हरित क्रांति के अग्रदूत एमएस स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में निधन!

 

भारत में हरित क्रांति के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को चेन्नई में 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया. WHO में पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और पूर्व उप महानिदेशक और एमएस स्वामीनाथन की बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने एक न्यूज एजेंसी को बताया, “पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी. आज सुबह उनका निधन हो गया. वह किसानों के कल्याण और समाज के सबसे गरीब लोगों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध थे”

डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने आगे कहा “मुझे उम्मीद है कि हम तीनों बेटियां उस विरासत को जारी रखेंगी जो मेरे पिता और मेरी मां मीना स्वामीनाथन ने हमें दिखाई है. मेरे पिता उन चंद लोगों में से एक थे जिन्होंने माना कि कृषि में महिलाओं की उपेक्षा की जाती है. उन्होंने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की उनके विचारों ने महिला सशक्तिकरण योजना जैसे कार्यक्रमों को जन्म दिया, जिसका उद्देश्य महिला किसानों का समर्थन करना था. जब वह छठे योजना आयोग के सदस्य थे, तो पहली बार लिंग और पर्यावरण पर एक अध्याय शामिल किया गया था. ये दो योगदान हैं जिन पर उन्हें बहुत गर्व था,”

बता दें कि उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और इस सम्मान से मिली राशि से उन्होंने 1988 में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी. एमएस स्वामीनाथन को ‘विज्ञान एवं अभियांत्रिकी’ के क्षेत्र में ‘भारत सरकार’ द्वारा सन 1967 में ‘पद्म श्री’, 1972 में ‘पद्म भूषण’ और 1989 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था.

वहीं देश के अंदर सभी पार्टियों ने स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करने के वादे किए हैं लेकिन आज तक कोई भी सरकार किसानों के हितों में तैयार की गई उनकी इस रिपोर्ट को लागू नहीं कर पाई है.

क्या है स्मानीनाथन रिपोर्ट

भूमि सुधार के लिए

इस रिपोर्ट में भूमि सुधारों की गति को बढ़ाने पर खास जोर दिया गया है. सरप्लस व बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांटना, आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने के हक यकीनी बनाना व राष्ट्रीय भूमि उपयोग सलाह सेवा सुधारों के विशेष अंग हैं.

फसली बीमा के लिए

रिपोर्ट में बैंकिंग व आसान वित्तीय सुविधाओं को आम किसान तक पहुंचाने पर विशेष ध्यान दिया गया है. सस्ती दरों पर क्रॉप लोन मिले यानि ब्याज दर सीधे 4 प्रतिशत कम कर दी जाए. कर्ज उगाही में नरमी यानि जब तक किसान कर्ज़ चुकाने की स्थिति में न आ जाए तब तक उससे कर्ज़ न बसूला जाए। उन्हें प्राकृतिक आपदाओं में बचाने के लिए कृषि राहत फंड बनाया जाए.

उत्पादकता बढ़ाने के लिए

भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही खेती के लिए ढांचागत विकास संबंधी भी रिपोर्ट में चर्चा है. मिट्टी की जांच व संरक्षण भी एजेंडे में है. इसके लिए मिट्टी के पोषण से जुड़ी कमियों को सुधारा जाए व मिट्टी की टेस्टिंग वाली लैबों का बड़ा नेटवर्क तैयार करना होगा और सड़क के ज़रिए जुड़ने के लिए सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने पर जोर दिया जाए.

खाद्य सुरक्षा के लिए

प्रति व्यक्ति भोजन उपलब्धता बढ़े, इस मकसद से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आमूल सुधारों पर बल दिया गया है. कम्युनिटी फूड व वाटर बैंक बनाने व राष्ट्रीय भोजन गारंटी कानून की संस्तुति भी रिपोर्ट में है.इसके साथ ही वैश्विक सार्वजनिक वितरण प्रणाली बनाई जाए जिसके लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 1% हिस्से की जरूरत होगी। महिला स्वयंसेवी ग्रुप्स की मदद से ‘सामुदायिक खाना और पानी बैंक’ स्थापित करने होंगे, जिनसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को खाना मिल सके. कुपोषण को दूर करने के लिए इसके अंतर्गत प्रयास किए जाएं.