैसले को रोक लिया गया था. लेकिन अब छात्र संगठनों के विरोध के बावजूद इस फैसले को फिर से लागू किया जा रहा है. बढ़ी हुई फीस को वापस करवाने के लिए मदवि के छात्र संगठनों ने मिलकर संयुक्त छात्र संघर्ष समिति नाम से एक संयुक्त मोर्चा बनाया है जिसमें एसएफआई, आल इंडिया डीएसओ, छात्र एकता मंच, इनसो, सीवाईएसएस, एमवीए, दिशा छात्र संगठन और वाल्मीकि छात्र महासभा शामिल हैं.
संघर्ष समिति का कहना है कि यह फैसला मदवि और इससे संबंधित कॉलेजों के लाखों छात्र-छात्राओं के खिलाफ है. इसमें कुछ फीस तो पहले से ही नाजायज थी जो वापस ली जानी चाहिए थी जिन्हें और बढ़ाने से गरीब छात्र-छात्राओं के लिए विश्वविद्यालय में पढ़ाई के खर्च को उठाना और भी मुश्किल हो जाएगा और वे धीरे-धीरे शिक्षा से बाहर हो जाएंगे. छात्र एकता मंच के सदस्य अजय ने बताया, “विश्वविद्यालय में जय जवान जय किसान चौंक तो बनाया गया है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले ने उनके नौजवान बेटा-बेटियों का यहां आकर पढ़ पाना मुश्किल कर दिया है.”
सीवाईएसएस के अध्यक्ष अरुण बोहर ने हमें बताया, “एमडीयू प्रशासन फ़ीस बढ़ोतरी कर सरकार के निजीकरण को बढ़ावा दे रही है, जिससे ग़रीब घर के बच्चे यूनिवर्सिटी में एडमिशम ना ले सकें. प्रशासन की ओछी मानसिकता का हम कड़ा विरोध करते हैं. अगर प्रशासन फ़ीस बढोतरी को वापिस नहीं लेता है, तो सारे छात्र प्रशासन के उल्ट उठ खड़े होंगे.”
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