DNT समुदाय की स्थिति पर चर्चा को लेकर NHRC ने बुलाई बैठक!

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा अखिल भारतीय विमुक्त एवम घुमंतू जनजाति वेलफेयर संघ के सहयोग से 19 जनवरी को विमुक्त एवम घुमंतू जनजातियों के मानवाधिकारों को लेकर मानवाधिकार भवन नई दिल्ली में बैठक आयोजित की गई. बैठक “भारत में विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू जनजाति समुदाय की सुरक्षा और आगे का प्रक्षेपण” विषय पर खुली चर्चा की गई. बैठक का उद्घाटन राष्ट्रीय मानवाधिकार के सदस्य डॉ श्री ज्ञानेंद्र मुले ने किया तथा इस बैठक में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संयुक्त सचिव देवेन्द्र कुमार निम ने किया.
बैठक में आयोग ने कहा कि सरकार को आदतन अपराधी अधिनियम 1952 को निरस्त करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए. सभी विमुक्त एवम घुमंतू जनजातियों को अलग से श्रेणीबद्ध किया जाए. बैठक में ‘भारत में एनटी, DNT, एसएनटी की सुरक्षा और आगे के प्रपेक्ष में खुली चर्चा की गई. बैठक में आयोग के सदस्य डॉ ज्ञानेश्वर मुले ने कहा कि इस समुदाय के लोगों के साथ न्याय नहीं हो पा रहा है तथा गैर अधिसूचित जनजातियों, घुमंतू जनजातियों एवम अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को भी आजीविका के उचित साधनों की आवश्यकता है. क्योंकि बहुत सी घुमंतू जनजातियों के रोजगार वन संरक्षण कानून के तहत खत्म हो चुके है जैसे सपेरा, बंदर का तमाशा दिखाने वाले मदारी, रीछ-भालू का तमाशा दिखाने वाले मदारी इस कानून के चलते बेरोजगार होकर भिक्षावृति करने के लिए मजबूर हैं. क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट को खत्म हुए 73 साल बीत चुके है लेकिन विमुक्त घुमंतू जनजातियों के प्रति 150 साल पुरानी अवधारणा रखना बहुत ही दुखद है.
परिचर्चा में सहयोगी रहे संगठन अखिल भारतीय विमुक्त एवम घुमंतू जनजाति वेलफेयर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंद्र कुमार ने आयोग से सिफारिश की कि हेबिचुअल ऑफेंडर कानून 1952 सरकार पूरी तरह देश से खत्म करे तथा पुलिस प्रशासन एवम मीडिया के द्वारा आए दिन विमुक्त एवम घुमंतू जनजातियों की जातियों को गिरोह के रूप में अखबारों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा प्रचारित करने पर रोक लगाने हेतु सरकार सख्त कानून बनाए जिससे विमुक्त एवम घुमंतू जनजातियों के मानवाधिकारों रक्षा हो सके. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में DNT सेल बनाया जाए और उक्त सेल में विमुक्त एवम घुमंतु जनजाति समाज सेवियों को नियुक्त किया जाए तथा यह सेल राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश तथा जिला लेवल तक संचालित किया जाए जिससे विमुक्त एवम घुमंतू जनजातियों पर हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर रोक लगाई जा सके. विमुक्त एवम घूमंतु जनजाति के प्रथक थाने हर जिले में बनाए जाए तथा सरकार इदाते कमीशन की रिपोर्ट को जल्द से जल्द लागू करे.
वहीं मोहित तवर ने कहा कि विमुक्त जनजातियां वह है जिन्होंने 1857 की क्रांति का आगाज पश्चिमी उत्तर प्रदेश से किया था लेकिन दुखद है कि मंगल पांडे के विषय में सभी को पढ़ाया जाता है किंतु 1857 में अहम योगदान देने वाले विमुक्त जनजाति के क्रांतिवीर धन सिंह कोतवाल गुर्जर को किसी किताब में नही पढ़ाया जाता है. विमुक्त जनजातियों के लोगों का इतना ही गुनाह है कि उन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया और 82 सालों तक जेलों में रहे हैं लेकिन हमे गर्व है कि हमारे पूर्वज देश भक्त थे देश के गद्दार नहीं थे. हमने देश के लिए कुर्बानियां दी हैं. लेकिन सरकारों ने हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया सिर्फ आयोग पर आयोग बैठाए हैं और आज तक किसी भी आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं किया यह राष्ट्रीय शर्म का विषय है.
संगठन के राष्ट्रीय महासचिव बालक राम ने कहा कि विमुक्त एवम घुमंतू जनजातियों के सामने पहचान का संकट है. इनके पांस स्थाई आवास न होने के कारण जरूरी दस्तावेज नहीं होते जिसके कारण इनको सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पाता. जीते जी तो दो गज जमीन मिले न मिले लेकिन राजस्थान में मरने के बाद भी इनको दो गज जमीन नसीब नहीं होती है. सरकार को विमुक्त एवम घुमंतू जनजातियों के लिए स्पेशल योजना बनाकर स्थाई आवास आवंटित करने चाहिए ताकि इनके पहचान पत्र जारी हो सके और इनको भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके. आयोग के सदस्य डॉ ज्ञानेश्वर मुले ने इस बैठक को आयोजित करवाने अहम योगदान निभाने के लिए डॉ रानू छारी को हार्दिक धन्यवाद दिया. डॉ मुले ने कहा की आयोग इस विषय पर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंपेगा.
वहीं अखिल भारतीय विमुक्त एवम घुमंतू जनजाति वेलफेयर संघ की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंद्र कुमार सिंह, राष्ट्रीय महासचिव बालक राम सांसी, डॉ रानू छारी राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला मोर्चा, सुरजाराम नायक राष्ट्रीय सचिव, हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष मास्टर जिले सिंह, तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष मरुमुत्थु, श्रीनिवास तीरपुर सेट्टी शामिल हुए.
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