‘दूध-दही’ वाले हरियाणा में दूध का उत्पादन घटा, भैंसों की संख्या में आई गिरावट
आज 1 जून का दिन दुनिया भर में विश्व दुग्ध दिवस (वर्ल्ड मिल्क डे) के रूप में मनाया जाता है. लेकिन आज ही के दिन एक रिपोर्ट के अनुसार दूध-दही वाले हरियाणा में अब दूध का उत्पादन घटने लगा है. ‘देसां म्हं देस हरयाणा, जित दूध दही का खाना’ वाले प्रदेश में दूध उत्पादन में पिछले एक साल में 451 टन की कमी आ गई है.
यही नहीं प्रदेश में भैंसों की संख्या में 28.22 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. वर्ष 2012 में प्रदेश में 60,85,312 भैंसे थी, जो अब कम होकर 43,68,023 हो गई है. सीधे तौर पर 17,17,289 कम हो गई है. तो वहीं प्रदेश में गायों की संख्या में 1.20 लाख की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
नियम के अनुसार देश में हर पांच साल में पशुगणना की जाती है. वर्ष 2012 के बाद 2017 में पशुगणना होनी थी, लेकिन पशुगणना के लिए डिजिटल तरीके अपनाने का निर्णय लिए जाने की वजह से यह करीब दो साल की देरी से 2019 में हुई.
प्रदेश में भैंसों की घटती संख्या के मामले की जांच और कारण जानने के लिए जब हमने हरियाणा के लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड के एमडी डॉ. एसके बगौरिया जी से बात की तो उन्होंने इस बारे में बात करने से साफ़ मना कर दिया.
हिसार में स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवासा) के प्रिंसिपल एक्सटेंशनल स्पेशलिस्ट (पशु विज्ञान) डॉ. राजेंद्र सिंह प्रदेश में भैंसों की संख्या कम होने के कई कारण मानते हैं. डॉ. राजेंद्र सिंह ने इस विषय पर एक अध्ययन भी किया था जिसमें कई तथ्य सामने आए थे.
राजेंद्र सिंह बताते हैं कि भैंसों को खाने में कैल्सियम, फॉस्फोरस, मैग्निशियम, कोबाल्ट और जिंक जैसे पोषक तत्व बहुत जरूरी होता है, लेकिन भैंसों को अब जो चारा दिया जा रहा है, उसमें पशुओं के लिए सबसे जरूरी जिंक जैसे मिनरल्स नहीं मिल रहे हैं. पशुओं को मिलने वाले हरा चारा में भी जरूरी मिनरल्स नहीं है. खेतों में फसलों पर दिए जाने वाले फर्टिलाइजर की वजह से हरे चारे में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है, जबकि उसमें जिंक और फॉस्फोरस की मात्रा 50 फीसदी से कम हो गई है. जिंक नहीं मिलने से भैंसों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है. जिसका सीधा असर भैंसों की संख्या पर अब दिखने लगा है.
इसके अलावा क्रॉस ब्रीडिंग मुहिम की वजह से भी भैंसों की संख्या में कमी आई है. अधिक दूध उत्पादन के लिए सरकार और किसान दोनों क्रॉस ब्रीडिंग वाली भैंस पालने लगे हैं. जिससे लोगों में भूरी भैंस (प्राकृतिक तरीके से जन्मी) पालने में रूचि कम हो गई है.
आमतौर पर क्रॉस ब्रीडिंग से जन्मी मुर्राह भैंस औसतन 20-30 लीटर दूध देती है. जबकि भूरी भैंसे 3 से 7 लीटर दूध देती है. जिसकी वजह से लोग भूरी भैंसे छोड़कर मुर्राह भैंस पालने लगे हैं. दूध उत्पादन के नजरिये से एक मुर्राह भैंस सात देसी भूरी भैंसों के बराबर है.
एक भैंस के पालन पोषण पर सालाना 75 हजार रुपये खर्च होता है. इसकी वजह से भी लोग कम भैंसों को पाल कर अधिक दूध हासिल कर रहे हैं. 2012 तक 58 फीसदी घरों में भैंस पालन किया जाता था, लेकिन 2019 के आंकड़ों के मुताबिक अब केवल 37 प्रतिशत घरों में भैँस पालन हो रहा है.
वहीं दूध के उत्पादन में कमी आने की वजह से दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता भी प्रतिदिन 1142 ग्राम से घटकर 1060 ग्राम रह गई है. हालांकि यह मात्रा राष्ट्रीय औसत के 394 ग्राम के मुकाबले कहीं अधिक है.