आंदोलन से पहले किसानों के दरवाजे पर आए 3 केन्द्रीय मंत्री! जानिए किसान नेताओं से क्या बात हुई?

 

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा द्वारा घोषित 13 फरवरी के “दिल्ली चलो” आंदोलन से पहले, तीन केंद्रीय मंत्रियों और किसान यूनियनों के नेताओं के बीच दो घंटे तक बातचीत हुई. भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रियों ने “किसानों की कुछ मांगों पर सहमति जताई और बाकी मांगों पर विचार करने के लिए एक कमेटी भी बनाई” किसानों के साथ आयोजित की गई इस बातचीक में केन्द्र सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय शामिल हुए.

केंद्र ने लखीमपुर खीरी में घायल हुए लोगों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने, 2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर चले आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने, आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवार के सदस्यों को मुआवजा और नौकरी देने पर सहमति व्यक्त की है, और अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की हामी भी भरी है.

हालांकि किसान नेताओं – एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर संघर्ष समिति के स्वर्ण सिंह पंढेर ने 13 फरवरी के आंदोलन को वापस लेने की घोषणा नहीं की, लेकिन वे कथित तौर पर केंद्र द्वारा दिए गए प्रस्तावों को लेकर अन्य नेताओं के पास वापस जाएंगे. सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय ने किसान नेताओं द्वारा की गई सभी मांगों पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की पेशकश की, जिसमें बिजली सचिव, खाद्य और सार्वजनिक वितरण सचिव, कृषि सचिव और गृह सचिव होंगे. यह कमेटी 13 फरवरी से पहले किसान नेताओं के साथ बैठक करेगी और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट के अनुसार फसलों की कीमतें तय करने और किसानों की कर्ज माफी जैसी मांगों पर विचार करेगी.

किसानों ने यह भी मांग की कि उन्हें बिजली संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर रखा जाए. सूत्रों के मुताबिक पीयूष गोयल ने कहा कि विधेयक संसद की स्थायी समिति के पास लंबित है. किसानों की केन्द्र के साथ यह बैठक पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने करवाई थी. वे बैठक में भी मौजूद रहे. भगवंत मान ने कहा, ”मैं किसानों के वकील के तौर पर वहां था. मैंने केंद्र से किसानों के लंबे समय से लंबित मुद्दों को हल करने के लिए यहां एक कमेटी भेजने का अनुरोध किया था. बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत हुई. मुद्दों को सुलझाने के उद्देश्य से यह पहली बैठक थी.”

पंजाब और हरियाणा में किसान यूनियनों ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए दिल्ली घेराव करने और वहां डेरा डालने की घोषणा कर रखी है. भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को लगता है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन ने किसानों के प्रति सहानुभूति की लहर और केंद्र सरकार विरोधी भावना पैदा की थी, भाजपा अब कोई भी मौका लेने को तैयार नहीं है, इसलिए केंद्रीय मंत्री दोपहर को ही यहां पहुंच गए थे. उन्होंने महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में किसान नेताओं के साथ बैठक करने से पहले सेक्टर 17 के एक होटल में हरियाणा-पंजाब के अधिकारियों की एक टीम के साथ बैठक की. सूत्रों के मुताबिक, अधिकारियों ने मंत्रियों को रिपोर्ट करते हुए कहा कि हरियाणा और पंजाब में किसान बड़े स्तर पर तैयारी कर रहे हैं, आंदोलन को रोकना मुश्किल होगा.

बैठक से पहले एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने मीडिया को बताया, “देश भर से 200 से अधिक किसान संगठन विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे. हम लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं, इसलिए सरकार भी हमारे साथ अब बैठक करने आई है.” दूसरे किसान नेता सरवन पंधेर ने बताया कि वे केवल इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि केंद्र ने पिछले आंदोलन के खत्म होने पर उनसे किए गए वादे पूरे नहीं किए हैं.